83 वर्षीय कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ ने सुप्रीम कोर्ट में अगस्त 2019 से अपने घर में नज़रबंद होने को चुनौती दी थी. प्रशासन के इससे इनकार करने पर कोर्ट ने यह याचिका निरस्त कर दी. इसके कुछ घंटो बाद सोज़ एक वीडियो में श्रीनगर में अपने घर के गेट पर दिखे, जहां पुलिसकर्मी उन्हें बाहर निकलने या मीडिया से बात करने से रोक रहे थे.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर सैफुद्दीन सोज की कथित नजरबंदी को लेकर दायर याचिका का बुधवार को निस्तारण कर दिया.
इससे पहले, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने न्यायालय से कहा कि सोज कभी भी नजरबंद नहीं थे.
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने जम्मू कश्मीर प्रशासन के बयान को रिकॉर्ड में शामिल करके 83 वर्षीय सोज की पत्नी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण कर दिया.
प्रशासन ने अपने बयान में कहा कि सैफुद्दीन सोज के आने जाने पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है.
सोज की पत्नी मुमताजुन्निसा सोज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘अगस्त के महीने में एक दिन आप मुझे नजरबंद करते हैं और अब अपने जवाबी हलफनामे में वे कहते हैं कि मैं आजाद व्यक्ति हूं.’
इस पर पीठ ने कहा कि जिस अवधि में सोज के नजरबंद होने की बात कही जा रही है, उस दरमियान उन्होंने बाहर भी यात्रा की है. सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस के यह वरिष्ठ नेता बीमार थे और सिर्फ इलाज के सिलसिले में उन्होंने यात्रा की थी.
इस पर पीठ ने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन का कहना है कि सोज के लिए कभी भी कोई नजरबंदी आदेश जारी ही नहीं किया गया और इसलिए जवाबी हलफनामे के मद्देनजर इस याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता.
न्यायालय ने सोज की पत्नी की याचिका पर बीते आठ जून को जम्मू कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा था. इस याचिका मे पिछले साल पांच अगस्त से सोज को नजरबंद किये जाने को चुनौती दी गई थी.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के कुछ ही घंटे बाद एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया कि सोज को पुलिसवालों ने श्रीनगर स्थित उनके आवास ने बाहर निकलने या मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं दी.
Watch | Saifuddin Soz kept behind locked gates in his home, shouts "Let Supreme Court see how I am being detained" pic.twitter.com/nhRi1LE0Vf
— NDTV (@ndtv) July 29, 2020
रिपोर्टर के पहुंचने पर बंद गेट और तार के बैरिकेड के पीछे से सोज पुलिसवाले पर चिल्लाते हुए कहते हैं, ‘जब मैं नजरबंद हूं तो सुप्रीम कोर्ट में सरकार कैसे कह सकती है कि सोज़ मुक्त हैं.’
उन्होंने कहा, ‘5 अगस्त, 2019 से जब भी मैं अपने परिसर से बाहर गया मुझे सरकार से अनुमति लेनी पड़ी. अब मैंने 5 अगस्त, 2019 से अपनी गैरकानूनी नजरबंदी के लिए सरकार पर मुकदमा चलाने का फैसला किया है. नागरिक स्वतंत्रता के अतिक्रमण और अवैध निलंबन के लिए मैं सरकार पर मुआवजे के लिए मुकदमा करुंगा जिसके लिए मैं संविधान के तहत हकदार हूं.’
इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बात करते हुए सोज ने कहा, ‘मैं गेट पर हूं, मैं अपनी बेटी से मिलना चाहता हूं और लेकिन पुलिस मुझे जाने नहीं दे रही है. वे कह रहे हैं कि उन्हें कोई आदेश नहीं मिला है (उन्हें बाहर जाने देने के लिए). उन्हें कब आदेश मिलेगा?’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)