दिल्ली दंगाः अदालत ने कहा- आरोपियों ने व्यक्तिगत पहचान भूलकर केवल भीड़ की तरह काम किया

दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने फरवरी में हुए दंगों में मारे गए दो भाइयों की हत्या के मामले में 11 आरोपियों के ख़िलाफ़ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की. हिंसा के दौरान आमिर और उसके भाई हाशिम की हत्या कर दी गई थी.

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(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने फरवरी में हुए दंगों में मारे गए दो भाइयों की हत्या के मामले में 11 आरोपियों के ख़िलाफ़ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की. हिंसा के दौरान आमिर और उसके भाई हाशिम की हत्या कर दी गई थी.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः दिल्ली की एक स्थानीय अदालत का कहना है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान दो भाइयों की हत्या के आरोपी 11 लोगों ने अपनी व्यक्तिगत पहचान भूलकर भीड़ की तरह काम किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत का कहना है कि आरोपियों ने मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया.

अदालत ने आगे कहा कि जय श्रीराम और हर हर महादेव जैसे पवित्र नारे, जिन्हें जीत के जयघोष से जोड़ा जाता है, ने उनके दिमाग को शिथिल किया और उनकी सोच-समझ को पंगु कर दिया.

अदालत ने यह टिप्पणी दंगों में मारे गए आमिर खान की हत्या के मामले में 11 आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए की.

अदालत आमिर के भाई हाशिम अली की हत्या के मामले पर अलग से सुनवाई करेगी.

पुलिस ने कहा, ‘आरोपी गुस्से से भरे हुए थे क्योंकि मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की कई खबरें प्रसारित हो रही थीं. ‘कट्टर हिंदुत्व एकता’ नाम से वॉट्सऐप ग्रुप को मुस्लिमों की हत्या करने की मंशा से बनाया गया था. इस ग्रुप में 125 सदस्य थे. जब भीड़ ने इन भाइयों पर हमला किया, वे घर से पांच मिनट की दूरी पर थे.’

चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने अपने आदेश में कहा, ‘प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और जांच के बाद प्रथमदृष्टया पता चला है कि आरोपियों ने हत्या की साजिश रची थी. तथ्यों से स्पष्ट है कि मुस्लिमों से बदला लेने के लिए इलाके के कुछ युवा इस प्रोपेगैंडा में छिपी मूर्खता को समझ नहीं पाए और खुद को अपने समुदाय का रक्षक मानते हुए यह वॉट्सऐप ग्रुप बनाया. इस समूह के सदस्यों ने अपना व्यक्तित्व भूलकर भीड़ की तरह काम किया. जय श्रीराम और हर हर महादेव जैसे पवित्र नारे, जिन्हें जीत के जयघोष से जोड़ा जाता है, ने उनके दिमाग को शिथिल किया और उनकी सोच-समझ को पंगु कर दिया.’

अदालत ने कहा कि 26 फरवरी को भागीरथ विहार की पुलिया पर आरोपी भीड़ इकट्ठा कर रहे थे.

अदालत ने कहा, ‘इसके बाद भीड़ दंगाइयों में बदल गई और दंगों के दौरान इन्होंने मोबाइल फोन लूट लिए और निर्मम तरीके से आमिर की हत्या कर दी और सबूत नष्ट करने के लिए इन्होंने आमिर के शव को नाले में फेंक दिया. यह भी पता चला है कि अवैध रूप से भीड़ जमा करने का मकसद सिर्फ हत्या करना नहीं बल्कि सभी सबूतों को नष्ट करना भी था. इन सभी आरोपियों ने सक्रिय रूप से शव को नाले में फेंका. इसमें कोई संदेह नहीं है कि आरोपी इस साजिश में गर्दन तक डूबे हुए थे और इस समूह के सक्रिय सदस्य थे.’

अदालत ने आदेश में कहा, ‘लोगों के एक समूह के साजिश रचने, बदला लेने के लिए इकट्ठा होने और धर्म के आधार पर लोगों को निशाना बनाने के मामले में संबद्ध कानून के प्रावधानों का उल्लेख चार्जशीट में किया जाना चाहिए था.’

इस मामले में आरोपियों की पहचान लोकेश कुमार सोलंकी, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, अंकित चौधरी, प्रिंस, ऋषभ चौधरी, जतिन शर्मा, विवेक पांचाल, हिमांशु ठाकुर, पवन कुमार और ललित कुमार के रूप में हुई है.

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