राजस्थान में हुई ईडी की इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने कहा कि जब राज्य में सरकार गिराने में केंद्र की चालें असफल हो गईं, तो ईडी के छापे शुरू हो गए, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)ने कथित उर्वरक घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बुधवार को देशभर में की गई छापों की कार्रवाई के तहत राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के परिसरों में भी छापे मारे. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
ईडी के कर्मियों के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान भी थे ,जिन्हें जोधपुर जिले के मंदोर इलाके में गहलोत के फार्महाउस और आवास पर तैनात देखा गया.
ये छापे ऐसे वक्त में मारे जा रहे हैं जब मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. पायलट को हाल ही में उपमुख्यमंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि छापे की ये कार्रवाई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत के परिसरों में की जा रही है जो कि बीज और उर्वरक कंपनी अनुपम कृषि के प्रमोटर हैं.
छापे की कार्रवाई पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आपने इस देश में ‘रेड राज’ पैदा किया है. लेकिन हम इससे डरने वाले नहीं हैं.’
उन्होंने कहा कि जब केंद्र की चालें राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को गिराने में असफल हो गईं तो गहलोत के बड़े भाई के परिसरों में ईडी के छापे शुरू हो गए.
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने राज्य में कम से कम छह स्थानों पर छापे मारे हैं, जिसमें एक कांग्रेस के पूर्व सांसद का परिसर भी शामिल है, उन पर अग्रसेन गहलोत के साथ व्यापारिक संबंध होने का आरोप है.
उन्होंने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी राजस्थान के अलावा पश्चिम बंगाल (दो), गुजरात (चार) और दिल्ली (एक) में कम से कम 13 स्थानों पर छापे मार रही है.
यह कदम तब उठाया गया है जब एजेंसी ने 2007-09 के सीमा शुल्क विभाग के किसानों को रियायती म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) देने में कथित अनियमितताओं के मामले में आपराधिक प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दाखिल की थी.
इस मामले की जांच 2013 में पूरी हुई थी. अधिकारियों ने कहा कि इन छापों का मकसद धोखाधड़ी के मामले के साक्ष्य जुटाना है. कहा जाता है कि धोखाधड़ी कर यह मामला करीब 60 करोड़ रुपये का है.
सूत्रों का कहना है कि अग्रसेन गहलोत और उनकी कंपनी कथित उर्वरक मामले में सात करोड़ रुपये के सीमा शुल्क जुर्माने का सामना कर रही है.
बता दें कि इससे पहले 13 जुलाई को ईडी ने राजस्थान में जयपुर के एक पांच सितारा होटल सहित कई जगहों पर छापेमारी की था.
इस पांच सितारा होटल के मुख्य निवेशक रतनकांत शर्मा पर पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि वे गहलोत के बेटे वैभव के लिए मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं.
ईडी ने यह छापेमारी उस जानकारी के मिलने के बाद शुरू की था, जिसमें उसे पता चला था कि विदेशी प्रबंधन अधिनियम, 1999 के नियमों का उल्लंघन करते हुए मॉरीशस के रास्ते से काला धन लाया गया है.
वहीं, 13 जुलाई को ही कांग्रेस की राजस्थान इकाई के उपाध्यक्ष राजीव अरोड़ा और धर्मेंद्र राठौड़ के घर और दफ्तरों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा था कि तीन समूहों के जयपुर में 20 परिसरों पर, कोटा में छह, दिल्ली में आठ और मुंबई में नौ ठिकानों पर तलाशी और सर्वे अभियान चलाया गया था.
अधिकारियों ने बताया था कि दिल्ली और राजस्थान में ओम मेटल्स इन्फ्राप्रोजेक्ट्स, राजस्थान कांग्रेस के नेता राजीव अरोड़ा के जयपुर स्थित आम्रपाली ज्वेल्स तथा जयपुर में एक आलीशान होटल के प्रमोटर आर के शर्मा तथा एक अन्य कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौर के परिसरों पर छापे मारे गए थे.
अधिकारियों ने बताया था कि तलाशी के बाद करीब 12 करोड़ रुपये नकद और डेढ़ करोड़ रुपये के गहने जब्त किए गए.
अधिकारियों ने बताया कि जिन कारोबारी समूहों पर छापे मारे गए, उनके मुख्य कर्ताधर्ताओं को सम्मन जारी किये जाएंगे. उन्होंने कहा कि उनके व्यापार के बारे में और जानकारी जुटाने तथा जब्त सामग्री से उनका सामना कराने के लिए पूछताछ जरूरी है.
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी खींचतान के दौरान केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की छापेमारी के बीच ही 19 जुलाई को अशोक गहलोत सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत ‘आम सहमति’ के प्रावधान को रद्द कर दिया, जो राज्य में सीबीआई जांच के लिए आवश्यक होती है.
अब केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई को किसी मामले की जांच के लिए अब राज्य सरकार की पूर्व सहमति लेनी होगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)