सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति भी सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और उन्हें भी एससी/एसटी की तरह ही लाभ दिया जाए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शारीरिक रूप से अक्षम लोग भी सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और उन्हें अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की तरह लाभ प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर की गई अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले में स्थापित सिद्धांतों को अनुसरण करते हुए वे इस निर्णय पर पहुंचे हैं.
करीब 50 फीसदी तक मानसिक रूप से अक्षम एक याचिकाकर्ता ने शारीरिक रूप से अक्षम श्रेणी के तहत फाइन आर्ट में डिप्लोमा कोर्स के लिए आवेदन किया था. हालांकि वे कॉलेज की विवरण-पुस्तिका (प्रॉस्पेक्टस) के कुछ प्रावधानों से सहमत नहीं थे.
इसे लेकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कुल उपलब्ध सीटों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के बीच में बांटने के प्रावधान को चुनौती दी. उन्होंने यह भी मांग की कि मानसिक रूप से अक्षम छात्रों की व्यवहार परीक्षा (एप्टीट्यूड टेस्ट) नहीं ली जानी चाहिए.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की इन दोनों मांगों को खारिज कर दिया, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा.
सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया कि यह याचिका निष्फल हो चुकी है क्योंकि आरक्षित सीट को किसी अन्य व्यक्ति को दिया जा चुका है.
इसे लेकर जस्टिस नरीमन, नवीन सिन्हा और बीआर गवई की पीठ ने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर हाईकोर्ट का दिया गया फैसला सही है.
उन्होंने कहा, ‘जहां तक एप्टीट्यूड टेस्ट का सवाल है, हाईकोर्ट ने सही कहा है कि इस टेस्ट से किसी को छूट नहीं दी जा सकती है लेकिन हम दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा अनमोल भंडारी मामले में दिए गए फैसले में स्थापित सिद्धांतों का अनुसरण करते हैं, जिसमें कोर्ट ने बिल्कुल सही कहा था कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति भी सामाजिक रूप से पिछड़ा है और एससी/एसटी को दिए जाने वाले लाभ के बराबर का हकदार है.’
कोर्ट ने कहा कि प्रॉस्पेक्टस में लिखा है कि एप्टीट्यूड टेस्ट पास करने के लिए एससी/एसटी वर्ग के छात्रों को 35 फीसदी नंबर चाहिए, इसलिए यही शर्त भविष्य में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों पर भी लागू होगी.
पीठ ने यह भी नोट किया कि हाईकोर्ट ने अथॉरिटीज को निर्देश दिया है कि वे शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों की विशेष जरूरतों के हिसाब से कोर्स तैयार करने की संभावनाओं को तलाशें और पेंटिंग तथा अप्लाइड आर्ट में सीट बढ़ाने पर विचार करें ताकि ऐसे बच्चों को दाखिला दिया जा सके.