नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि नेपाल सांस्कृतिक अतिक्रमण का शिकार हुआ है और इसके इतिहास से छेड़छाड़ की गई. फैज़ाबाद में स्थित अयोध्या राम का वास्तविक प्राचीन साम्राज्य नहीं है, इसे भारत द्वारा बाद में बनाया गया.
काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक नया विवाद खड़ा करते हुए सोमवार को दावा किया कि ‘वास्तविक’ अयोध्या नेपाल में है, भारत में नहीं.
उन्होंने कहा कि भगवान राम का जन्म दक्षिणी नेपाल के थोरी में हुआ था.
काठमांडू में प्रधानमंत्री आवास में नेपाली कवि भानुभक्त की जयंती के अवसर पर ओली ने कहा कि नेपाल ‘सांस्कृतिक अतिक्रमण का शिकार हुआ है और इसके इतिहास से छेड़छाड़ की गई है.’
ओली जोर देकर कहा कि फैजाबाद में स्थित अयोध्या भारत द्वारा बाद में बनाया गया और वह राम का वास्तविक प्राचीन साम्राज्य नहीं है.
Real Ayodhya lies in Nepal, not in India. Lord Ram is Nepali not Indian: Nepali media quotes Nepal Prime Minister KP Sharma Oli (file pic) pic.twitter.com/k3CcN8jjGV
— ANI (@ANI) July 13, 2020
भानुभक्त का जन्म पश्चिमी नेपाल के तानहु में 1814 में हुआ था और उन्होंने वाल्मीकि रामायण का नेपाली में अनुवाद किया था. उनका देहांत 1868 में हुआ था.
ओली ने कहा, ‘हालांकि वास्तविक अयोध्या बीरगंज के पश्चिम में थोरी में स्थित है, भारत अपने यहां भगवान राम का जन्मस्थल होने का दावा करता है.’
ओली ने कहा कि इतनी दूरी पर रहने वाले दूल्हे और दुल्हन का विवाह उस समय संभव नहीं था जब परिवहन के साधन नहीं थे.
प्रधानमंत्री ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा के अनुसार उन्होंने कहा, ‘बीरगंज के पास जिस स्थान का नाम थोरी है वह वास्तविक अयोध्या है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था. भारत में अयोध्या पर बड़ा विवाद है, लेकिन हमारी अयोध्या पर कोई विवाद नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘वाल्मीकि आश्रम भी नेपाल में है और जहां राजा दशरथ ने पुत्र के लिए यज्ञ किया था वह रिडी में है जो नेपाल में है.’
ओली ने दावा किया कि चूंकि दशरथ नेपाल के राजा थे यह स्वाभाविक है कि उनके पुत्र का जन्म नेपाल में हुआ था इसलिए अयोध्या नेपाल में है.
उन्होंने कहा कि नेपाल में बहुत से वैज्ञानिक अविष्कार हुए लेकिन दुर्भाग्यवश उन परंपराओं को आगे नहीं बढ़ाया जा सका.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ओली ने कहा कि पौराणिक कहानियों में कहा गया कि राम द्वारा छोड़े जाने के बाद सीता नारायणी (गंडक नदी) के किनारे अपने बेटों लव और कुश के साथ वाल्मीकि के आश्रम में रहती थीं. नारायणी (गंडक नदी) बिहार से लगी नेपाल सीमा पर स्थित है. यह स्थान आज भी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है.
ओली के बयान की आलोचना करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि भारत में भी वामपंथी पार्टियों ने लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया था. उन्होंने कहा कि नेपाल में वामपंथियों को लोग उसी प्रकार नकार देंगे जैसे यहां किया गया.
शास्त्री ने नई दिल्ली में कहा, ‘भगवान राम हमारी आस्था के प्रतीक हैं और लोग किसी को भी इससे खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं देंगे, भले ही वह नेपाल के प्रधानमंत्री हों या कोई और.’
वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि नेपाल के प्रधानमत्री केपी शर्मा ओली ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है और चीन की लाइनों को बोलने लगे हैं. पहले उन्होंने नेपाल द्वारा कभी दावा नहीं किए गए क्षेत्र पर दावा किया और अब वे राम, सीता, अयोध्या और रामराज्य को अयोध्या से कुछ दूर नेपाल में बसाने लगे हैं.’
#Oli #NepalPM seems 2hv lost his mental balance or is puppet &parrot like mouthing lines scripted by desperate #Chinese. 1st he claimed territories never earlier claimed by #Nepal. Now he relocates #Ram #Sita #Ayodhya & #RamRajya a few hundred miles from Ayodhya inside Nepal!
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) July 14, 2020
बता दें कि ओली का यह बयान भारत और नेपाल के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है.
भारत और नेपाल के रिश्तों में तनाव 8 मई से बढ़ा, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया था.
इस बारे में नेपाल ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए दावा किया था कि यह नेपाल की सीमा से होकर गुजरती है. भारत ने इस दावे को ख़ारिज करते हुए कहा था कि सड़क भारत की सीमा में ही है.
इसके बाद नेपाल ने अपने देश का नया नक्शा अपडेट किया, जिसे संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिल गई थी.
इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है, जो उत्तराखंड का हिस्सा हैं. इस पर भारत ने निराशा जाहिर की थी.
इसके बाद नेपाल की संसद में 23 जून को नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया गया है, जिसमें कहा गया है कि नेपाली पुरुषों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को नागरिकता देने में 7 साल का वक्त लगेगा.
इसी दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री केपी प्रधानमंत्री ओली और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी)के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ समेत उनके प्रतिद्वंद्वियों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे.
प्रचंड ने ओली पर बिना किसी सलाह के फैसला लेने और तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया था, इसके बाद प्रधानमंत्री ओली ने दावा किया था कि उनकी सरकार द्वारा देश के राजनीतिक मानचित्र को बदले जाने के बाद उन्हें पद से हटाने की कोशिशें की जा रही हैं.
उन्होंने इसका इल्जाम भारत को दिया था. ओली ने दावा किया था, ‘मुझे सत्ता से हटाने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन वे कामयाब नहीं होंगी. किसी ने भी खुले तौर पर उनसे इस्तीफा देने को नहीं कहा, लेकिन मैंने अव्यक्त भावों को महसूस किया है.’
उनका यह कहना था, ‘दूतावासों और होटलों में अलग-अलग तरह की गतिविधियां हो रही हैं. अगर आप दिल्ली के मीडिया को सुनेंगे तो आपको संकेत मिल जाएगा.’
वहीं, ओली का इस्तीफा मांगने वाले पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड का कहना था कि कि ओली की हालिया भारत विरोधी टिप्पणियां न तो राजनीतिक रूप से सही थीं और न ही कूटनीतिक रूप तौर पर.
इस बीच बीते 9 जुलाई को कुछ भारतीय न्यूज़ चैनलों पर नेपाल की राष्ट्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाते हुए नेपाल के केबल टेलीविजन सर्विस प्रोवाइडर्स ने दूरदर्शन को छोड़कर अन्य सभी भारतीय समाचार चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया था.
इसके बाद नेपाल द्वारा भारत को एक ‘राजनयिक टिप्पणी’ (डिप्लोमैटिक नोट) भेजकर अपने देश तथा नेताओं के खिलाफ ऐसे कार्यक्रमों के प्रसारण पर कदम उठाने का अनुरोध किया है, जो उसके मुताबिक ‘फर्जी, आधारहीन और असंवेदनहीन होने के साथ ही अपमानजनक’ हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)