मामला बिलासपुर ज़िले का है. ज़िला कलेक्टर ने बताया कि गांव के पुराने पंचायत भवन में लगभग 60 गायों को बंद करके रखा गया था. दुर्गंध फैलने पर जब कमरा खोला गया, तब 43 गायों की मौत हो चुकी थी.
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में पंचायत भवन के एक कमरे में बंद गायों में से 43 की मौत हो गई है.
बिलासपुर जिले के कलेक्टर सारांश मित्तर ने शनिवार को यहां बताया कि जिले के तखतपुर विकासखंड के अंतर्गत मेड़पार ग्राम पंचायत में गायों की मौत की जानकारी मिली है.
कलेक्टर ने बताया कि जानकारी मिली है कि गांव के पुराने पंचायत भवन में लगभग 60 गायों को बंद करके रखा गया था. जब वहां दुर्गंध फैली तब ग्रामीणों ने इसकी सूचना स्थानीय अधिकारियों को दी.
अधिकारी ने बताया कि सूचना के बाद स्थानीय अधिकारी और मवेशियों के चिकित्सक वहां पहुंचे तब तक 60 में से 43 गायों की मौत हो चुकी थी.
कलेक्टर मित्तर ने बताया कि गायों के पोस्टमार्टम से जानकारी मिली है कि गायों की मौत दम घुटने से हुई है. 17 गायों की हालत स्थिर है. पोस्टमार्टम के बाद गायों के शवों को दफना दिया गया है.
कलेक्टर ने बताया कि जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है कि क्यों गायों को एक कमरे में बंद कर दिया गया था.
दैनिक भास्कर के अनुसार, आरोप है कि पंचायत प्रतिनिधियों की लापरवाही के चलते इतनी बड़ी संख्या में गायों की मौत हुई है.
मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. वहीं कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सरपंच, सचिव, जनपद सदस्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए कलेक्टर को निर्देश दिए हैं.
वहीं तखतपुर से विधायक और संसदीय सचिव रश्मि सिंह गायों की मौत की सूचना पर निरीक्षण करने के लिए पहुंचीं.
उन्होंने कहा कि इस गोठान का सरकार की रोका-छेका योजना या अन्य किसी योजना से कोई संबंध नहीं है. स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों ने स्वयं इसकी व्यवस्था की थी.
उन्होंने कहा कि सरपंच ने बताया कि दो दिन पहले ही पशुओं के मालिक से उन्हें ले जाने के लिए कहा गया था, लेकिन वे नहीं आए. इस मामले में जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
विधायक रश्मि सिंह ने कहा कि गायों की मौत दम घुटने से हुई है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने गायों के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की है.
इसमें गोधन न्याय, रोका-छेका योजनाओं शामिल हैं. इसमें गायों के लिए गोठान और गोबर खरीदी भी शामिल है. गो-पालक किसानों से दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदने को मंजूरी दी गई है.
गोबर खरीदी योजना को हरेली पर्व 20 जुलाई से शुरू किया गया है. राज्य में अब तक 5,300 गोठान स्वीकृत किए जा चुके हैं जिनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 2,408 और शहरी क्षेत्रों में 377 गोठान बन चुके हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)