चीन के विदेश मंत्रालय ने जितने अमेरिकी नेताओं एवं संगठन प्रमुखों पर प्रतिबंध लगाया है, उनकी संख्या हांगकांग और चीन के उन अधिकारियों के बराबर है, जिन पर अमेरिका ने पिछले हफ़्ते कार्रवाई करते हुए प्रतिबंध लगाया था.
बीजिंग: चीन ने लोकतंत्र की हिमायत करने वाले 11 अमेरिकी नेताओं और संगठनों के प्रमुखों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. इनमें अमेरिकी सीनेटर मार्कों रूबियो और टेड क्रूज भी शामिल हैं.
हालांकि, प्रतिबंध के बारे में यह नहीं बताया गया है कि ये किस तरह के होंगे.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को कहा कि इन 11 नेताओं एवं संगठन प्रमुखों ने हांगकांग से जुड़े मुद्दों पर गलत गतिविधियां की.
उल्लेखनीय है चीन ने पिछले महीने अर्द्ध-स्वायत्त चीनी शहर हांगकांग में अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को थोपे जाने के बाद विरोध की आवाज दबाने के लिए कार्रवाई की थी.
चीन के विदेश मंत्रालय ने जितने अमेरिकी नेताओं एवं संगठन प्रमुखों पर प्रतिबंध लगाया है, उनकी संख्या हांगकांग और चीन के उन अधिकारियों के बराबर है जिन पर अमेरिका ने पिछले हफ्ते कार्रवाई करते हुए प्रतिबंध लगाया था.
इस बीच, चीन ने प्रमुख स्वतंत्र मीडिया उद्योगपति जिम्मी लाय को गिरफ्तार कर उनके प्रकाशन के मुख्यालय में छापा मार कर सोमवार को इस तरह के दबाव के आगे नहीं झुकने की अपनी दृढ़ता प्रदर्शित की.
चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंधित किए गए अन्य अमेरिकी नेताओं के नाम सीनेटर जोश हावले और टॉम कॉटन तथा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य क्रिस स्मिथ बताये हैं.
इसके अलावा नेशनल इंडोवमेंट फॉर डेमोक्रेसी और फ्रीडम हाउस सहित अन्य संगठनों के प्रमुखों के नाम भी प्रतिबंध सूची में शामिल हैं.
बीजिंग ने पिछले महीने रिपब्लिकन नेताओं- रूबियो, क्रूज और स्मिथ पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था.
दरअसल अमेरिका ने घोषणा की थी कि वह चीन के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग में मुसलमानों के खिलाफ की गई कार्रवाई से संबद्ध चीनी अधिकारियों के खिलाफ इसी तरह के कदम उठाएगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, ह्वाइट हाउस प्रवक्ता केलेग मैकएननी ने कहा कि चीनी प्रतिबंध प्रतीकात्मक और अप्रभावी हैं.
हालांकि, इस दौरान उन्होंने अमेरिकी सरकार की ओर से जवाबी कार्रवाई किए जाने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
हांगकांग में लागू किए गए नए सुरक्षा कानून पर बढ़ती चिंता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, दुनियाभर में ऐसे देशों की संख्या बढ़ती जा रही है जो चीन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. ये राष्ट्रपति चीन के खिलाफ दृढ़ता के साथ खड़े हैं और आगे भी ऐसा करेंगे.
बता दें कि व्यापार, हांगकांग और कोरोना वायरस को संभालने में चीन की भूमिका को लेकर दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के रिश्ते पिछले कुछ महीनों में बेहद तल्ख हो गए हैं.
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक और वीचैट जैसी लोकप्रिय चीनी ऐप्लीकेशन पर प्रतिबंध लगाने के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा एवं देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बताया था.
ट्रंप ने बीते छह अगस्त को दो अलग-अलग कार्यकारी आदेशों में कहा कि प्रतिबंध 45 दिन में लागू होगा.
उल्लेखनीय है कि भारत टिकटॉक और वीचैट पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश है. भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए यह प्रतिबंध लगाया था. भारत ने 106 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है. भारत के इस कदम का ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी सांसदों ने स्वागत किया था.
मालूम हो कि बीते जुलाई महीने की शुरुआत में भारत के सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 47 और ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो जून महीने में पहले से प्रतिबंधित किए गए 59 चीनी ऐप्स के क्लोन (प्रतिरूप) या इसी के प्रकार थे.
इस सूची में टिकटॉक लाइट, हैलो लाइट, शेयरइट लाइट, वीगो लाइव लाइट और वीएफवाई लाइट जैसे ऐप्स शामिल थे.
भारत ने देश की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए 29 जून को टिकटॉक और यूसी ब्राउज़र सहित चीन से संबंधित 59 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाया था.
29 जून को जारी प्रतिबंधित सूची में वी-चैट, वीगो लाइव, हैलो, लाइकी, कैम स्कैनर, वीगो वीडियो, एमआई वीडियो कॉल- शाओमी, एमआई कम्युनिटी, क्लैश ऑफ किंग्स के साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म क्लब फैक्ट्री और शी-इन शामिल थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)