जनवरी 2019 में सीबीआई के तत्कालीन अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव सीबीआई अधिकारी एके बस्सी का तबादला अंडमान निकोबार किया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा कि बस्सी इस मामले को लेकर उचित विभाग के सामने जाएं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार के बाद सीबीआई अधिकारी एके बस्सी ने अपनी उस याचिका को वापस ले ली, जिसमें उन्होंने सीबीआई के तत्कालीन अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव द्वारा उनका तबादला पोर्ट ब्लेयर में किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी.
बस्सी ने 21 जनवरी 2019 को अपने तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि यह फैसला दुर्भावना से प्रेरित है और इससे सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच प्रभावित होगी.
बस्सी के तबादले का आदेश 11 जनवरी 2019 को जारी हुआ था. उनकी याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी. रामासुब्रमनियन की पीठ ने बस्सी को ये इजाजत दी कि वे अपनी शिकायत को लेकर उचित विभाग के पास जाएं.
लाइव लॉ के मुताबिक, सुनवाई के दौरान सीजेआई बोबडे ने ये हैरानी जताई कि आदेशों के बावजूद बस्सी ने अंडमान के पोर्ट ब्लेयर में अपनी पोस्ट जॉइन नहीं की है.
सीबीआई अधिकारी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि उनका गलत ढंग से तबादला किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के आठ जनवरी 2019 के आदेश का उल्लेख करते हुए धवन ने कोर्ट को बताया कि उनके तबादले का आदेश वापस ले लिया गया था. कोर्ट ने उन्हें इजाजत दी थी कि वे अपनी शिकायत दायर कर सीबीआई के साथ मामले का हल निकालें.
धवन ने आगे बताया, हालांकि नागेश्वर राव ने 10 जनवरी की रात को सीबीआई के अंतरिम निदेशक का पद संभाला और इस आदेश को जारी रखा.
इस पर कोर्ट ने कहा, ‘भले ही वह आदेश गैरकानूनी हो, उसे खारिज किया जाना था. आदेश में कहां कहा जा रहा है कि हम तबादला आदेश को अवैध मानते हैं?’
धवन द्वारा उल्लेख किए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीजेआई ने कहा, ‘हमने अपने आदेश में कहीं भी आपको संरक्षण नहीं दी है. किस वजह से आपने पोस्ट जॉइन नहीं की?’
इस पर राजीव धवन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले का हल सीबीआई के साथ निकाला जाना चाहिए, लेकिन इस आदेश को लागू किए बिना तबादले के आदेश को जारी रखा गया.
इस बीच सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि तबादला आदेश को एक उपयुक्त विभाग के समक्ष चुनौती दी जानी चाहिए.
इस पर धवन ने कहा कि वे केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सीएटी) जाएंगे, लेकिन उन्होंने कोर्ट से मांग की कि वे एके बस्सी को चार्जशीट से संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए.
धवन ने कोर्ट को बताया कि बस्सी के खिलाफ दायर चार्जशीट में ये भी सवाल उठाया गया है कि उन्होंने एजेंसी से इजाजत लिए बिना सर्वोच्च न्यायालय में याचिका क्यों दायर की थी.
हालांकि इस संबंध में कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी, लेकिन याचिकाकर्ता से कहा कि वे अपनी याचिका वापस ले लें और उचित विभाग के सामने जाएं.
मालूम हो कि सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़े विवाद के बीच वर्मा को निदेशक पद से हटा दिया गया था.
वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए एम. नागेश्वर राव के आदेश पर एके बस्सी का अंडमान व निकोबार द्वीप के पोर्ट ब्लेयर में तबादला कर दिया गया था और उन्हें वहां सीबीआई की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा का डिप्टी एसपी नियुक्त किया गया था.
बस्सी राकेश अस्थाना के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे थे और उन्होंने कोर्ट में दायर अपील में कहा था कि अगर उनका दबादला किया जाता है तो जांच प्रभावित होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की एक लंबी बैठक के बाद 10 जनवरी 2019 को आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया गया था.