बॉयज़ लॉकर रूम जैसे ग्रुप हटाने संबंधी जवाब देने के लिए कोर्ट ने केंद्र को दिया आख़िरी मौका

बॉयज़ लॉकर रूम नामक इंस्टाग्राम चैट ग्रुप में स्कूली छात्रों द्वारा लड़कियों की तस्वीरें शेयर कर आपत्तिजनक बातें की जाती थीं. फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों से ऐसे समूहों को हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल की गई है.

(फोटो: पीटीआई)

बॉयज़ लॉकर रूम नामक इंस्टाग्राम चैट ग्रुप में स्कूली छात्रों द्वारा लड़कियों की तस्वीरें शेयर कर आपत्तिजनक बातें की जाती थीं. फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों से ऐसे समूहों को हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल की गई है.

(फोटो :पीटीआई)
(फोटो :पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को अंतिम मौका दिया जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है कि फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों से ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ जैसे समूहों को हटा लिया जाए.

जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और जस्टिस आशा मेनन की पीठ ने निर्देश दिया कि गृह, आईटी और वित्त मंत्रालयों द्वारा चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल किए जाएं.

इस मामले में फेसबुक पहले ही अपना जवाब दाखिल कर चुकी है. अदालत ने गूगल और ट्विटर को भी चार सप्ताह के भीतर अपने जवाब दाखिल करने को कहा.

मामले में अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.

पीठ ने प्रतिवादियों को चार हफ्ते में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है. पीठ ने कहा कि अगर वे चार हफ्ते में जवाब देने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें और अवसर नहीं दिया जाएगा.

अदालत ने यह आदेश आरएसएस के पूर्व विचारक के एन. गोविंदाचार्य द्वारा दायर आवेदन पर दिया है जिसमें ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ जैसे ‘अवैध समूहों की गैरकानूनी प्रकृति’ को उजागर किया गया है.

अदालत ने इससे पहले मई में केंद्र और सोशल मीडिया मंचों को आवेदन पर जवाब देने के लिए कहा था.

जब गोविंदाचार्य की ओर से पेश अधिवक्ता विराग गुप्ता ने अनुरोध किया कि इस आवेदन पर आज ही सुनवाई की जाए, तो अदालत ने कहा कि उसकी राय है कि मुख्य याचिका पर ही सुनवाई होनी चाहिए और याचिका तथा आवेदन पर अलग-अलग सुनवाई से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा.

अमर उजाला के मुताबिक वकील विराग गुप्ता ने कहा था कि नकारात्मकता, फर्जी खबरों तथा अवैध सामग्री के कारण कई मासूम जिंदगियां तबाह हो रही हैं. बॉयज़ लॉकर रूम जैसे ग्रुप अवैध व आपराधिक प्रकृति के हैं. उन्हें अभिव्यक्ति व रचनात्मकता के आधार पर कोई छूट नहीं दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा था इंस्टाग्राम पर सामने आया बॉयज़ लॉकर रूम मामला सोशल मीडिया का सबसे बदसूरत उदाहरण है.

संघ विचारक गोविंदाचार्य ने अपनी याचिका में दावा किया कि सोशल मीडिया पर चल रहे बॉयज़ लॉकर रूम जैसे ग्रुप अश्लीलता, हिंसा, रेव पार्टी व अन्य अवैध तथा आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं.

उन्होंने कहा कि यह ग्रुप सोशल मीडिया कंपनियों की गाइडलाइन का भी उल्लंघन करते हैं. लॉकडाउन में ऑनलाइन का चलन बढ़ा है और 13 साल से छोटे बच्चे भी इससे जुड़ चुके हैं. इन बच्चों को सुरक्षित साइबर स्पेस उपलब्ध कराना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है.

बता दें कि ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ नाम के इस इंस्टाग्राम चैट ग्रुप का खुलासा बीते मई महीने में हुआ था. इस ग्रुप में बड़ी संख्या में 17 से 18 साल के स्कूली छात्र जुड़े हुए थे, जो अपनी हमउम्र लड़कियों की तस्वीरें इस ग्रुप में शेयर कर आपत्तिजनक बातें करते रहे थे.

एक महिला ट्विटर यूजर ने तीन मई को इस इंस्टाग्राम चैट ग्रुप के कुछ स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर किए थे. ग्रुप चैट में एक लड़का कथित तौर पर बाकी लड़कों को गैंगरेप के लिए उकसा रहा था.

यह पूरा मामला सामने आने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस और इंस्टाग्राम दोनों को नोटिस जारी किया था और इस ग्रुप के सभी लड़कों को गिरफ्तार करने की मांग की थी.

इसके बाद दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने इस पर कार्रवाई करते हुए 5 मई को इस मामले में पहली गिरफ्तारी की थी. पुलिस ने बताया था कि अभी तक इस इंस्टाग्राम चैट ग्रुप से दक्षिणी दिल्ली के चार निजी स्कूलों और एक नोएडा के निजी स्कूल के जुड़े होने का मामला सामने आया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)