एनआईए द्वारा गिरफ़्तार किए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ़्तार होने वाले बारहवें शख़्स हैं. इससे पहले इस मामले के संबंध में पुणे पुलिस ने सितंबर 2019 में उनके नोएडा स्थित घर पर छापेमारी की थी.
नागपुरः राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में मंगलवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को गिरफ्तार किया है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू को बुधवार को मुंबई में एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा.
National Investigation Agency (NIA) has arrested accused Hany Babu Musaliyarveettil Tharayil in connection with Bhima Koregaon case. He will be produced before NIA Special Court at Mumbai tomorrow.
— ANI (@ANI) July 28, 2020
हेनी बाबू 12वें शख्स हैं, जिन्हें भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया गया है.
हेनी बाबू की पत्नी जेनी रोवेना ने द वायर को बताया, ‘बाबू (54) को 23 जुलाई को एनआईए के समक्ष पेश होने को कहा गया था. तब से लेकर आज दोपहर लगभग 4.30 बजे तक उन्हें गिरफ्तार किए जाने तक हर दिन घंटों पूछताछ होती रही.’
हेनी बाबू से इन बीते छह दिनों की सख्त पूछताछ के दौरान उनसे संपर्क में रही रोवेना कहती हैं, ‘एनआईए उनसे फरवरी और अप्रैल 2019 के बीच उनके कंप्यूटर में मौजूद डिस्क पार्टीशन के बारे में पूछती रही.’
रोवेना कहती हैं, ‘बाबू एनआईए अधिकारियों को लगातार बताते रहे कि उन्होंने यह पार्टीशन नहीं बनाया है, लेकिन अधिकारी कहते रहे कि यह कंप्यूटर में मौजूद हैं और इसमें 62 फाइलें हैं, जिनमें माओवादी आंदोलन में उनकी कथित भागीदारी को लेकर उनके अपराध को साबित करने वाली कुछ जानकारियां हैं.’
डिस्क पार्टीशन से अर्थ कंप्यूटर में सेकेंडरी स्टोरेज में एक या उससे ज्यादा जगह पर फाइल रखने से है.
रोवेना का कहना है कि एनआईए से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बाबू का रिकॉर्ड बहुत बेदाग है, लेकिन ऐसी संभावना है कि किसी ने उनके लैपटॉप में उन्हें मामले में फंसाने वाली सामग्री प्लांट की हो.
रोवेना कहती है, ‘अधिकारी उनसे (बाबू) लगातार पूछ रहे थे कि क्या उन्हें अपने छात्रों, साथ काम करने वालों या और किसी पर शक है. वे (एनआईए) चाहते थे कि इस मामले में और लोगों को फंसाया जाए. एनआईए का आरोप है कि बाबू भीमा कोरेगांव मामले में सह साजिशकर्ता हैं और माओवादियों की विचारधारा और गतिविधियों का प्रचार कर रहे थे.’
इससे पहले बाबू ने एनआईए के समन को उत्पीड़न करार देते हुए कहा था, ‘वे मुझे महामारी के बीच में मुंबई आने को कह रहे हैं. यह मेरे लिए ही नहीं बल्कि मेरे परिवार के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है. मैं नोएडा में रहता हूं और दिल्ली में ही यात्रा करने में कई तरह की बाधाएं हैं.’
इससे पहले 10 सितंबर 2019 को पुणे पुलिस ने हेनी बाबू के उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित घर पर छापेमारी की थी. छापेमारी के बाद बाबू ने बताया था कि पुलिस के पास छापा मारने का वारंट तक नहीं था.
The Modi Govt. has unleashed a war on Intellectuals and activists who are critical of their policies and politics.
We must raise our voice demanding the immediate and unconditional release of DU Prof. Hany Babu who was arrested today in the Elgar Parishad case.#ReleaseHanyBabu https://t.co/VhMiwyYUZn
— AISA (@AISA_tweets) July 28, 2020
बाबू की गिरफ्तारी की खबर के बाद ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ट्वीट कर कहा, ‘मोदी सरकार ने उन बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है, जो उनकी नीतियों और राजनीति के आलोचक हैं. हमें एलगार परिषद मामले में आज गिरफ्तार किए गए डीयू के प्रोफेसर हेनी बाबू की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग के लिए हमारी आवाज उठानी चाहिए.’
गौरतलब है कि पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को कोरेगांव भीमा युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से पहले एल्गार सम्मेलन आयोजित किया गया था.
पुलिस के मुताबिक इस कार्यक्रम के दौरान दिये गए भाषणों की वजह से जिले के कोरेगांव-भीमा गांव के आसपास एक जनवरी 2018 को जातीय हिंसा भड़की थी.
एनआईए ने एफआईआर में 23 में से 11 आरोपियों को नामजद किया है, जिनमें कार्यकर्ता सुधीर धावले, शोमा सेन, महेश राउत, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाड़लिंग, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा हैं.
तेलतुम्बड़े और नवलखा को छोड़कर अन्य को पुणे पुलिस ने हिंसा के संबंध में जून और अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया था.
(सुकन्या शांता के इनपुट के साथ)