बीते चार महीनों में जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार अपने भाषणों में कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिक रवैया रखने की बात करते नज़र आए, वहीं उन्हीं की पार्टी के नेता और मंत्री इस महामारी को लेकर सर्वाधिक ऊटपटांग बयान, अवैज्ञानिक और हास्यास्पद तर्क देते रहे हैं.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बीते रविवार को कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इसी दिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी खुद के संक्रमित होने की घोषणा की.
तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित में भी संक्रमण की पुष्टि रविवार को ही हुई. इसी दिन खबर आई कि उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और सिंचाई मंत्री महेंद्र सिंह भी संक्रमण का शिकार हो गए हैं.
वहीं, यूपी की ही तकनीकी शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण ने तो कोरोना के चलते दम ही तोड़ दिया.
भाजपा नेताओं में कोरोना संक्रमण पाए जाने की यह तो केवल रविवार दो अगस्त की खबरें हैं. इससे पहले भी देश भर से लगातार भाजपा नेताओं के संक्रमण की चपेट में आने की खबरें आती रही हैं.
कुछ ही दिन पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी संक्रमित पाए गए थे. राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी संक्रमित हो चुके हैं.
मध्य प्रदेश में तो आलम यह है कि प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश प्रभारी सुहास भगत समेत सरकार में मंत्री अरविंद भदौरिया, ओमप्रकाश सकलेचा, तुलसी सिलावट और अनेक विधायक कोरोना का शिकार बन चुके हैं.
लगातार देश के विभिन्न राज्यों से भाजपा नेताओं के संक्रमित पाए जाने की खबरें आ रही हैं. हरियाणा के हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल भाजपा की महासचिव व हुगली सांसद लॉकेट चटर्जी और राजस्थान में भाजपा के सहयोगी दल आएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल और राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाला मीणा इनमें प्रमुख नाम हैं.
गौर करने वाली बात है कि देश में इस पूरे कोरोना कालखंड के दौरान कोरोना के इलाज संबंधी नुस्खे, इस संक्रमण को सामान्य बीमारी बताने वाली टिप्पणियां और संक्रमण फैलाने के लिए विभिन्न तबकों को दोषी ठहराने वाले बयान भी सबसे अधिक भाजपा नेताओं की तरफ से ही दिए गए हैं.
इस कड़ी में कभी कोई भाजपा नेता गोमूत्र को कोरोना का इलाज बता रहा था, तो कभी कोई कोरोना को महामारी मानने से इनकार कर रहा था.
कभी देश में फैले संक्रमण के लिए पूरे तौर पर तब्लीगी जमात के लोगों को जिम्मेदार ठहराकर उन्हें जाहिल सुअर बोला जा रहा था.
इसलिए जब आज पार्टी के दिग्गज नेता आलीशान निजी अस्पतालों में संक्रमण का इलाज करा रहे हैं तो सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक पर यह चर्चा है कि इलाज के जो नुस्खे और सावधानियां वे जनता को बता रहे थे, क्या स्वयं उन्होंने उनका पालन नहीं किया?
अब तो जमाती भी नहीं है तो फिर कैसे भाजपा के नेता संक्रमण का शिकार हो रहे हैं?
इसी कड़ी में कोरोना को लेकर भाजपा नेताओं के लापरवाह बयानों और दावों की सूची देखने लायक है, जो बताती है कि जब जनप्रतिनिधियों का ही महामारी को लेकर असंवेदनशील और अवैज्ञानिक रवैया हो, तो आमजन को इसके बारे कैसे जागरूक किया जा सकता है.
गौरतलब है कि भारत में पहला कोरोना संक्रमित मरीज 30 जनवरी 2020 को मिला था, लेकिन संक्रमण को लेकर भारत सरकार ने पहली बार गंभीरता, तब दिखाई जब 22 मार्च को देश में ‘जनता कर्फ्यू’ लगा था.
उससे पहले तक भाजपा नेता कोरोना को मानो एक मजाक के तौर पर ले रहे थे. जबकि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार कोरोना के खतरे को लेकर आगाह कर रहे थे.
राहुल की इस मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के सांसद हनुमान बेनीवाल ने राहुल और गांधी परिवार को ही कोरोना भारत लाने का जिम्मेदार ठहरा दिया था.
लोकसभा में बेनीवाल कहते नजर आए, ‘कोरोना के मरीज इटली से आए हैं. मेरा कहना है कि सबसे पहले राहुल जी ने पूछा (कोरोना के बारे में), तो कहीं ये इनके घर से ही तो नहीं आया. सोनिया गांधी और इनकी और पूरे परिवार की जांच हो.’
