बाबरी विध्वंस मामला: कल्याण सिंह बोले, मुझे राजनीतिक विद्वेष के चलते ग़लत फंसाया गया

सीबीआई की विशेष अदालत बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 32 आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है. भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह ने अपने बयान में कहा कि उन पर केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इशारे पर मुक़दमा चलाया गया.

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कल्याण सिंह. (फोटो: पीटीआई)

सीबीआई की विशेष अदालत बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 32 आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है. भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह ने अपने बयान में कहा कि उन पर केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इशारे पर मुक़दमा चलाया गया.

कल्याण सिंह. (फोटो: पीटीआई)
कल्याण सिंह. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर सोमवार को आरोप लगाया कि उसके इशारे पर मुकदमा चलाया गया और राजनीतिक विद्वेष के चलते उन्हें गलत फंसाया गया.

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष पेश होने के बाद अदालत परिसर से निकलते हुए कल्याण सिंह ने संवाददाताआअें से कहा, ‘उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी इसलिए राजनीतिक विद्वेष के कारण मेरे ऊपर निराधार और गलत आरोप लगाकर केंद्र सरकार के इशारे पर मुकदमा चलाया गया.’

उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते मैंने और मेरी सरकार ने अयोध्या स्थित विवादित ढांचे की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे तथा उक्त ढांचे की सुदृढ़ सुरक्षा की दृष्टि से त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके 88 वर्षीय कल्याण सिंह ने कहा कि समय-समय पर संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को विवादित ढांचे की सुरक्षा हेतु स्थिति के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे.

उन्होंने कहा, ‘इस प्रकरण में तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार के इशारे पर राजनीतिक विद्वेष से मेरे उपर झूठे और निराधार आरोप लगाकर मुझे गलत फंसाया गया है. मैं निर्दोष हूं.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीबीआई की विशेष अदालत कुल 354 अभियोजन पक्ष के गवाहों की जांच के बाद सीआरपीसी की धारा 313 के तहत सभी 32 अभियुक्तों के बयान दर्ज कर रही है. मामले में दर्ज कुल 49 आरोपियों में से अब तक 17 की मौत हो चुकी है.

इस मामले के आरोपियों में पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी शामिल हैं, जिनका बयान अभी तक दर्ज नहीं हुआ है.

इन दोनों नेताओं के वकीलों ने विशेष अदालत से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बयान दर्ज कराने का अनुरोध किया है. इस मामले के एक अन्य अभियुक्त राम चंद्र खत्री अभी एक अन्य मामले में हरियाणा की सोनीपत जेल में हैं.

अदालत ने अपने कार्यालय को आदेश दिया है कि एनआईसी को पत्र भेजा जाए कि इन अभियुक्तों के बयान वीडियो कांफ्रेसिंग से दर्ज करने की व्यवस्था करे.

एक अन्य अभियुक्त ओम प्रकाश पांडेय के खिलाफ अदालत ने पूर्व में एनबीडब्ल्यू जारी रख रखा है. उसके अनुपालन में सीबीआई की ओर से रिपेार्ट दी गई कि उक्त अभियुक्त के भाई महेंद्र पांडे ने बताया कि ओम प्रकाश काफी पहले साधु हो चुके हैं और वह घर नहीं आते.

उन्होंने हालांकि एक हफ्ते में उनका पता करने की बात कही, इस पर अदालत ने सीबीआई को महेंद्र पांडे के संपर्क में रहने का आदेश दिया था.

दिसंबर 1992 में  अयोध्या में बाबरी मस्जिद कारसेवकों द्वारा ढहाई गई थी. उनका दावा था कि इस स्थान पर भगवान राम का मंदिर था.

सीबीआई की विशेष अदालत उच्च्तम न्यायालय के आदेश पर इस मामले की सुनवाई रोजाना कर रही है और इसे 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करनी है.

बीते दो जुलाई को वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती भी अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में विशेष सीबीआई अदालत में पेश हुईं थी.

उन्होंने विशेष सीबीआई अदालत में दिए गए अपने बयान में कहा था कि 1992 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उन पर बाबरी विध्वंस का आरोप मढ़ा था. वह बिल्कुल निर्दोष हैं.

उन्होंने कहा था कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने बाबरी विध्वंस मामले में अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए उनके तथा अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. सभी को राजनीतिक दबाव में गलत तरीके से फंसाया गया.

हालांकि अदालत के बाहर आकर उन्होंने संवाददाताओं से कहा था कि राम मंदिर अभियान से जुड़कर वह खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं.

उन्होंने कहा था, ‘मैं तो राम भक्त हूं और राम भक्ति के भाव की वजह से मैंने इस पूर्ण अभियान में भाग लिया. इसके लिए मैं हमेशा खुद को गौरवशाली मानती हूं.’

मालूम हो कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल 40 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद नौ नवंबर को बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज करते हुए हिंदू पक्ष को जमीन देने को कहा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)