सीबीआई की विशेष अदालत बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 32 आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है. वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने बयान में कहा कि वे मस्जिद ढहाने की साज़िश में किसी भी तरह शामिल नहीं थे और राजनीतिक कारणों से मामले में अनावश्यक रूप से घसीटे गए.
लखनऊ: भाजपा नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष शुक्रवार को अपने बयान दर्ज कराए.
भाजपा नेता ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने बयान दर्ज कराए. इससे पहले गुरुवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने बयान दर्ज कराए थे.
लाइव लॉ के मुताबिक, आडवाणी ने विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष मस्जिद गिराने की साजिश में किसी भी तरह से शामिल होने से इनकार किया.
उन्होंने कहा कि जांच राजनीतिक दबाव में की गई थी और आरोप पत्र गढ़े गए सबूतों के आधार पर तैयार किया गया था.
साल 1992 की घटना से संबंधित कुछ वीडियो क्लिपिंग, समाचार पत्रों की रिपोर्ट और अन्य सबूतों की सामग्री के बारे में सवाल करने पर आडवाणी ने उन्हें राजनीतिक प्रभाव और वैचारिक मतभेदों के कारण पूरी तरह से गलत और झूठा करार दिया.
जब न्यायाधीश ने कारसेवकों को उनके कथित भड़काऊ भाषण के बारे में सबूतों का हवाला दिया तो उन्होंने कहा कि सबूत झूठे थे और जांचकर्ताओं ने राजनीतिक दुर्भावना के लिए और राजनीतिक प्रभाव के तहत वीडियो कैसेट और समाचार पत्रों को शामिल किया.
जिसमें 24 अक्टूबर, 1990 को प्रकाशित एक अंग्रेजी समाचार पत्र के आधार पर सीबीआई के गवाह द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के एक टुकड़े को भी संदर्भित किया, जो ‘आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफ्तार ‘शीर्षक के साथ था.
इस संस्करण में विश्व हिंदू परिषद और अन्य संगठनों के नेताओं द्वारा उनकी गिरफ्तारी के विरोध में भारत बंद का आह्वान करने का समाचार भी दिया गया था.
इस संस्करण में शिवसेना नेता बालासाहेब ठाकरे का बयान भी था कि ‘बंद शांतिपूर्ण होगा.’ उसके बाद भी कुछ कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़ इसे क्षतिग्रस्त कर दिया. कुछ कारसेवकों की 10 अक्टूबर, 1990 को पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई.
इस पर आडवाणी ने जवाब दिया कि गिरफ्तारी के तथ्य को छोड़कर, अन्य बयान झूठे हैं और राजनीतिक दुर्भावना और वैचारिक मतभेदों को एक रंग देने के कारण जांच में शामिल किया गया है.
उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से निर्दोष हैं और राजनीतिक कारणों से मामले में अनावश्यक रूप से घसीटे गए. साथ ही उन्होंने कहा कि वह कार्यवाही के उचित चरण में अपना बचाव प्रस्तुत करेंगे.
सीबीआई ने इससे पहले आडवाणी के साथ अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें निर्दोष मानते हुए मामले से आरोपमुक्त कर दिया था.
उसके बाद सीबीआई की एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने 2017 में उन्हें साजिश के आरोपों पर मुकदमे का सामना करने का निर्देश दिया था.
गौरतलब है कि अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने ढहा दी थी. उनका दावा था कि मस्जिद की जगह पर राम का प्राचीन मंदिर हुआ करता था.
राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों में आडवाणी और जोशी भी शामिल थे.
सीबीआई विशेष अदालत इस मामले में सभी 32 आरोपियों के बयान सीआरपीसी की धारा 313 के तहत दर्ज कर रही है. इससे पहले भाजपा नेता उमा भारती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह इस मामले में अपने बयान दर्ज करा चुके हैं.
मालूम हो कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल 40 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद नौ नवंबर को बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज करते हुए हिंदू पक्ष को जमीन देने को कहा था.
आने वाले पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण लिए एक भव्य ‘भूमि पूजन’ कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आडवाणी सहित राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)