विडंबना ही है कि गांधी परिवार का तो कोई सदस्य अब तक कोरोना संक्रमित नहीं पाया गया है जबकि बेनीवाल स्वयं संक्रमित होकर अस्पताल में हैं.
गाय, गोबर, गोमूत्र पार्टी
उसी दौरान 4 मार्च को उत्तर प्रदेश के लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने दावा किया था, ‘कोरोना मेरी विधानसभा में नहीं घुस सकता क्योंकि लोनी शहर में गायों की संख्या सबसे ज्यादा है.’
उन्होंने दावा किया था, ‘जहां गाय होती है, वहां किसी भी तरह का वायरस नहीं आ सकता. गाय एक चलती-फिरती डॉक्टर है.’
गौरतलब है कि उस समय देश में कोरोना के केवल 28 मरीज थे. आज मरीजों की संख्या 20 लाख के करीब है, वो भी तब जब पूरे देश में गायों की पूजा की जाती है.
गाय में कोरोना का इलाज खोजने वाले नंदकिशोर तब पहले भाजपाई नहीं थे और न ही आखिरी. उनसे पहले भाजपा विधायक सुमन हरिप्रिया भी गोमूत्र और गाय के गोबर में कोरोना का इलाज खोज चुकी थीं.
उन्होंने असम विधानसभा के अंदर कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि गाय का गोबर काफी फायदेमंद होता है. जैसै गोमूत्र के छिड़काव से कोई जगह शुद्ध हो जाती है… मुझे लगता है कि इसी तरह गोमूत्र और गाय के गोबर से कोरोना वायरस भी ठीक हो सकता है.’
उस दौरान कुछ ऐसे ही उद्गार उत्तराखंड के भाजपा विधायक संजय गुप्ता ने भी व्यक्त किए थे. उनका दावा था कि हवन–यज्ञ और गोमूत्र-गोबर का प्रयोग कोरोना का इलाज है.
उन्होंने कहा था, ‘हमारी हिंदू संस्कृति विश्व की महान संस्कृति है. हवन-पूजन में जिस सामग्री का उपयोग होता है, वह वातावरण से हानिकारक तत्वों को चुटकियों में नष्ट करने की ताकत रखती है. इसी प्रकार गोमूत्र सेवन और प्रभावित स्थान पर गोबर के प्रयोग से भी कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है. गाय पृथ्वी का सबसे पवित्र और चमत्कारिक जीव है. उसके हर अंश में अमृतमयी औषधियां बसी हैं.’
गोमूत्र की बात करें तो, कोरोना वायरस का वैक्सीन भले ही अब तक न बना हो, लेकिन भाजपाइयों ने एक समय गोमूत्र को ही कोरोना का वैक्सीन मान लिया था. लोगों को कोरोना से बचाने के लिए वे गोमूत्र पार्टी का आयोजन कर रहे थे.
पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ता द्वारा आयोजित की गई ऐसी ही एक पार्टी में गोमूत्र के सेवन से एक व्यक्ति के बीमार होने के बाद भाजपा कार्यकर्ता की गिरफ्तारी तक की गई थी.
उत्तरी कोलकाता के भाजपा कार्यकर्ता नारायण चटर्जी ने पार्टी में दावा किया था कि गोमूत्र के सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है और पहले से संक्रमित लोग भी इससे ठीक हो जाएंगे.
यह घटना 16 मार्च की थी, इससे पहले 14 मार्च को भाजपा के ही सहयोगी संगठन अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भी दिल्ली में गोमूत्र पार्टी का आयोजन किया था.
कहा जाता है कि ठोकर खाकर आदमी संभल जाता है लेकिन यह बात भाजपा नेताओं पर लागू नहीं होती, कम से कम गोमूत्र को कोरोना का इलाज बताने के मामले में तो बिल्कुल ही नहीं.
बंगाल में पार्टी कार्यकर्ता की गिरफ्तारी के अगले ही दिन उत्तराखंड के भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट गोमूत्र से कोरोना के इलाज का एक और हास्यास्पद तरीका खोज लाए.
उन्होंने दावा किया, ‘यदि कोरोना से बचना है तो रोज सुबह दो चम्मच गोमूत्र पिएं. साथ ही गाय के गोबर की राख को पानी में मिलाकर उसे छानकर तैयार किए गए पानी से नहाएं.’
