यह हैदराबाद का मामला है. मृतक एक दिहाड़ी मज़दूर थे, उनकी पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शव दिलवाने की गुहार लगाई है. अस्पताल प्रबंधन ने इन आरोपों का खंडन किया है.
हैदराबाद: एक महिला ने तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख कर आरोप लगाया कि उनके पति की कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई है और एक निजी अस्पताल ने बिल बकाया होने की वजह से शव नहीं दिया है.
महिला दिहाड़ी मजदूर हैं और उन्होंने रिट याचिका में अदालत से राहत का अनुरोध किया है.
महिला के पति चौकीदार थे. उन्हें 13 जुलाई को तेज बुखार तथा सांस लेने में परेशानी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
महिला ने याचिका में कहा कि अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें सूचित किया कि उनके पति की कोरोना वायरस से कारण 22 जुलाई को मौत हो गई.
महिला के वकील ने बताया कि याचिका को सूचीबद्ध कर दिया गया है.
याचिकाकर्ता के अनुसार, उन्होंने उधार लेकर शुरू में 2.50 लाख रुपये जमा कर दिए थे और 22 जुलाई को अस्पताल ने उन्हें बताया कि इलाज का कुल बिल 8.91 लाख रुपये है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरोप है कि महिला द्वारा जमा किए 2.50 लाख रुपये की अग्रिम राशि में कटौती के बाद अस्पताल अधिकारियों ने उससे 6.41 लाख रुपये का भुगतान करके अपने पति का शव ले जाने के लिए कहा था.
महिला ने उच्च न्यायालय से मांग की है कि अस्पताल के कार्यों को अवैध, मनमाना घोषित करे. साथ ही अनुरोध किया है कि अस्पताल प्रशासन बिल भुगतान पर जोर दिए बिना उसके पति के शव को सौंपने का निर्देश दे.
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में राज्य और केंद्र सरकारों को अन्य उत्तरदाताओं के रूप में नामित किया है.
इस बीच कॉन्टिनेंटल अस्पताल (हैदराबाद) के सीईओ राहुल मेदाक्कारिन ने एक बयान में इन आरोपों का खंडन किया है.
उन्होंने कहा, ‘अस्पताल के सभी डॉक्टरों ने मरीज को बचाने के लिए 11 दिन आईसीयू में रखकर देखभाल की. सभी प्रयासों के बावजूद भी मरीज को नहीं बचा पाए.’
डॉक्टर ने कहा, ‘हम रोगी के परिवार के साथ सहानुभूति रखते हैं, लेकिन इस तरह के आरोप हमारे कर्मचारियों और डॉक्टरों के लिए बहुत निराशाजनक और अपमानजनक हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)