राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच जारी सियासी खींचतान के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा पायलट समेत कांग्रेस के 19 बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी किया गया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
जयपुर/नई दिल्लीः राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा कांग्रेस नेता सचिन पायलट सहित कांग्रेस पार्टी के 19 बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी किए जाने के खिलाफ पायलट और उनके समर्थक विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और फैसला सुनाने के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की है.
लाइव लॉ के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की पीठ ने कहा है कि राजस्थान विधानसभा स्पीकर 24 जुलाई तक सचिन पायलट और उनके समर्थक अन्य 18 विधायकों को जारी की गई अयोग्यता नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे.
इससे पहले सोमवार सुबह मामले की सुनवाई शुरू हुई और शाम तक जारी रही थी.
विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि याचिका समय से पहले दायर की गई है, क्योंकि सदन से विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने पर फैसला लिया जाना अभी बाकी है.
उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर अदालत के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है.
पायलट खेमे के वकील हरीश साल्वे द्वारा संविधान की 10वीं अनुसूची को चुनौती देने पर सिंघवी ने कहा कि साल 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने किहोटो होलोहान मामले में इस दलील को खारिज कर दिया था. 10वीं अनुसूची को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जरूरी प्रतिबंध के तहत स्वीकार किया गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज दलील के आधार पर ही साल्वे 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) की संवैधानिकता को चुनौती दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट से किहोटो होलोहान मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए जा चुके फैसले की समीक्षा करने के लिए नहीं कहा जा सकता है. अंतरिम आदेश नहीं जारी किया जाना चाहिए.
चीफ जस्टिस महंती ने अयोग्यता नोटिस जारी करने में उन्हें जारी करने के कारण का उल्लेख न होने पर सवाल उठाया. इस पर सिंघवी ने कहा कि जब अदालत कारण बताओ नोटिस के स्तर पर दखल ही नहीं दे सकता है तब कैसे अदालत नोटिस जारी करने के कारणों पर फैसला कर सकता है.
चीफ जस्टिस महंती ने कहा कि व्हिप किसी पार्टी के लिए नहीं बल्कि केवल विधानसभा सत्र के लिए जारी किया जा सकता है.
वहीं, कांग्रेस पार्टी के व्हिप महेश जोशी की ओर से पेश होते वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा कि असंतुष्ट विधायकों ने सरकार गिराने के लिए खुलेआम बयान दिए थे.
याचिकाकर्ताओं के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि दल-बदल तब होता है जब कोई एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाए. एक ही पार्टी में मतभेद को दल-बदल नहीं माना जा सकता है.
बता दें कि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा अयोग्यता नोटिस जारी किए जाने के खिलाफ सचिन पायलट सहित कांग्रेस पार्टी के 19 बागी विधायकों ने बीते गुरुवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
अपनी याचिका में बागी विधायकों ने उन्हें बीते 14 जुलाई को जारी अयोग्यता नोटिस को रद्द करवाने की मांग की थी.
याचिका में नोटिस को कांग्रेस की एक शिकायत के आधार पर चुनौती दी गई है, जिसमें पार्टी ने कहा था कि पार्टी ह्विप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.
पायलट खेमे ने दलील दी है कि पार्टी का ह्विप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा होता है. स्पीकर को दी गई अपनी शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है.
विधायक सदन में जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उसकी सदस्यता यदि अपनी मर्जी से त्याग देते हैं तो यह प्रावधान उक्त विधायक को अयोग्य करार देता है. कांग्रेस का दावा है कि विधायकों के आचरण से यही मतलब निकलता है.
लेकिन असंतुष्ट खेमे ने कहा कि पायलट ने पार्टी छोड़ने के इरादे के बारे में कभी संकेत नहीं दिया है.
इसके बाद शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस के खिलाफ असंतुष्ट विधायकों की याचिका पर सुनवाई सोमवार के लिए स्थगित कर दी थी, जिसके बाद सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य असंतुष्ट विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिसों पर स्पीकर की किसी कार्रवाई से चार दिनों के लिए राहत मिल गई थी.
इस दौरान स्पीकर के वकील ने अदालत को आश्वस्त किया था कि मंगलवार शाम 5:30 बजे तक नोटिस पर कोई आदेश जारी नहीं किया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)