एयर इंडिया ने इससे पहले अपनी वित्तीय स्थिति का हवाला देकर अपने कर्मचारियों को पांच साल के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजने का फैसला किया है.
नई दिल्लीः निजी एयरलाइन कंपनी इंडिगो का कहना है कि वह कोरोना महामारी की वजह से पैदा हुए आर्थिक संकट के चलते 10 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करेगा.
स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के सीईओ रोनोजॉय दत्ता ने कर्मचारियों को लिखे पत्र में इसकी जानकारी दी. दत्ता ने यात्रियों की अनिश्चितता, कमजोर अर्थव्यवस्था और यात्रा प्रतिबंधों को इसका कारण बताया.
दत्ता ने बयान में कहा, ‘मौजूदा हालात में कंपनी को चलाते रहने के लिए बिना कुछ बलिदान दिए इस आर्थिक संकट से निपट पाना हमारी कंपनी के लिए असंभव हो गया है.’
We will need to bid adieu to 10% of our workforce…this pandemic has forced us to re-evaluate our best-laid plans: IndiGo CEO Ronojoy Dutta pic.twitter.com/h7c2Ujh7YK
— ANI (@ANI) July 20, 2020
उन्होंने कहा, ‘ऐसे में हरसंभव उपाय पर गौर करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि हमें अपने कर्मचारियों की संख्या में 10 फीसदी की कटौती करने का पीड़ादायक फैसला लेने की जरूरत होगी. इंडिगो के इतिहास में इतना दुखद कदम पहली बार उठाया जा रहा है.’
दत्ता ने कहा कि इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को उनके नोटिस अवधि का वेतन दिया जाएगा. इसका भुगतान उनके सकल वेतन के आधार पर किया जाएगा.
बयान में कहा गया, ‘नोटिस पीरियड के भुगतान के अलावा कर्मचारियों को नौकरी से हटाए जाने का भुगतान भी किया जाएगा. इसकी गणना उनके वेतन पर आने वाली कंपनी की मासिक लागत के आधार पर की जाएगी. यह वेतन उनकी नौकरी की अवधि के प्रत्येक वर्ष के आधार पर अधिकतम 12 महीने के लिए दिया जाएगा.’
आसान भाषा में समझें तो यदि कोई कर्मचारी छह साल से इंडिगो के साथ है तो उसे सीटीसी के हिसाब से छह माह का वेतन दिया जाएगा. वहीं जिस कर्मचारी ने 12 वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए अपनी सेवाएं इंडिगो को दी हैं तो उसे कंपनी से निकाले जाने का अधिकतम 12 महीने का वेतन दिया जाएगा.
दत्ता ने कहा कि छंटनी से प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को उनके सालाना बोनस और परफॉर्मेंस के आधार पर प्रोत्साहन राशि का भी भुगतान किया जाएगा. वहीं उनका स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा कवर दिसंबर 2020 तक बरकरार रहेगा.
उन्होंने कहा कि अगर प्रभावित होने वाले कर्मचारियों में से किसी को अपने होमटाउन वापस जाना चाहता है तो इंडिगो उन्हें एक तरफ का हवाई यात्रा टिकट देकर मदद भी करेगी.
इंडिगो के कर्मचारियों की संख्या की बात करें तो 31 मार्च 2019 को ये 23,531 थी.
इससे पहले एयर इंडिया ने बयान जारी कर अपने कुछ कर्मचारियों को अधिकतम पांच साल के लिए अवैतनिक अवकाश पर भेजने का फैसला किया है.
आधिकारिक आदेश के मुताबिक निदेशक मंडल ने एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को कर्मचारियों की उपयुक्तता, दक्षता, क्षमता, प्रदर्शन की गुणवत्ता, कर्मचारी का स्वास्थ्य, पहले ड्यूटी के समय अनुपलब्धता आदि के आधार पर छह महीने या दो साल के लिए बिना वेतन अनिवार्य अवकाश पर भेजने के लिए अधिकृत किया है और यह अवधि पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है.
एयर इंडिया का अवैतनिक अवकाश स्वैच्छिक नहीं हैः तृणमूल कांग्रेस सांसद
एयर इंडिया के अपने कुछ कर्मचारियों को अधिकतम पांच साल के लिए अवैतनिक अवकाश पर भेजने के फैसले के बाद सोमवार को तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओब्रायन ने दावा किया कि यह योजना स्वैच्छिक नहीं है और विमानन कंपनी के विभागीय ज्ञापन और प्रेस में जारी बयान एक दूसरे से अलग है.
