रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एनपीए में संभावित बढ़ोतरी को लेकर कहा कि हम मुश्किल में हैं और जितनी जल्दी इसे स्वीकार करेंगे, उतना बेहतर होगा क्योंकि हमें वाकई में इस समस्या से निपटने की ज़रूरत है.
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि अगले छह महीने में बैंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है.
उन्होंने यह भी कहा कि समस्या को जितनी जल्दी पहचान लिया जाए, उतना अच्छा होगा. कोविड-19 और उसकी रोकथाम के लिए ‘लॉकडाउन’ से कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और उनमें से कई कर्ज की किस्त लौटाने में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं.
राजन ने ‘नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड एकोनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) द्वारा आयोजित ‘इंडिया पॉलिसी फोरम 2020′ के एक सत्र में कहा, ‘अगर हम वाकई में एनपीए के वास्तविक स्तर को पहचाने तो अगले छह महीने में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का स्तर काफी अप्रत्याशित होने जा रहा है. हम मुश्किल में हैं और जितनी जल्दी इसे स्वीकार करेंगे, उतना बेहतर होगा क्योंकि हमें वाकई में इस समस्या से निपटने की जरूरत है.’
राजन ने मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आर्थिक सुधारों पर लिखे गए एक लेख का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें जनधन खातों की सफलता की बात कही गई है लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों की राय इससे अलग हैं.
Bold decisions, strong political will: Economic reforms are sustained, deep and pronounced under PM Modi https://t.co/BeBZWJVzZK
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) July 14, 2020
राजन ने कहा, ‘हमें अभी भी लक्षित लोगों को लाभ अंतरण करने में कठिनाई हो रही है. लोग अभी भी सार्वभौमिकरण की बात कर रहे हैं क्योंकि हम लक्ष्य नहीं कर सकते. (जैसा कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विजय जोशी ने रेखांकित किया है). जनधन उस रूप से काम नहीं किया जैसा कि इसका प्रचार-प्रसार किया गया.’
हालांकि उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक सकारात्मक चीज कृषि क्षेत्र है, जो वास्तव में अच्छा कर रहा है.
राजन ने कहा, ‘निश्चित रूप से सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाया है. इन सुधारों की लंबे समय से बात हो रही थी. उसके सही तरीके से क्रियान्वयन होने से अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से को लाभ होगा.’
बता दें कि कृषि क्षेत्र में सुधार प्रक्रिया के तहत सरकार ने अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू सहित खाद्य पदार्थों को नियंत्रण मुक्त करने के लिए साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया.
खाद्य उत्पादों के उत्पादन और बिक्री के अलावा संशोधन किसी भी उत्पाद पर कोई स्टॉक सीमा नहीं लगाने का प्रावधान करेगा.
वहीं, पिछले महीने सरकार ने अधिसूचित एपीएमसी मंडियों के बाहर कृषि उपज में बाधा मुक्त व्यापार की अनुमति देने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)