बेरूत विस्फोट के बाद जनता के ग़ुस्से का सामना कर रही लेबनान सरकार ने इस्तीफ़ा दिया

चार अगस्त को लेबनान की राजधानी बेरूत के एक बंदरगाह पर भयानक विस्फोट हुआ था. इसमें कम से कम 160 लोगों की मौत हुई, जबकि 6,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे. साथ ही देश का मुख्य बंदरगाह और शहर का बड़ा हिस्सा बर्बाद हो गया. विस्फोट के बाद लेबनान में पिछले दो दिनों से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे.

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लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब. (फोटो: रॉयटर्स)

चार अगस्त को लेबनान की राजधानी बेरूत के एक बंदरगाह पर भयानक विस्फोट हुआ था. इसमें कम से कम 160 लोगों की मौत हुई, जबकि 6,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे. साथ ही देश का मुख्य बंदरगाह और शहर का बड़ा हिस्सा बर्बाद हो गया. विस्फोट के बाद लेबनान में पिछले दो दिनों से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे.

लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब. (फोटो: रॉयटर्स)
लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब. (फोटो: रॉयटर्स)

बेरूत: लेबनान की राजधानी बेरूत में पिछले सप्ताह बंदरगाह पर हुए धमाके और इसके बाद जनता में भड़के गुस्से एवं प्रदर्शनों के मद्देनजर लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब ने सोमवार को पद से इस्तीफा देने की घोषणा की. इससे कुछ देर पहले दियाब के मंत्रिमंडल ने भी इस्तीफा दे दिया था.

टीवी पर सोमवार को प्रसारित अपने संक्षिप्त भाषण में प्रधानमंत्री दियाब ने कहा कि वह ‘एक कदम पीछे’ जा रहे हैं ताकि वह लोगों के साथ खड़े होकर बदलाव की लड़ाई लड़ सके.

उन्होंने कहा, ‘मैंने आज इस सरकार से इस्तीफे का निर्णय लिया है. ईश्वर लेबनान की रक्षा करे.’

सोमवार को कैबिनेट बैठक समाप्त होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री हमद हसन ने पत्रकारों को इसकी जानकारी दी. हमद ने कहा, ‘पूरी सरकार ने इस्तीफा दे दिया है. प्रधानमंत्री हसन दियाब सभी मंत्रियों का इस्तीफा सौंपने के लिए राष्ट्रपति भवन जाएंगे.’

नई सरकार बनने तक दियाब कार्यवाहक सरकार चलाएंगे.

लेबनान सरकार ने यह फैसला तब लिया, जब कई मंत्रियों ने अपने पद से या तो इस्तीफा दे दिया था या फिर इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर की थी.

बेरूत विस्फोट के बाद लेबनान में पिछले दो दिनों से बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे, जिसमें सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े थे.

बीते चार अगस्त को राजधानी बेरूत के एक बंदरगाह पर भयानक विस्फोट हुआ था, जिसमें बंदरगाह और शहर का बड़ा हिस्सा पूरी तरह से बर्बाद हो गया. इसके बाद सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा भड़क उठा.

ऐसा माना जा रहा है कि 2,750 टन के अमोनियम नाइट्रेट के ढेर में विस्फोट होने से यह धमाका हुआ था.

वह विस्फोटक सामग्री लगातार दी जाने वाली चेतावनियों के बाद भी साल 2013 से ही बेहद कम सुरक्षा के साथ बंदरगाह के गोदाम में रखी गई थी.

इस विस्फोट के लिए जनता ने सत्ताधारी नेताओं के भ्रष्टाचार और लापरवाही को ठहराया.

विस्फोट में कम से कम 160 लोगों की मौत हुई, जबकि 6,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इसके साथ ही देश का मुख्य बंदरगाह और शहर का बड़ा हिस्सा बर्बाद हो गया.

विस्फोट से 10  से 15 बिलियन डॉलर तक के नुकसान का अनुमान लगाया गया है जबकि करीब तीन लाख लोग बेघर हो गए हैं.

वहीं, सोमवार को लेबनान के एक जज ने देश की सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों से पूछताछ शुरू कर दी.

सरकारी नेशनल न्यूज एजेंसी के अनुसार, सरकारी वकील घसन एल खौरी ने देश की सुरक्षा एजेंसी के प्रमुख मेजर जनरल टोनी सालिबा से पूछताछ की. अन्य एजेंसियों के प्रमुखों से भी पूछताछ की जाने की तैयारी है.

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने बंदरगाह पर इकट्ठा सामग्री के ख़तरों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की थी और 20 जुलाई को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी. जांच इस बिंदु पर आधारित है कि कैसे अमोनियम नाइट्रेट बंदरगाह पर इकट्ठा हुआ और इस बारे में कुछ क्यों नहीं किया गया.

विस्फोट के संबंध में लेबनान के सीमा शुल्क विभाग के प्रमुख और उनसे पहले के प्रमुखों और बंदरगाह के प्रमुख समेत 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों सहित दर्जनों लोगों से पूछताछ की गई है.