भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार 81 साल के कवि वरवरा राव के परिजनों द्वारा काफ़ी समय से उनके बीमार होने के बारे में कहा जा रहा था. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उनके स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी रिहाई के मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है.
मुंबई/कोलकाता: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव को चक्कर आने की शिकायत के बाद मंगलवार को यहां सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया.
राव (80) पिछले करीब दो साल से जेल में बंद हैं. उन्हें नवी मुंबई की तलोजा जेल में रखा गया है.
उनके परिवार के सदस्यों ने द्वारा काफी समय से दावा किया जा रहा है कि राव कुछ समय से अस्वस्थ हैं और उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सेवा दी जाए. उन्होंने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप भी लगाया था.
इसके अलावा इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार और एनआईए को पत्र लिखकर अपील की थी कि कवि वरवरा राव को जेल से जेजे अस्पताल में शिफ्ट किया जाए, जहां उन्हें उचित इलाज मिल सके.
उनका कहना था कि ऐसी बीमारी की अवस्था में राव को जेल में रखने की इजाजत कोई कानून नहीं देता है.
कार्यकर्ता के वकील आर. सत्यनारायण अय्यर ने बताया, ‘राव को चक्कर आने के बाद सोमवार रात जेजे अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल उनकी कुछ जांचें कर रहा है.’
राव ने अस्थायी जमानत का अनुरोध करते हुए सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इसके लिए उन्होंने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य और वर्तमान कोविड-19 महामारी का हवाला दिया था.
कार्यकर्ता ने अदालत से यह भी अनुरोध किया था कि वह जेल प्राधिकारियों को उनका मेडिकल रिकॉर्ड पेश करने और उन्हें किसी अस्पताल में भर्ती कराए जाने का निर्देश दे.
राव ने अपने वकील आर. सत्यनारायण अय्यर के माध्यम से उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की थीं. एक में विशेष एनआईए अदालत द्वारा 26 जून को उनकी जमानत याचिका खारिज किये जाने को चुनौती दी गई थी, जबकि दूसरी याचिका में तलोजा जेल के अधिकारियों को उनका मेडिकल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया.
राव और नौ अन्य कार्यकर्ताओं को भीमा कोरेगांव मामले में कथित माओवादी संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
इस मामले की प्रारंभ में पुणे पुलिस ने जांच की थी लेकिन इस साल जनवरी में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया.
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 में पुणे के एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित उत्तेजक भाषण देने से जुड़ा है. पुलिस के अनुसार इसी के बाद अगले दिन कोरेगांव भीमा वार स्मारक के पास हिंसा हुई थी.
पुलिस ने यह भी दावा किया था कि इस सम्मेलन का जिन लोगों ने आयोजन किया था, उनका कथित रूप से माओवादियों से संबंध था.
इससे पहले इसी मामले में गिरफ्तार नागपुर यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर शोमा सेन ने विशेष अदालत में अंतरिम जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं और इस वजह से उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है.
अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह कुछ बीमारियों से पीड़ित हैं लेकिन यह उनकी अंतरिम रिहाई का आधार नहीं हो सकता.
कांग्रेस नेता ने रिहाई के लिए लिखा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तेलुगू कवि वरवर राव की रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है.
चौधरी ने कहा कि 81 वर्ष की उम्र में राव ‘दुनिया के सबसे मजबूत देशों में एक के लिए खतरा नहीं हो सकते हैं.’
उन्होंने मोदी को लिखे पत्र में कहा, ‘81 वर्ष का एक व्यक्ति वर्षों से जेल में बंद है और उसे अपने अपराध का भी पता नहीं है. अब वह मानसिक रूप से ठीक भी नहीं हैं और उन्हें चिकित्सीय सहायता भी नहीं दी जा रही है.’
उन्होंने लिखा, ‘आप कृपया इस मामले में हस्तक्षेप करें और उनका जीवन बचाएं, अन्यथा हमारी भावी पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)