भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में 2018 से जेल में बंद 81 साल के वरवरा राव के परिजनों ने बीते सप्ताह उनकी सेहत के बारे में चिंता जताते हुए जेल प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था.

मुंबईः भीमा कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद मामले में 2018 से जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता एवं कवि वरवरा राव में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है.
चिकित्सकों का कहना है कि उनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे, लेकिन कमजोरी की वजह से वह चलने में असमर्थ हैं.
वरवरा राव को 13 जुलाई को चक्कर आने की शिकायत के बाद नवी मुंबई की तलोजा जेल से जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
उनके परिवार के सदस्यों ने पिछले सप्ताह उनसे बात करने के बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की थी.
राव के गुरुवार को कोविड-19 सहित कई टेस्ट किए गए थे. उनके कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद उन्हें सेंट जॉर्ज अस्पताल शिफ्ट किया गया है.
जेजे अस्पताल के डीन डॉ. रंजीत मनकेश्वर ने कहा, ‘उनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे. उनकी सांस लेने की गति सामान्य थी और उनके सभी मेडिकल मापदंड सही थे.’
सेंट जॉर्ज अस्पताल के प्रशासन का कहना है कि राव के शरीर में ऑक्सीजन सैचुरेशन का स्तर और ब्लड प्रेशर सामान्य था, लेकिन उनकी अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं की वजह से उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया.
राव से मिलने अस्पताल पहुंचे उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि कथित तौर पर कोई भी डॉक्टर उनका इलाज नहीं कर रहा था.
उनके एक संबंधी ने कहा, ‘उन्हें ट्रांसिट वार्ड में रखा गया था. उनके कपड़े अस्त-व्यस्त थे और वह होश में नहीं लग रहे थे, वह अपनी पत्नी और बेटियों को पहचान नहीं पा रहे थे.’
डॉक्टरों का कहना है कि राव बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी से जूझ रहे हैं, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसके तहत प्रोस्टेट की समस्या से पेशाब करने में दिक्कतें आने लगती हैं. उनमें डेरीलियम (होश-हवाश में न बोलने) और कमजोरी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
उनके परिवार के सदस्यों ने द्वारा काफी समय से दावा किया जा रहा है कि राव कुछ समय से अस्वस्थ हैं और उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सेवा दी जाए. उन्होंने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप भी लगाया था.
इसके अलावा इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार और एनआईए को पत्र लिखकर अपील की थी कि कवि वरवरा राव को जेल से जेजे अस्पताल में शिफ्ट किया जाए, जहां उन्हें उचित इलाज मिल सके.
उनका कहना था कि ऐसी बीमारी की अवस्था में राव को जेल में रखने की इजाजत कोई कानून नहीं देता है.
राव की पत्नी हेमलता और उनकी तीन बेटियों ने पिछले हफ्ते एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उनकी 11 जुलाई को राव से फोन पर बात हुई थी. उनकी हालत ठीक नहीं थी, वह दशकों पुरानी बातें इस तरह से बता रहे थे, जैसे वह अभी हो रही हैं.
उन्होंने कहा कि उनके (राव) साथ जेल में बंद और उनकी देखभाल कर रहे एक शख्स ने भी बताया था कि राव को एक सप्ताह पहले जेल लाया गया और वह अपना बेसिक काम तक खुद नहीं पा रहे हैं.
इससे पहले मई में राव को जेल में बेहोश होने के बाद जेजे अस्पताल भर्ती कराया गया था लेकिन तीन दिनों के भीतर ही उन्हें अस्पताल से वापस जेल भेज दिया था.
बता दें कि कोरोना का हवाला देकर राव की अस्थाई रिहाई के लिए अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई थी लेकिन विशेष अदालत ने इसे खारिज कर दिया था.
इस आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई किए जाने की संभावना है.
इससे पहले इसी मामले में गिरफ्तार नागपुर यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर शोमा सेन ने विशेष अदालत में अंतरिम जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं और इस वजह से उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है.
अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह कुछ बीमारियों से पीड़ित हैं लेकिन यह उनकी अंतरिम रिहाई का आधार नहीं हो सकता.