आज की दिनोंदिन बदतर होती स्थिति में ऐसा लगता है कि स्वयं भाजपा नेताओं ने भी यह नुस्खे नहीं आजमाए.
संक्रमण का गढ़ इंदौर और कैलाश विजयवर्गीय के ‘कोरोना पछाड़ हनुमान’
बहरहाल, यह तो बात हुई नेताओ के नुस्खों की, लेकिन, इलाज तो तब होगा जब बीमारी होगी.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय तो यह मानकर चल रहे थे कि भारत में कोरोना असर दिखा ही नहीं सकता क्योंकि यहां 33 करोड़ देवी-देवता रहते हैं.
लेकिन, फिर भी ऐहतियातन उन्होंने इसका इलाज भी खोजा था और जो इलाज उन्होंने बताया था, वो उनके ही शब्दों में इस तरह था, ‘कोरोना वायरस हमारा कुछ नहीं कर सकता है क्योंकि हमारे यहां जो हनुमान हैं उनका नाम मैंने कोरोना पछाड़ हनुमान रख दिया है.’
लेकिन जब 33 करोड़ देवी-देवताओं के होते हुए भी कोरोना के चलते देश में लॉकडाउन लगाना पड़ा और संक्रमितों की संख्या ‘दिन दूनी, रात चौगुनी’ बढ़ने लगी तो विजयवर्गीय कोरोना से मुक्ति के लिए आठ दिनों के मौन व्रत पर बैठ गए.
33 करोड़ देवी-देवता, कोरोना पछाड़ हनुमान और मौन व्रत के बावजूद भी एक समय विजयवर्गीय का शहर इंदौर, देश में संक्रमितों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर था और वर्तमान में भी मध्य प्रदेश का सर्वाधिक संक्रमित शहर बना हुआ है.
संक्रमण के साथ फैलती गई सांप्रदायिकता
इतने नुस्खों के बाद भी जब कोरोना देश में फैल ही गया था, तो अब उसके फैलने के कारणों को ढूंढना भी जरूरी था. इस मामले में भी भाजपा नेता पीछे नहीं रहे.
राहुल गांधी तो शुरू से ही उनके लिए ‘कोरोना कैरियर’ की तरह रहे. कोरोना नहीं फैला था तो हनुमान बेनीवाल और जब फैल गया तो सांसद साध्वी प्राची ने इसके लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहरा दिया.
मार्च माह में साध्वी प्राची ने कहा, ‘इटली से लौटे राहुल गांधी ने देश में कोरोना फैलाया है, उन्हें कोरोना पर बोलने का अधिकार नहीं है.’
यहां सवाल उठता है कि आज जब अमित शाह से लेकर येदियुरप्पा और शिवराज सिंह चौहान संक्रमित होने के बाद सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग अपना कोरोना टेस्ट करा लें, तो क्या इन सभी भाजपा नेताओं को कोरोना फैलाने का जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए?
क्या अब साध्वी प्राची यह कहने का साहस दिखाएंगी कि भाजपा नेताओं ने कोरोना फैलाया है, उन्हें कोरोना पर बोलने का अधिकार नहीं है?
इसी तरह एक समय भाजपा नेताओं ने संक्रमण के प्रसार का सारा दोष दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों पर मढ़ दिया था.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते नजर आए, ‘भोपाल-इंदौर में जमातियों के कारण संक्रमण फैला.’
कर्नाटक की भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे ने तो मरकज के आयोजन को जमातियों की ‘कोरोना जिहादी योजना’ करार दे दिया था, जिसके तहत वे जानबूझकर देशभर में संक्रमण फैलाने का षड्यंत्र कर रहे थे.
वहीं, हिमाचल प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष राजीव बिंदल ने तो जमातियों को ‘मानव बम’ की संज्ञा दे दी थी.
उन्होंने कहा था, ‘केंद्र और राज्य सरकारों ने कोरोना वायरस से निपटने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. लेकिन तब्लीगी जमात के सदस्यों सहित कुछ लोग ‘मानव बम’ की तरह घूमकर सारे प्रयासों पर पानी फेर रहे हैं.’
इस पर सबसे अधिक विवादित बयान तो हरियाणा से भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुकीं अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहलवान बबिता फोगट ने दिया था.
उन्होंने ट्विटर पर तब्लीगी जमात पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘फैला होगा तुम्हारे यहां चमगादड़ों से, हमारे यहां जाहिल सुअरों से फैला है.’
