अहमदाबाद में पहले ही एक अधिसूचना जारी कर बक़रीद के मौक़े पर पशु वध को लेकर प्रतिबंध लगाया गया है. अब हाईकोर्ट ने कहा कि इसी तरह का आदेश पूरे राज्य में जारी किया जाया.
नई दिल्ली: एक अगस्त को बकरीद आयोजन से पहले गुजरात हाईकोर्ट ने बीते गुरुवार को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक या निजी स्थानों, मोहल्ले या गली में किसी भी जानवर की बलि नहीं देगा.
कोर्ट का यह आदेश अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर द्वारा जारी उस अधिसूचना के अनुरूप है, जिसमें सार्वजनिक रूप से पशुओं के वध पर रोक लगाई गई है और कहा गया है कि कोई भी इस तरह से बलि नहीं देगा कि ये किसी अन्य व्यक्ति को दिखाई दे.
लाइव लॉ के मुताबिक, अब अदालत ने कहा है कि अहमदाबाद में पहले से ही जारी की गई अधिसूचना राज्यभर में भी जारी की जानी चाहिए.
राजकोट निवासी यश शाह नामक व्यक्ति द्वारा जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर बकरीद के त्योहार को विनियमित करने और 31 जुलाई 2020 से एक अगस्त 2020 के बीच बकरी/भेड़/भैंस के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा था कि ऐसे मांस के सेवन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जिसे पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा खपत के लिए उपयुक्त नहीं माना गया हो.
उन्होंने कहा कि वर्तमान महामारी की स्थिति के संबंध में पशुओं के वध पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए. याचिका में कहा गया कि हर साल बकरीद के मौके पर रोड, फुटपाथ और सार्वजनिक स्थलों पर पशुओं का वध किया जाता है. इसकी वजह गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
हालांकि इस जनहित याचिका का विरोध करते हुए राज्य के एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने कहा कि 25 जुलाई को अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर द्वारा जारी अधिसूचना में याचिकाकर्ताओं के चिंताओं को पहले ही शामिल कर लिया गया है.
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और जस्टिस जेबी पर्दीवाला की पीठ ने इस मामले में संतुष्टि जाहिर की और कोई अतिरिक्त आदेश जारी करने से मना कर दिया.
हालांकि पीठ ने निर्देश दिया, ‘हम सिर्फ इतना कह सकते हैं कि इस तरह को नोटिफिकेशन राज्य के अन्य हिस्सों में जल्द से जल्द जारी किया जाए. इसी आधार पर गुजरात राज्य भर में संबंधित जिलों के सभी पुलिस अधीक्षकों द्वारा इसी तरह की अधिसूचना जारी की जानी चाहिए.’