राज्यसभा सदस्य ने 14 जुलाई का एयर इंडिया का ज्ञापन और 17 जुलाई को प्रेस में जारी विज्ञप्ति को ट्विटर पर साझा करते हुए दस्तावेजों की कुछ पंक्तियों का उल्लेख करते हुए दावा किया है कि ये परस्पर अलग हैं.
Let’s put 2 key documents out #FACTS #AirIndia
➡️Internal memo number #420, July14
➡️Press Release July17, self-contradictoryAs per this evidence, Leave Without Pay (LWP) is NOT voluntary
Exhibit #1-@airindiain memo #420 on LWP
Exhibit #2-AI Press Release (points 2, 8 & 9) pic.twitter.com/b13rhXSJw3— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) July 20, 2020
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘अवैतनिक अवकाश स्वैच्छिक नहीं है. पहली तस्वीर अवैतनिक अवकाश पर एयर इंडिया की मेमो संख्या 420 और दूसरी तस्वीर एयर इंडिया की 17 जुलाई को जारी प्रेस विज्ञप्ति (बिंदु 2,8 और 9) परस्पर विरोधी हैं.’
केंद्र सरकार ने कुछ कर्मचारियों को अधिकतम पांच साल तक अवैतनिक अवकाश पर भेजने के एयर इंडिया के फैसले का समर्थन किया है और इस संबंध में केंद्रीय नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के कहा था कि हर साल 500-600 करोड़ रुपये का निवेश करना संभव नहीं है, ऐसे में खर्च में कटौती आवश्यक है.
एयर इंडिया का यह फैसला कोरोना वायरस महामारी के बीच आया है. इस दौरान सभी उड़ानें रद्द होने से विमानन क्षेत्र को बहुत नुकसान हुआ है.
केंद्रीय मंत्री पुरी को रविवार को लिखे एक पत्र में ओब्रायन ने उनसे यह सुनिश्चत करने का अनुरोध किया है कि एयर इंडिया अपनी इस अवैतनिक अवकाश योजना को वापस ले.
इसे केंद्र के पुराने परामर्श के विरुद्ध और अमानवीय करार देते हुए तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि सरकार में कोई दयाभाव नहीं है और वह कोविड-19 महामारी के दौरान एयर इंडिया के कर्मचारियों की निस्वार्थ सेवा को स्वीकार करने से इनकार कर रही है.
उन्होंने पत्र में कहा है कि अभी तक एयर इंडिया के करीब 150 कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं.
एयर इंडिया के पायलट के वेतन में कमी से हालात भड़क सकते हैं: पायलट संघ
एयर इंडिया की पायलट यूनियन भारतीय वाणिज्यिक पायलय संघ (आईसीपीए) ने सोमवार को कहा कि विमानन कंपनी द्वारा पायलटों के वेतन में कोई भी एकतरफा बदलाव गैरकानूनी होगा और इस कारण हालात किसी भी हद तक भड़क सकते हैं.
एयर इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को लिखे पत्र में आईसीपीए ने कहा, ‘हरदीप सिंह पुरी द्वारा 16 जुलाई 2020 को एक संवाददाता सम्मेलन में आपने कहा था कि हम पायलटों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जो सच्चाई से दूर है.’
आईसीपीए ने कहा, ‘यह बातचीत नहीं थी, बल्कि एमओसीए (नागर विमानन मंत्रालय) का अप्रिय आदेश था, जो हमें बताया गया. हम यह भी बताना चाहते हैं कि यह तथाकथित बातचीत किसी भी तरह से सौहाद्रपूर्ण नहीं थी.’
आईसीपीए और इंडियन पायलट्स गिल्ड (आईपीजी) ने पिछले सप्ताह बंसल को भेजे एक संयुक्त पत्र में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच एयर इंडिया ने पायलट के वेतन में 60 फीसदी कटौती का प्रस्ताव रखा है.
संयुक्त पत्र में कहा गया, ‘पायलटों के लिए प्रस्तावित कटौती लगभग 60 फीसदी है, जबकि यह ध्यान देने योग्य है कि शीर्ष प्रबंधन ने अपने सकल वेतन में 3.5 फीसदी कटौती का प्रस्ताव किया है.’
एयर इंडिया पर लगभग 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और सरकार ने इस साल जनवरी में इसके निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)