इस बेहद ही निम्न स्तर के बयान का किसी भी भाजपा नेता ने विरोध तो नहीं किया बल्कि अनेक भाजपा नेता बबिता के समर्थन में उतर आए थे.
हकीकत तो यह थी कि उस समय भाजपा शासित जिस भी प्रदेश में कोरोना फैला, वहां की सरकार और स्थानीय भाजपा नेताओं ने इसके लिए तब्लीगी जमात को ही जिम्मेदार ठहरा दिया था.
यह अप्रैल के शुरुआती हफ्ते की तब की बात है जब देश में रोजाना सामने आने वाले मामलों की संख्या महज कुछ सैकड़ा भर थी और कुल मरीजों की संख्या चंद हजार.
बीते हफ्ते भर से रोज़ 50 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं, कुल संक्रमितों का आंकड़ा बीस लाख से ऊपर पहुंच चुका है और सुर्खियों में तब्लीगी जमात नहीं, देश भर के भाजपा नेता हैं जो अपील कर रहे हैं कि हमारे संपर्क में आने वाले लोग कोरोना टेस्ट करा लें.
वहीं, भारत विश्व का तीसरा सबसे अधिक संक्रमित देश बन चुका है. तो इन हालातों में संक्रमण को फैलाने का दोष किस पर मढ़ा जाए?
क्या भाजपा नेताओं ने जैसे शब्द जमातियों के लिए प्रयोग किए, वर्तमान में वैसे ही शब्द अपने शीर्ष नेतृत्व के लिए प्रयोग कर सकते हैं?
उदाहरण के लिए, जिस तरह जमातियों को सरकारी प्रयासों पर पानी फैरने वाला ‘मानव बम’ बताया गया था, उसी तरह मध्य प्रदेश में उपचुनाव में जीत के लिए भाजपा नेता जो सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रखकर लगातार रैलियां और सभाएं करके भीड़ जुटा रहे हैं और फिर संक्रमित निकल रहे हैं, तो क्या वे ‘मानव बम’ की कसौटी पर खरे नहीं उतरते?
बबिता फोगट अपने ही नेताओं के लिए अब क्या कहेंगी? वैसे, जब विवाद मुसलमानों से संबंधित हो और भाजपा नेता आतंकवाद का जिक्र न करें, यह संभव ही नहीं.
बिहार के मुजफ्फरपुर से भाजपा सांसद अजय निषाद ने जमातियों को आतंकी बताते हुए उनके साथ आतंकियों जैसा सुलूक करने की सरकार से मांग कर डाली थी.
साथ ही, मुस्लिम समुदाय को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा, ‘मदरसों में बच्चों को शुरू से ही कट्टरपंथी और गलत शिक्षा दी जाती है. मदरसा सिर्फ पंचर बनाना सिखाता है, इसलिए इन लोगों ने महामारी को विकराल बना दिया.’
कहा जाता है कि भाजपा नेता मुस्लिमों के खिलाफ बोलने के अवसर तलाशते हैं. इस आपदा में भी उन्होंने अवसर ढूंढ़ ही लिए.
अप्रैल माह में यूपी के देवरिया विधायक सुरेश तिवारी ने बयान दिया कि लोग मुस्लिम सब्जी वालों से सब्जी न खरीदें तो कोरोना से बचे रहेंगे.
अपने बयान के समर्थन में उन्होंने कहा था, ‘मुस्लिम अपनी सब्जी पर पहले थूकते हैं, फिर उसे बेचते हैं. क्षेत्र में जब मैं दौरा कर रहा था तब यह सारी बातें मुझे पता चलीं.’
इलाज से इम्युनिटी तक रामबाण बना गोमूत्र
बहरहाल, जब देश में संक्रमण फैलने लगा और गाय, गोबर व गोमूत्र इलाज बनने में विफल साबित हुए तो भाजपा नेताओं ने इन्हें ‘इम्युनिटी बूस्टर’ के तौर पर स्थापित करने के प्रयास शुरू कर दिए.
यूपी के बलिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने दावा किया, ‘मैं 30 सालों से नियमित गोमूत्र का सेवन कर रहा हूं, आज तक कभी बुखार नहीं आया. यदि लोग रोज 10 एमएल गोमूत्र पीएं, तुलसी के दस पत्ते चबाएं और रात को सोने से पहले गुनगुने पानी में दो चम्मच हल्दी का सेवन करें तो कोई रोग परेशान नहीं कर सकता.’
