राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सचिन पायलट ने कहा है कि पिछले साल राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद अशोक गहलोत और पार्टी में उनके समर्थक उनके ही ख़िलाफ़ एकजुट हो गए जिसके कारण उन्हें अपने आत्मसम्मान की रक्षा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था.

कांग्रेस नेता सचिन पायलट. (फोटो: ट्विटर/@SachinPilot)
जयपुर/नई दिल्ली: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को संकट में डालने वाले कांग्रेस के बागी नेता सचिन पायलट ने बुधवार को कहा कि वे भाजपा में नहीं शामिल हो रहे हैं और अभी भी कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पायलट ने कहा, ‘मैं भाजपा में शामिल नहीं हो रहा हूं. मैं यह साफ करना चाहता हूं कि भाजपा में शामिल होने की मेरी कोई इच्छा नहीं है. भाजपा के साथ मेरा संबंध जोड़कर मेरी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है. मैं अभी भी कांग्रेस पार्टी का सदस्य हूं.’
उन्होंने कहा कि आगे क्या करना है, इस पर फैसला ले रहे हैं. मैं राजस्थान के लोगों की सेवा करना चाहता हूं.
पायलट ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है.’
इंडिया टुडे से बातचीत में पायलट ने कहा, ‘राहुल गांधी अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं. पिछले साल उनके पद छोड़ने के बाद गहलोत जी और कांग्रेस में उनके कई दोस्त मेरे खिलाफ एकजुट हो गए. तब से यह मेरे स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक संघर्ष बन गया.’
गहलोत के साथ अपने मतभेदों पर पायलट ने कहा, ‘मैं उनसे गुस्सा नहीं हूं. मैं किसी विशेष शक्ति या विशेषाधिकार की मांग नहीं कर रहा हूं. मैं बस इतना चाहता था कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने चुनावों में जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करने की दिशा में काम किया जाए.’
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (अशोक गहलोत) मुझे और मेरे समर्थकों को राजस्थान के विकास के लिए काम करने की गरिमा और स्थान नहीं दिया. नौकरशाहों को मेरे दिशानिर्देशों को मानने से मना कर दिया गया, फाइलें मेरे पास नहीं भेजी जाती थीं, कई महीनों तक कैबिनेट और सीएलपी (कांग्रेस विधायक दल) बैठकें नहीं की गईं. ऐसे पद का क्या फायदा जो लोगों से की गई मेरी प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने दे.’
पायलट ने आगे कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को कई बार उठाया. उन्होंने कहा, ‘मैंने राजस्थान कांग्रेस प्रभारी और अन्य नेताओं को जानकारी दी. मैंने इसे गहलोत जी के साथ उठाया, लेकिन जैसा मैंने कहा कि बहुत मुश्किल से मंत्रियों या विधायकों की कोई बैठक होती थी. बहस और चर्चा के लिए कोई जगह नहीं थी.’
बता दें कि राजस्थान में पिछले चार दिनों से जारी सियासी घमासान के बीच 14 जुलाई को दूसरी बार बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के शामिल नहीं होने के बाद पार्टी ने उन्हें उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया. हालांकि, वे अभी भी पार्टी के सदस्य बने हुए हैं.
पायलट के साथ ही उनके दो समर्थकों विश्वेंदर सिंह और रमेश मीणा को भी राजस्थान कैबिनेट से हटा दिया गया.
वहीं, इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट सहित कांग्रेस पार्टी के 19 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है और शुक्रवार तक जवाब देने के लिए कहा है.
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा, ‘कांग्रेस विधायक दल की बैठकों में शामिल नहीं होने के लिए सचिन पायलट और 18 अन्य को नोटिस भेजे गए हैं. अगर उन्होंने दो दिन के अंदर जवाब नहीं दिया तो माना जाएगा कि वे सीएलपी से अपनी सदस्यता वापस ले रहे हैं.’
