ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और चीन में बनाए गए वैक्सीन के अब तक किए गए मानव परीक्षणों में इम्यून सिस्टम के बेहतर होने के संकेत मिले हैं. अब अगले ट्रायल में ये पता लगाया जाएगा कि इससे कोरोना वायरस को रोका जा सकता है या नहीं.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और चीन के वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिलने का दावा किया गया है.
बताया गया है कि ऑक्सफोर्ड जो वैक्सीन तैयार कर रहा था, वो अब तक के ट्रायल में इंसानों पर सुरक्षित साबित हुई है और इससे रोग प्रतिरोधक (इम्यून) सिस्टम के बेहतर होने के संकेत मिले हैं.
ऑक्सफोर्ड के ट्रायल में शामिल हुए 1,077 लोगों पर इसका परीक्षण किए जाने पर उनमें एंटीबॉडीज और टी-सेल का निर्माण हुआ, जो कोरोना वायरस से लड़ सकते हैं.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये निष्कर्ष बेहद आशाजनक हैं, लेकिन अभी भी इस सवाल का जवाब देना जल्दबाजी होगी कि क्या यह वायरस से सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त है. इसके बड़े परीक्षण अभी चल रहे हैं.
NEW—UK’s #COVID19 vaccine is safe and induces an immune reaction, according to preliminary results https://t.co/rDPlB9fDKr pic.twitter.com/z2t9Aubjim
— The Lancet (@TheLancet) July 20, 2020
प्रतिष्ठित विज्ञान जर्नल द लांसेट द्वारा प्रकाशित स्टडी में कहा गया है कि इस वैक्सीन के बहुत हल्के साइड इफेक्ट्स हैं, जिसे पैरासिटामॉल जैसी दवा लेकर खत्म किया जा सकता है. इस वैक्सीन से कोई गंभीर खतरा सामने नहीं आया है.
रिपोर्ट के मुताबिक इंसानों पर इसका इस्तेमाल किए जाने के बाद उनमें थकान और सिरदर्द जैसे प्रभाव देखने को मिले.
इस अध्ययन के लेखकों ने कहा है कि अधिक उम्र के लोगों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल किया जाना चाहिए. फिलहाल इस स्टडी का दायरा रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) के बढ़ने को लेकर सीमित था.
अभी ये परीक्षण किया जाना बाकी है कि क्या ये वैक्सीन कोरोना वायरस संक्रमण को खत्म कर सकता है.
ऑक्सफोर्ड के अलावा चीन की एक वैक्सीन के भी वायरस के प्रति बड़ी कामयाबी मिलने का दावा किया गया है. बड़ी सफलता मिली है, जिसका फेज-2 परीक्षण सुरक्षित रहा और इम्यून सिस्टम बेहतर करने का रिजल्ट दिया है.
NEW—Chinese phase 2 trial finds #COVID19 vaccine is safe and induces an immune response https://t.co/y19Tg7VmUT pic.twitter.com/olXJsOgTFv
— The Lancet (@TheLancet) July 20, 2020
लांसेट के मुताबिक इस अध्ययन का प्राथमिक उद्देश्य ये देखना था कि क्या इससे इम्यून सिस्टम बेहतर होता है और क्या यह सुरक्षित है. इसके अलावा इस चरण में यह भी पताया लगाया जाना था कि तीसरे चरण के परीक्षण में कितना डोज देना उचित होगा.
इस फेज-2 के परीक्षण में पाया गया कि वैक्सीन दिए जाने के बाद 28वें दिन व्यक्ति में टी-सेल या एंटीबॉडीज का निर्माण हुआ है. इसके अलावा इस वैक्सीन का कोई गंभीर बुरा प्रभाव नहीं पाया गया है.
अब इस वैक्सीन का फेज-3 ट्रायल किया जाएगा, जिससे ये पता लगेगा का इससे कोरोना वायरस खत्म होता है या नहीं.