इसी तरह पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष दिलीप घोष भी गोमूत्र के शोधकर्ता की भूमिका निभा चुके हैं. उन्होंने दावा किया था, ‘गोमूत्र रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.’
इस दावे पर प्रश्न खड़ा करने वालों की तुलना उन्होंने गधे से करते हुए कहा था, ‘गधे कभी भी गाय की अहमियत नहीं समझेंगे. यह भारत है, भगवान श्रीकृष्ण की धरती. यहां गाय पूजते हैं. हमें स्वस्थ रहने के लिए गोमूत्र पीना चाहिए. जो शराब पीते हैं, वो कैसे एक गाय की अहमियत को समझेंगे.’
दिलीप घोष ने यह बयान मई माह में दिया था. डेढ़ महीने बाद बंगाल में उन्हीं की सहयोगी संगठन महासचिव और सांसद लॉकेट चटर्जी संक्रमित पाई गईं..
भले ही भाजपा नेताओं ने गोमूत्र, कोरोना पछाड़ हनुमान, मौन व्रत, यज्ञ आदि के माध्यम से कोरोना की वैक्सीन बनाने में सफलता न पाई हो लेकिन कोरोना के इलाज और खात्मे को लेकर उनके शोध अभी भी जारी हैं.
गो कोरोना, कोरोना गो बैक
5 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर देश में दीपक जलाने थे, उस दिन तेलंगाना के गोशमहल विधायक राजा सिंह लॉकडाउन होने के बावजूद भी सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रखकर, सड़क पर मशाल जूलूस लेकर, कोरोना को जलाकर मारने के लिए निकल पड़े और ‘चायना वायरस’ गो बैक के नारे लगाए.
वहीं, बलिया विधायक सुरेंद्र सिंह के मुताबिक, ‘सभी पॉजिटिव मरीज बलिया आ गए तो दो दिनों में ठीक हो जाएंगे. बलिया की स्थिति ऐसी है कि एक तरफ गंगा है, एक तरफ घाघरा (नदी) है. दो दिन में कोरोना मरीज ठीक हो जाएगा.’
इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस की एनकाउंटर वाली गोलियां सुर्खियों में रही हैं. शायद इसी को ध्यान में रखकर राज्य के लोनी विधायक नरेंद्र सिंह गुर्जर ने पुलिस की गोली से भी कोरोना का एनकाउंटर करने का इंतजाम कर लिया था.
लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के संबंध में उन्होंने कहा था, ‘लॉकडाउन की अनदेखी करने वाले किसी आतंकवादी से कम नहीं हैं. लोनी में बिना पुलिस को सूचित किए और अनुमति लिए कोई बाहर निकले तो पुलिस ऐसे देशद्रोही की टांग तोड़ दे. तब भी न माने तो टांग में गोली मार दी जाए. ये लोग देशद्रोही हैं.’
गोली मारने वाले पुलिस वाले को 5,100 रुपये का इनाम और प्रमोशन के लिए सरकार को पत्र लिखने की बात भी उन्होंने कही थी.
यहां कल्पना करें कि यदि यह नियम पूरे देश में लागू किया जाता तो जनता बाद की बात है, भाजपा के कितने नेताओं को पुलिस की गोली खानी पड़ती?
मध्य प्रदेश में सरकार गिराते वक्त, सदन में बहुमत साबित करते वक्त, मंत्रिपरिषद के गठन के समय, उपचुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, संगठन के नेता रोज लॉकडाउन का उल्लंघन करते रहे. कर्नाटक के मुख्यमंत्री शादियों में फोटो खिंचाते रहे. क्या सबको गोली मारी जाती?
यह कहा जाता है कि गीत-संगीत भी किसी मर्ज के इलाज के लिए एक थैरेपी की तरह काम कर सकते हैं. भाजपा नेताओं ने कोरोना के इलाज में इस थैरेपी को भी आजमाया.
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राज्यसभा सांसद और वर्तमान एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने तो बकायदा एक कविता लिखकर भारत से कोरोना को भगाने का इंतजाम किया था.
कविता थी, ‘गो कोरोना… कोरोना गो.’
मध्य प्रदेश से सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने भी भजन-कीर्तन के सहारे अठावले जैसा ही एक आध्यात्मिक प्रयास किया.
उन्होंने कोरोना को समाप्त करने के लिए 25 जुलाई से 5 अगस्त तक रोज शाम 7 बजे 5 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने की देशवासियों से अपील की थी. जिसका समापन 5 अगस्त को भगवान राम की आरती के साथ घर में दीप जलाकर करना था.
