गुवाहाटी जेल में बंद जेएनयू छात्र शरजील इमाम को जामिया और एएमयू में भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. इस जेल के 400 से अधिक क़ैदी अब तक कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें कार्यकर्ता और किसान नेता अखिल गोगोई भी शामिल हैं.
नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में कथित संलिप्तता को लेकर असम की गुवाहाटी जेल में बंद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई है.
महानिरीक्षक (जेल) दशरथ दास ने कहा कि इमाम और कुछ अन्य कैदियों के नमूनों की जांच की गई और उनके नतीजे मंगलवार को आए, जिसमें इमाम कोरोना संक्रमित पाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि राजद्रोह मामले के आरोपी शरजील इमाम को पहले दिल्ली ले जाया जाना था, लेकिन अब उन्हें यहां एक अस्पताल में भेज दिया जाएगा.
वह नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से शामिल थे.
इमाम के एक बयान को लेकर उनके ऊपर राजद्रोह के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसमें वह असम को देश के बाकी हिस्सों से अलग करने की कथित रूप से बात कर रहे थे.
उन्होंने बाद में स्पष्टीकरण देते हुए इसे चक्का जाम करने की बात बताया था.
दास का कहना है कि जेल के 435 कैदी अब तक कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें कार्यकर्ता और किसान नेता अखिल गोगोई भी शामिल हैं.
शरजील इमाम को बिहार के जहानाबाद से 28 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. इमाम पर जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से संबंधित भड़काऊ भाषण देकर जामिया में दंगे भड़काने का आरोप है.
शरजील इमाम पर दिल्ली पुलिस ने 29 अप्रैल को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून यूएपीए लगाया था. इमाम पर आईपीसी की धारा 124ए और 153ए सहित कई धाराओं में मामला दर्ज है.
To the list of political prisoners who got Covid-19 while imprisoned on false charges by the Modi regime, add Sharjeel Imam. A student. Whose life is in danger because the Modi regime is weoponising the pandemic to turn prisons into death camps for political undertrial prisoners. https://t.co/IO8UIIbGFx
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) July 21, 2020
सीपीआईएमएल पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन ने ट्वीट कर कहा, शरजील इमाम की जान खतरे में है क्योंकि मोदी सरकार महामारी को राजनीतिक अंडर ट्रायल कैदियों के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करके जेल को मौत का कैंप बनाना चाहती है.
असम मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) ने सोमवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर कोरोना महामारी के परिदृश्य में जेल में बंद कैदियों और उनकी स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए हैं.