भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहिम का मामला उठाते हुए कहा कि वह पड़ोसी देश में पनाह लिए हुए है और पड़ोसी देश हथियारों की तस्करी और नारकोटिक्स कारोबार का हब बन गया है.
नई दिल्लीः भारत ने अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहिम के मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में उठाते हुए कहा कि आईएस जैसे खतरों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सामूहिक कार्रवाई करनी चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएनएससी में शुक्रवार को उच्चस्तरीय चर्चा के दौरान आतंकवाद और संगठित अपराध के बीच संबंधों से जुड़े मामलों को संबोधित करते हुए भारत ने कहा कि 1993 के मुंबई बम धमाकों के आरोपी को पड़ोसी देश (पाकिस्तान) में पनाह मिली हुई है.
भारत ने कहा कि पड़ोसी देश (पाकिस्तान) हथियारों की तस्करी और नारकोटिक्स कारोबार का हब बन गया है.
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित कई आतंकियों और आतंकवादी संगठनों को भी इस पड़ोसी मुल्क में पनाह मिली हुई है.
भारत ने अपने बयान में कहा, ‘एक संगठित अपराध सिंडिकेट डी-कंपनी जो सोने और जाली नोटों की तस्करी में शामिल था. वह 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों को अंजाम देकर रातोंरात एक आतंकी संगठन में बदल गया.’
बयान में कहा गया, ‘आईएसआईएस के खिलाफ कार्रवाई एक उदाहरण है कि किस तरह एक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ध्यान देने से बढ़िया नतीजे हासिल होते हैं. इसी तरह दाउद इब्राहिम और उनकी डी-कंपनी, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों और प्रतिबंधित लोगों से होने वाले खतरों के प्रति भी इसी तरह का ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, जिससे मानवता की भलाई होगी.’
बयान में कहा गया कि देशों को उनकी ऐसी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराना महत्वपूर्ण है, जिनसे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता हो या उनके नियंत्रण वाली जमीन से आतंकवाद पनपता हो. सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों से स्पष्ट हुआ है कि सदस्य देशों की यह प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह आतंकी घटनाओं को रोकें और उनकी आर्थिक मदद बंद करें.
बयान में यह भी कहा गया कि खराब शासन और खस्ताहाल वित्तीय संस्थानों से जूझ रहे देशों को आतंकी समूह और संगठित अपराधी आसानी से निशाना बना सकते हैं.
बयान में कहा गया, ‘वित्तीय और आर्थिक गवर्नेंस स्ट्रक्चर मजबूत करने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की सिफारिशें लागू करना आतंक से निपटने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए.’
यह भी कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र, एफएटीएफ जैसे निकायों के साथ समन्वय बढ़ाएगा, क्योंकि इनकी वैश्विक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग को रोकने में अहम भूमिका रही है.
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के साथ-साथ वित्तीय लेनदेन, एन्क्रिप्शन, परिवहन और वितरण के माध्यमों से संबंधित प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास के साथ सदस्य देशों को आतंकी समूहों, आतंकियों और संगठित अपराधियों के बीच जुड़े नए ट्रेंड की पहचान के लिए सतर्क रहना होगा.