Notice issued to Sachin Pilot&18 other party members, for not attending Congress Legislative Party meetings. If they don't respond within 2 days, then it will be considered that they are withdrawing their membership from CLP: Rajasthan Congress in-charge Avinash Pande. (File pic) pic.twitter.com/TJ8ShxasgX
— ANI (@ANI) July 15, 2020
अगर बागी विधायक अयोग्य ठहरा दिए जाते हैं तो यह अशोक गहलोत सरकार के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि इससे सदन में बहुमत साबित करने की संख्या कम हो जाएगी.
कांग्रेस में जारी अंदरूनी खींचतान के बीच भाजपा बुधवार को एक बार फिर बैठक करने जा रही है. बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव (संगठन) वी. सतीश और प्रदेश संगठन सचिव चंद्रशेखर के शामिल होने की उम्मीद है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा- पायलट का पीछा करने में व्यस्त राजस्थान सरकार ‘ऑटो पायलट मोड’ में
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर तंज करते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश सरकार ‘ऑटो पायलट मोड’ में है, क्योंकि मुख्यमंत्री एक ‘पायलट का पीछा करने में व्यस्त’ हैं.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत ने ट्वीट कर कहा, ‘यह देखना दुखद है कि राजस्थान सरकार ऑटो पायलट रूप में है क्योंकि मुख्यमंत्री एक पायलट का पीछा करने में व्यस्त हैं.’ शेखावत राजस्थान के जोधपुर से सांसद हैं.
शेखावत ने गांधी परिवार पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा, ‘बगावत के सुरों से साफ जाहिर है कि राजा के महल में घुटन बहुत है!’
उन्होंने कहा कि यह गहलोत जी की जबरदस्ती की बाड़ेबंदी है, अपनी कमियों को दूसरों पर थोपना, चुने गए विधायकों को भेड़ बकरी समझना और विद्रोह के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराना.
शिवसेना ने भाजपा पर साधा निशाना
शिवसेना ने राजस्थान में राजनीतिक संकट को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राजग का घटक दल कांग्रेस शासित राज्य में अपने विरोधियों को अस्थिर करने के लिए काम कर रहा है और विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रहा है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में सवाल किया कि भाजपा ‘रेगिस्तान’ में इस राजनीतिक उपद्रव से तूफान पैदा कर क्या हासिल करना चाहती है?
उसने कहा कि इस प्रकार के कदम देश के संसदीय लोकतंत्र को रेगिस्तान में बदल देंगे.
शिवसेना ने कहा, ‘केंद्रीय ताकत अपने विरोधियों की (राज्य) सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है.’
पार्टी ने कहा कि देश लद्दाख में ‘चीनी घुसपैठ’ और कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था के ढहने जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है. गलवान घाटी में चीनी बलों के साथ मुठभेड़ में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने की घटना अब भी ताजा है.
शिवसेना ने कहा कि इन समस्याओं को सुलझाने के बजाय भाजपा, कांग्रेस की आंतरिक कलह का लाभ उठा रही है और राजस्थान में ‘विधायकों की खरीद-फरोख्त’ को बढ़ावा दे रही है.
पार्टी ने कहा, ‘अपने राजनीतिक उपद्रव से रेगिस्तान में तूफान लाकर भाजपा को क्या हासिल होगा? इस प्रकार के कदम संसदीय लोकतंत्र को रेगिस्तान में बदल देंगे.’
शिवसेना ने कहा, ‘भाजपा पूरे देश पर शासन कर रही है (भाजपा केंद्र में सत्ता में है). उसे विरोधियों के लिए भी कुछ राज्य छोड़ देने चाहिए. यही लोकतंत्र का गौरव होगा.’
शिवसेना ने कहा कि इस साल की शुरुआत में मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के कथित रूप से भाजपा द्वारा गिराए जाने के बाद इस प्रकार की अटकलें लगाई जा रही थीं कि राजस्थान सरकार को अस्थिर किया जाएगा.
उसने कहा कि गहलोत ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस विधायकों को पार्टी बदलने के लिए 25-25 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं, जो कि गंभीर आरोप है.
शिवसेना ने कहा कि गहलोत का समर्थन कर रहे विधायकों की सम्पत्तियों पर छापेमारी की कार्रवाई संदेह का विषय है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)