शाह फ़ैसल ने जनवरी 2019 में सरकारी सेवा से इस्तीफ़ा देकर दो महीने बाद मार्च महीने में जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी का गठन किया था. बीते सोमवार को उन्होंने इस पार्टी के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर राजनीति छोड़ने का ऐलान करने वाले शाह फैसल ने कहा है कि कश्मीर एक नए राजनीतिक हकीकत से जूझ रहा है और वे यहां की जनता को कोई ऐसा सपना नहीं दिखाना चाहते हैं जिसे पूरा करने की उनके पास शक्ति नहीं है.
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से इस्तीफा देकर पिछले साल फैसल ने जेकेपीएम का गठन किया था और कश्मीर में एक वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था तैयार करने का आश्वासन दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में फैसल ने कहा कि उन्हें लेकर एक धारणा बना दी गई है कि वे एंटी-नेशनल हैं.
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में मेरे कुछ समस्याग्रस्त कथनों के कारण यह धारणा बना दी गई कि मैं एक राष्ट्र-विरोधी हूं, मेरे कुछ बयानों के कारण मैंने ऐसे बहुत से लोगों को निराश किया है जिनका मेरे प्रति अपार लगाव था. मैं इसे ठीक करना चाहता हूं.’
शाह फैसल ने कहा कि उन्हें इस बात का एहसास हुआ है कि राजनीति में रहते हुए जनता को सत्य बताना बहुत कठिन है. उन्होंने कहा, ‘मैं कश्मीरियों के बीच ऐसी उम्मीदें नहीं बढ़ाना चाहता था जो कि यथार्थ से बहुत परे हो.’
सरकारी नौकरी में लौटने के सवाल का सीधा जवाब देने से बचते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं और कुछ अच्छा करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि भविष्य में मेरे लिए क्या रखा है और मैं कहां जाऊंगा. मेरी रुचि शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, रोजगार के क्षेत्र में है और मैं इसमें योगदान देना चाहता हूं. ये एक नई दुनिया है और जम्मू कश्मीर के लिए मेरे कई सपने हैं. मैं नए सिरे से अपने जीवन की शुरुआत करना चाहता हूं और कुछ अच्छा करने की कामना है.’
फैसल ने कहा कि उनके लिए हिरासत एक ‘अत्यधिक सीखने का फेज’ साबित हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे एहसास हुआ कि अंत में आप बिल्कुल अकेले होते हैं. आपका परिवार सबसे ज्यादा पीड़ित होता है, जबकि विडंबना यह है कि जिनके लिए आप खड़े होते हैं, वहीं आपके दुख में आपके साथ नहीं होते हैं. हिरासत में मुझे ये एहसास हुआ कि मैं किसी और चीज के लिए बना हूं. मैं उन लोगों के लिए अपना जीवन को बर्बाद नहीं कर सकता, जो मेरे लिए रोएंगे भी नहीं.’
साल 2010 में आईएएस टॉप करने वाले शाह फैसल ने कहा, ‘मैंने इसलिए समय लिया कि कहीं ऐसा न हो कि राजनीति छोड़ने का निर्णय जल्दबादी में लिया गया फैसला साबित न हो जाए. मुझे बोलते हुए एक साल हो गया है.’
इस सवाल पर कि क्या जम्मू कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीति में उनके लिए कोई जगह है, फैसल ने कहा, ‘मुझे बिल्कुल पता नहीं है.’
फिलहाल ऐसी अटकलें लगाईं जा रही हैं कि फैसल फिर से सरकार में शामिल हो सकते हैं और उन्हें कोई बड़ा पद दिया जा सकता है.
हालांकि कुछ महीने पहले तक शाह फैसल जम्मू कश्मीर को लेकर नीतियों के संबंध में सरकार की मुखर होकर आलोचना कर रहे थे.
‘Constitution was murdered by these two super-men who have come to rule this country’- Shah Faesal after abrogation of Article 370. A year is a long time in the life of an individual it seems 🙂 pic.twitter.com/5b3MzHnWe8
— Sunanda Vashisht (@sunandavashisht) August 10, 2020
पिछले साल पांच अगस्त को राज्य का विशेष दर्जा खत्म किए जाने पर उन्होंने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘दो लोगों द्वारा संविधान की हत्या की गई है जो कि इस देश पर शासन कर रहे हैं. जो भी देश के लोकतंत्र और संविधान पर विश्वास करते आए हैं, उनके लिए ये एक बहुत बड़ा झटका है.’
मालूम हो कि शाह फैसल को पिछले साल अगस्त में उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब केंद्र ने तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था.
फैसल को पिछले साल 14 अगस्त को हिरासत में लिया गया था और उन पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन्हें इस साल जून में रिहा किया गया.
फैसल ने बीते रविवार को अपने ट्विटर बायो में बदलाव कर उसमें से राजनीतिक पार्टी से संबद्धता की बात हटा दी थी. ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि शाह फैसल एक बार फिर नौकरशाही में लौट सकते हैं.
फैसल के अलावा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद ने भी जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट में शामिल होने के साथ सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया था.
हालांकि, शेहला ने पिछले साल सितंबर में चुनावी राजनीति छोड़ने का ऐलान किया था.