महाराष्ट्र कांग्रेस का कहना है कि राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी बलदेव सिंह के ख़िलाफ़ पद के दुरुपयोग के आरोपों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग की जांच लंबित होने के बावजूद बीते साल विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले उनकी नियुक्ति की गई.
मुंबई: पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी भाजपा से जुड़ी एजेंसी को दिए जाने के आरोपों का सामना कर रहे महाराष्ट्र मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईओ) की नियुक्ति प्रक्रिया पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे गए पत्र में प्रदेश कांग्रेस सचिव और पार्टी प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, नियुक्ति को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया पर गंभीर सवाल हैं.
1989 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी बलदेव सिंह इस समय महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हैं.
राज्य में चुनाव से तीन महीने पहले पिछले साल जुलाई में उनकी नियुक्ति की गई थी. उनकी नियुक्ति राज्य में उन्हें वापस भेजे जाने के तुरंत बाद हुई थी.
सावंत ने आरोप लगाया कि मुख्य सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 11 मई, 2018 को सिंह के खिलाफ अपने पद और ताकत का गलत फायदा उठाने के आरोपों पर जांच का आदेश दिया था.
उस दौरान वे मुंबई स्थित केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के सांताक्रूज इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग जोन (एसईईपीजेड) में विकास आयुक्त थे.
सावंत ने कहा, ‘इस संबंध में सीवीसी द्वारा आदेशित सतर्कता जांच लंबित है.’ उन्होंने आगे कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने भी इसी मामले में एसईईपीजेड के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक आदेश पारित किए थे.
वहीं सिंह ने अपने ऊपर लगाए गए इन आरोपों को दुखद, शरारतपूर्ण और भ्रामक बताया.
आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘ये बिल्कुल झूठ, गलत और भ्रामक आरोप हैं. वर्तमान सीईओ के एसईईपीजेड विकास आयुक्त के रूप में नियुक्त होने से पहले निर्दिष्ट किए गए पूंजी कार्यों को ठेकेदार को आवंटित किया गया था. ठेकेदार को सभी भुगतान भी पूर्ववर्ती अधिकारियों द्वारा जारी किए गए थे. इस संबंध में सभी विवरण सक्षम अधिकारियों के साथ साझा किए गए हैं.’
सीईओ के कार्यालय ने कांग्रेस द्वारा जारी 3 जुलाई, 2020 के केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के आधिकारिक दस्तावेज का भी हवाला दिया और कहा कि इसमें सीईओ के नाम का उल्लेख नहीं है.
नियमों के अनुसार, भारत का चुनाव आयोग राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पैनल में से एक मौजूदा सिविल सेवा अधिकारी को इस पर नियुक्त करता है.
पिछले साल जब सिंह की नियुक्ति हुई तब भाजपा सत्ता में थी. सिंह की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने पूछा कि अगर तत्कालीन राज्य सरकार लंबित जांच के बारे में जानती थी तो क्या उसने चुनाव आयोग को इस बारे में बताया था.
उसने यह भी पूछा कि क्या चुनाव आयोग ने सीवीसी से इस बारे में सलाह ली थी.
बता दें कि इससे पहले सिंह के कार्यकाल ने उन आरोपों को खारिज कर दिया था कि विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार के काम के लिए भाजपा से जुड़ी किसी एजेंसी की नियुक्ति की गई थी. हालांकि, इसके बाद भी कांग्रेस ने चुनाव आयोग से जांच की मांग की है.
गौरतलब है कि आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने पिछले सप्ताह ट्वीट कर आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने विधानसभा चुनाव से पहले आयोग का सोशल मीडिया संभालने के लिए भाजपा की आईटी सेल को नियुक्त किया था.
इस पर चुनाव आयोग ने सिंह के कार्यकाल से जवाब देने को कहा है.
गोखले के आरोपों के आधार पर कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सोशल मीडिया एजेंसी के माध्यम से मतदाताओं के आंकड़े और उनकी पहचान भाजपा को उपलब्ध कराए गए. हालांकि, सिंह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.