संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद रोधी कार्यालय के प्रमुख ने बताया कि इस साल की पहली तिमाही में जालसाज़ी करने वाली वेबसाइटों में भारी वृद्धि हुई है. ज़्यादातर ने अस्पतालों व स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को निशाना बनाया और कोविड-19 वैश्विक महामारी की दिशा में काम को बाधित किया.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद रोधी कार्यालय के प्रमुख ने जानकारी दी है कि इस साल की पहली तिमाही में जालसाजी करने वाली (फिशिंग) वेबसाइटों में 350 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
इनमें से ज्यादातर ने अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को निशाना बनाया तथा कोविड-19 वैश्विक महामारी की दिशा में उनके काम को बाधित किया है.
संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद रोधी कार्यालय के प्रमुख व्लादिमीर वोरोनकोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि जालसाजी करने वाली इन साइटों में बढ़ोतरी, हाल के महीनों में साइबर अपराधों में हुई जबरदस्त वृद्धि का हिस्सा है, जिसकी जानकारी संयुक्त राष्ट्र में पिछले महीने आयोजित पहले आतंकवाद रोधी सप्ताह के दौरान डिजिटल कार्यक्रमों में वक्ताओं ने दी थी.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक विशेषज्ञ अब भी वैश्विक शांति और सुरक्षा तथा खासकर संगठित अपराध एवं आतंकवाद पर वैश्विक महामारी के परिणामों और असर को पूरी तरह समझ नहीं रहे हैं.
“In view of #UNODC’s broad criminal justice mandates addressing terrorism & organized crime, building the capacities to deal with these threats represents a key priority of our support to Member States” — Executive Director @GhadaFathiWaly. Full statement: https://t.co/mrTQidDhRM pic.twitter.com/o8V6nxPBIN
— UN Office on Drugs & Crime (@UNODC) August 6, 2020
वोरोनकोव ने कहा, ‘हम जानते हैं कि आतंकवादी डर, नफरत और विभाजन को फैलाने तथा अपने नए समर्थकों को कट्टर बनाने एवं नियुक्त करने के लिए कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुईं आर्थिक मुश्किलों एवं व्यावधान का फायदा उठा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘वैश्विक महामारी के दौरान इंटरनेट उपयोग और साइबर अपराध में हुई वृद्धि इस समस्या को और बढ़ाती है.’
उन्होंने बताया कि हफ्ते भर चली बैठक में 134 देशों, 88 नागरिक समाज एवं निजी क्षेत्र के संगठनों, 47 अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठनों और 40 संयुक्त राष्ट्र निकायों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
वोरोनकोव ने कहा कि चर्चा में एक साझा समझदारी एवं चिंता दिखी, ‘आतंकवादी नशीली दवाओं, सामानों, प्राकृतिक संसाधनों एवं प्राचीन वस्तुओं की तस्करी के साथ ही अपहरण, वसूली और अन्य जघन्य अपराधों को अंजाम देकर धन जुटा रहे हैं.’
व्लादिमीर वोरोनकोव ने स्पष्ट किया कि हाल के महीनों में साइबर अपराधों में बड़ा उछाल आया है और वर्ष 2020 की पहली तिमाही में फर्जी ईमेल भेजकर लोगों की निजी जानकारी चुराने वाली घटनाओं में 350 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई. अनेक मामलों में अस्पतालों व स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को निशाना बनाया गया.
बैठक में चिंता जताई गई कि आतंकवादी तत्व कोविड-19 के कारण बड़े पैमाने पर आए व्यवधान और विकट आर्थिक हालात का फायदा उठा रहे हैं और भय, नफरत, विभाजन फैलाने के साथ-साथ नए लोगों को भर्ती करने व कट्टरता फैलाने की कोशिशों में लगे हैं.
अनेक देशों ने बताया कि आतंकवादियों को संगठित आपराधिक गतिविधियों से फायदा मिलता है, जैसे कि मानव तस्करी, प्रवासियों की तस्करी, फिरौती के लिए अपहरण और गैरकानूनी नशीली दवाओं की तस्करी.
आपराधिक नेटवर्क राष्ट्रीय प्रशासनिक एजेंसियों की निगरानी से बचने के लिए अक्सर आतंकी गुटों के साथ सहयोग करने में दिलचस्पी रखते हैं.
अन्य वक्ताओं ने आतंकवाद और संगठित अपराध के बीच गठजोड़ से उपजे खतरे से निपटते समय जरूरत के अनुरूप कार्रवाई करने और मानवाधिकारों व बुनियादी आजादियों का सम्मान करने की अहमियत दोहराई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)