यानी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही देश से कोरोना का खत्म हो जाना था, जो बदकिस्मती से हुआ तो नहीं, लेकिन कम से कम भाजपा नेता तो ऐसा ही मानते हैं.
मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा और राजस्थान से सांसद जसकौर मीणा, दोनों ही यह बात कह चुके थे कि अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर बनने के बाद कोरोना खत्म हो जाएगा.
वैसे कोरोना महामारी से लड़ने का अब तक का सबसे आसान तरीका पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल लेकर आए.
उन्होंने 24 जुलाई को ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत ‘भाभी जी पापड़’ लॉन्च करते हुए दावा किया कि यह कोरोना संक्रमण से लड़ने में बहुत मददगार साबित होगा.
क्या बस भगवान का ही सहारा है?
भाजपा नेताओं के इन व्यक्तिगत प्रयासों और शोध के बीच सरकार भी पीछे नहीं रही. भारत में गोमूत्र के बाद गंगाजल ही है जिसे हर मर्ज की दवा माना जाता है.
जब किसी भाजपा नेता को गंगाजल में फल (इलाज) खोजने का ख्याल नहीं आया, तो स्वयं केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय आगे आया.
उसने आईसीएमआर को कोरोना मरीजों के इलाज में गंगाजल के उपयोग पर चिकित्सीय अनुसंधान करने संबंधी एक प्रस्ताव भेजा. हालांकि, यह प्रस्ताव आईसीएमआर ने खारिज कर दिया था.
भले ही विश्व भर में कोरोना से दो करोड़ लोग संक्रमित हो गए हों, सात लाख से अधिक लोग जान गंवा चुके हों, डब्ल्यूएचओ इसे महामारी बता रहा हो, फिर भी हमें घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि विधायक सुरेंद्र सिंह के अनुसार यह महामारी नहीं है.
उनके शब्दों में कहें तो, ‘कोरोना महामारी नहीं है, क्योंकि महामारी उसे कहते हैं जो तूफान की तरह आए और मारकर चली जाए.’
खैर, कोरोना के इलाज और रोकथाम की तो बात हो गई लेकिन इस सवाल का जवाब अभी भी बाकी है कि आखिर विश्व भर में कोरोना फैला कैसे?
डब्ल्यूएचओ और चीन साथ मिलकर जल्द ही इस पर वैज्ञानिक शोध करने जा रहे हैं. लेकिन, सांसद साक्षी महाराज यह खोज महीनों पहले कर चुके हैं.
उन्होंने बताया था कि नॉनवेज के सेवन के कारण कोरोना फैल रहा है. देश में संक्रमण प्रसार के शुरुआती दिनों में उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था, ‘ऐसे-ऐसे देश हैं जो 170 प्रकार का नॉनवेज खा रहे हैं. चमगादड़ को नहीं छोड़ रहे, चूहे को नहीं छोड़ रहे, सुअर को नहीं छोड़ रहे, कुत्ते को नहीं छोड़ रहे. चमगादड़ खाएंगे, चूहे खाएंगे तो उनको तो कोरोना होगा ही, साक्षी महाराज को नहीं होगा.’
यदि केंद्र और राज्य सत्ताओं में आसीन भाजपा नेताओं ने ऐसे असंवेदनहीन बयानों और हास्यास्पद तर्कों के सहारे कोरोना को नकारने या कम न आंका होता, तो शायद संक्रमण के बारे में आम जनमानस अधिक गंभीर होता और बीमारी की वृद्धि दर कम होती.
यहां गौर करने वाली बात है कि भारत में लॉकडाउन की शुरुआत तब हो गई थी जब संक्रमित मरीजों की संख्या सैकड़ा भर भी नहीं थी.
दो महीने के लॉकडाउन के बावजूद यदि आज एक दिन में पूरे विश्व में सबसे अधिक मरीज भारत में निकल रहे हैं, तो सिर्फ इसलिए कि हमारे जनप्रतिनिधियों ने इस महामारी को उतनी गंभीरता से ही नहीं लिया, जितनी की जरूरत है.
इसलिए वर्तमान हालातों में कर्नाटक की भाजपा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बी. श्रीरामुलू का यह असहाय सा, लेकिन विवादित बयान ही भारत की हकीकत जान पड़ता है, ‘हमें कोरोना वायरस से सिर्फ भगवान ही बचा सकते हैं.’
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)