गुजरात काडर के 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (सेवानिवृत) जीसी मुर्मू का कैग के तौर पर कार्यकाल 20 नवंबर 2024 तक होगा. बीते पांच अगस्त को उन्होंने जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल पद से अचानक इस्तीफ़ा दे दिया था.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व उप-राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने शनिवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) का पद संभाल लिया. राष्ट्रपति भवन ने यह जानकारी दी.
राष्ट्रपति भवन की जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुर्मू ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के समक्ष पद की शपथ ली.
राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में आयोजित समारोह में मुर्मू ने कैग के रूप में शपथ ली.
विज्ञप्ति के अनुसार, गुजरात काडर के 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी (सेवानिवृत) मुर्मू का कैग के तौर पर कार्यकाल 20 नवंबर 2024 तक होगा.
कैग एक संवैधानिक पद है जिस पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के खातों की लेखा परीक्षा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी है. कैग की लेखा परीक्षा रिपोर्टों को संसद और राज्य विधानसभाओं में पेश किया जाता है.
मुर्मू ने राजस्थान काडर के 1978 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव महर्षि की जगह कैग का पदभार संभाला है, जिनका कार्यकाल सात अगस्त को पूरा हो गया.
60 वर्षीय मुर्मू 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने बीते पांच अगस्त को अचानक जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया. गौरतलब है कि बुधवार, पांच अगस्त को ही पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त किए जाने का एक साल पूरा हुआ था.
इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छह अगस्त को दिन में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल के पद से मुर्मू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश से भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को केंद्र शासित प्रदेश का नया उपराज्यपाल बनाया गया है.
मुर्मू को अक्टूबर, 2019 जम्मू कश्मीर का पहला उप-राज्यपाल नियुक्त किया गया था. जम्मू कश्मीर का उप-राज्यपाल नियुक्त किए जाने से पहले मुर्मू वित्त मंत्रालय में व्यय सचिव थे. वह नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री काल में उनके प्रधान सचिव भी रह चुके हैं.
मुर्मू का इस्तीफा मीडिया की खबरों पर एक विवाद के बाद आया जब उन्होंने कहा था कि केंद्र शासित क्षेत्र (जम्मू कश्मीर) में चुनाव वर्तमान में चल रहे परिसीमन अभ्यास के बाद हो सकते हैं. निर्वाचित सरकार के गिरने के बाद से जम्मू कश्मीर में दो साल में चुनाव नहीं हुए हैं.
बीते 28 जुलाई को चुनाव आयोग ने मुर्मू के जम्मू कश्मीर के चुनाव संबंधी उनके बयानों पर आपत्ति जताई थी. आयोग का कहना था कि संवैधानिक प्रावधानों में चुनावों का समय आदि तय करने के लिए केवल चुनाव आयोग ही अधिकृत है. इस प्रकार के बयान आयोग को मिले संवैधानिक अधिकारों में हस्तक्षेप करने के समान हैं.
जम्मू एवं कश्मीर राज्य का पिछले वर्ष 31 अक्टूबर में पुनर्गठन करते हुए उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था. इसके तहत जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान रखा गया जबकि लद्दाख में यह प्रावधान नहीं है.
सरकार ने इससे पहले परिसीमन आयोग का गठन कर जम्मू एवं कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में विधानसभा और संसदीय सीटों के पुन: परिसीमन की प्रक्रिया आरंभ की थी. परिसीमन विधानसभा व संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं का तय करने की प्रक्रिया है.
जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन कानून के मुताबिक, ‘केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभाओं की संख्या 107 से बढ़ कर 114 होगी.’
जम्मू एवं कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया के संदर्भ में एक सवाल के जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने हाल में बताया था कि इनमें से 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हैं. उन्होंने कहा था कि प्रभावी तौर पर राज्य विधानसभा की सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएंगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)