रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि प्रमुख नीतिगत दरों को यथावत रखा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम करने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए जब तक जरूरत है तब तक मौद्रिक नीति का स्थायी रुख बना रहेगा.
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. रेपो दर को 4 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा गया है. हालांकि आरबीआई ने भविष्य में इसमें कटौती के संकेत दिए हैं.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि प्रमुख नीतिगत दरों को यथावत रखा गया है.
उन्होंने केंद्रीय बैंक ने रुख को उदार बनाए रखकर कोविड-19 संकट से पीड़ित अर्थव्यवस्था की मदद के लिए जरूरी होने पर भविष्य में कटौती का संकेत दिया.
…improve the flow of credit, deepen digital payment systems and facilitate innovations by leveraging technology: RBI Governor Shaktikanta Das
— ANI (@ANI) August 6, 2020
गवर्नर शक्तिकांत दास ने केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए कहा कि रेपो दर को चार प्रतिशत पर यथावत रखा गया है.
रेपो दर, वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों (कॉमर्शियल बैंक) को अल्पावधि के लिए नकदी या कर्ज उपलब्ध कराता है.
इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत के स्तर पर बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि एमपीसी ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में मतदान किया और वृद्धि को समर्थन देने के लिए उदार रुख को जारी रखने की बात कही.
इसके अलावा शक्तिकांत दास ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक रहने का अनुमान है.
Taking into consideration all factors, the GDP growth in the first half of the year is estimated to remain in the contraction zone. For the year 2020-21 as a whole, real GDP growth is also estimated to be negative: Reserve Bank of India (RBI) Governor Shaktikanta Das pic.twitter.com/lc43RZRs0x
— ANI (@ANI) August 6, 2020
दास ने कहा कि आरबीआई संभवत: दुनिया का एकमात्र ऐसा केंद्रीय बैंक है जिसने आवश्यक विभागों के कामकाज को जारी रखने के लिए विशेष क्वारंटीन सुविधा तैयार किया है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम करने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए जब तक जरूरत है तब तक मौद्रिक नीति का स्थायी रुख बना रहेगा. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि मुद्रास्फीति सीमा के भीतर ही बनी रहे.
आरबीआई ने इससे पहले 22 मई को अपनी नीतिगत दर में संशोधन किया था, जिसके बाद ब्याज दर रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)