संसद की बेहद महत्वपूर्ण लोक लेखा समिति की बैठक में प्रस्ताव रखा गया था कि वो कोरोना संकट पर सरकार के प्रबंधन की जांच-पड़ताल करेगी. हालांकि भाजपा सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया और जांच करने से रोक दिया.

नई दिल्ली: विभिन्न राजनीतिक दलों, संगठनों एवं व्यक्तियों द्वारा पीएम केयर्स फंड की कार्यप्रणाली और इसकी अपारदर्शी व्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर किए जाने के बावजूद संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) बीते शुक्रवार को इस मुद्दे पर सहमति नहीं बना पाई कि वो इस फंड की जांच करेगी.
समिति में शामिल भाजपा नेताओं ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया और पीएम केयर्स फंड की जांच करने से रोक दिया. लोक लेखा समिति संसद की बेहद महत्वपूर्ण समितियों में से एक है. यह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा सौंपी गई रिपोर्टों का अध्ययन करती है.
बीते शुक्रवार (10 जुलाई) को कोरोना महामारी आने के बाद पहली बार जब समिति की बैठक हुई तो समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि समिति में शामिल सदस्य अपनी अंतरआत्मा से सोचें और इस मुद्दे पर सर्वसम्मति बनाएं.
हालांकि एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक लोक लेखा समिति में बड़ी संख्या में शामिल भाजपा सदस्यों ने कोरोना संकट पर सरकार के प्रबंधन पर जांच-पड़ताल से समिति को रोक दिया.
बैठक में शामिल एक व्यक्ति ने एनडीटीवी को बताया कि बीजू जनता दल के नेता भतृहरि महताब से बीजेपी को सबसे ज्यादा समर्थन मिला. डीएमके नेता टीआर बालू उन कुछ लोगों में से थे, जिन्होंने विपक्ष के प्रस्ताव का समर्थन किया.
संसदीय समिति की बैठक में भाजपा की अगुवाई कर रहे वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव ने पीएम केयर्स फंड की जांच पड़ताल के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पीएम केयर्स में संसद से कोई बजट स्वीकृत नहीं किया जाता है और इस वजह से लोक लेखा समिति इस मामले की जांच नहीं कर सकती है.
इसे लेकर समिति के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने दिप्रिंट से कहा, ‘ऐसा लगता है कि भाजपा नेताओं के मन में डर है कि कोविड के कहर पर किसी भी विचार-विमर्श का मतलब पीएम केयर्स के बारे में भी चर्चा करना है.’
उन्होंने कहा, ‘यह बहुत ही दुखद है कि वरिष्ठ सदस्य कोविड-19 के प्रकोप जैसे एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आपातकाल के मुद्दे की समीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं. क्या देश के नागरिकों को यह पता नहीं होना चाहिए कि सरकार इस प्रकोप को लेकर क्या उपाय कर रही है.’
चौधरी ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुद्दे का हवाला देते हुए समिति के सदस्यों से कहा कि पीएसी मामलों पर स्वत: संज्ञान लेकर चर्चा कर सकती है. हालांकि इस पर बीजद सांसद भतृहरि महताब ने हस्तक्षेप किया और कहा कि समिति स्वत: संज्ञान ले सकती है, लेकिन इसमें सभी सदस्यों की सहमति होनी जरूरी है.
इसे लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘पीएम केयर्स में दान करने वाले लोगों का नाम बताने से प्रधानमंत्री इतना डर क्यों रहे हैं. सभी को पता है कि चीनी कंपनियों हुआवे, शाओमी, टिकटॉक, वनप्लस ने इसमें पैसा दिया है. क्यों वो ये डिटेल्स नहीं देते हैं?’
पीएम केयर्स फंड अपनी उत्पत्ति वाले दिन से ही विवादों में घिरा हुआ है और इसकी प्रमुख वजह केंद्र सरकार द्वारा इसके चारों ओर बुनी गई गोपनीयता है.
प्रधानमंत्री कार्यालय सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत इससे संबंधित जानकारी देने से लगातार मना करता आ रहा है और कहा है कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत सार्वजनिक प्राधिकार यानी कि पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.
इसके अलावा इस फंड की ऑडिटिंग राष्ट्रीय ऑडिटर कैग से नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र ऑडिटर के जरिये कराया जाएगा.