भीमा कोरेगांव मामला: एनआईए अदालत ने आनंद तेलतुम्बड़े की जमानत याचिका ख़ारिज की

लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े ने यह कहते हुए ज़मानत मांगी थी कि वे 90 से अधिक दिनों से हिरासत में हैं लेकिन उनके ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर नहीं किया गया है. अदालत ने इसे ख़ारिज कर दिया.

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सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े. (फोटो साभार: ट्विटर)

लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े ने यह कहते हुए ज़मानत मांगी थी कि वे 90 से अधिक दिनों से हिरासत में हैं लेकिन उनके ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर नहीं किया गया है. अदालत ने इसे ख़ारिज कर दिया.

सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े. (फोटो साभार: ट्विटर)
सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े. (फोटो साभार: ट्विटर)

मुंबईः एलगार मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े की जमानत अर्जी को यहां एक विशेष एनआईए अदालत ने शुक्रवार को खारिज कर दिया.

तेलतुम्बड़े ने सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत 13 जुलाई को इस आधार पर जमानत मांगी थी कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अनिवार्य 90 दिन के अंदर उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई.

इस तरह की जमानत को कभी-कभी डिफॉल्ट जमानत भी कहा जाता है. विशेष न्यायाधीश डीई कोठलीकर ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी.

बता दें कि 12 जुलाई को अदालत ने तेलतुम्बड़े के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए एनआईए को 90 दिनों का और समय दिया था.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर तेलतुम्बड़े ने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद  एनआईए ने उन्हें 14 अप्रैल को गिरफ्तार किया था.

एनआईए अदालत ने इससे पहले मामले में एक अन्य आरोपी गौतम नवलखा की भी ऐसी ही जमानत अर्जी खारिज कर दी थी.

मालूम हो कि एक जनवरी 2018 को वर्ष 1818 में हुई कोरेगांव-भीमा की लड़ाई को 200 साल पूरे हुए थे. इस दिन पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव नाम के गांव में दलित समुदाय के लोग पेशवा की सेना पर ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की जीत का जश्न मनाते हैं.

पुलिस का आरोप है कि नवलखा समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद में भड़काऊ भाषण दिए, जिसकी वजह से अगले दिन भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी.

जेल में बंद नौ अन्य नागरिक अधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों के साथ तेलतुम्बड़े पर कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है.

उन पर यूएपीए के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)