जम्मू कश्मीरः आतंकी हमलों के डर से भाजपा नेताओं ने किया इस्तीफ़ों का ऐलान

कश्मीर में बीते एक हफ़्ते में ही भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है, जिसके बाद स्थानीय नेताओं ने सुरक्षा की मांग की है, वहीं दर्जनभर से ज़्यादा कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफ़ा देने का ऐलान किया है. केंद्र के एक नेता का कहना है कि ये हमले यह निर्वाचित प्रतिनिधियों को डराने का प्रयास हैं.

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(फोटोः पीटीआई)

कश्मीर में बीते एक हफ़्ते में ही भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है, जिसके बाद स्थानीय नेताओं ने सुरक्षा की मांग की है, वहीं दर्जनभर से ज़्यादा कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफ़ा देने का ऐलान किया है. केंद्र के एक नेता का कहना है कि ये हमले यह निर्वाचित प्रतिनिधियों को डराने का प्रयास हैं.

(फोटोः पीटीआई)
(फोटोः पीटीआई)

श्रीनगरः कश्मीर में हाल के दिनों में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर आतंकी हमलों के बाद बीते एक सप्ताह में भाजपा के दर्जनभर से ज्यादा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पार्टी से इस्तीफे का सार्वजनिक ऐलान किया है, जिससे बाकी सदस्यों में डर बना हुआ है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा के बांदीपोरा जिले के अधअयक्ष अब्दुल रहमनान तिकरी का कहना है, ‘हर कोई डरा हुआ है. भाजपा कार्यकर्ता डर की वजह से इस्तीफा दे रहे हैं.’

भाजपा की बांदीपोरा इकाई के महासचिव अवतार कृष्ण ने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

उसी दिन बडगाम में भाजपा की ओबीसी इकाई के जिला अध्यक्ष अब्दुल हामिद नजर को संदिग्ध आतंकियों ने गोली मार दी थी. अब्दुल सुबह की सैर के लिए निकले थे. सोमवार को ही उन्होंने दम तोड़ दिया था.

इससे पहले छह अगस्त को आतंकियों ने भाजपा के सरपंच सज्जाद अहमद खांडे को कुलगाम जिले के काजीगुंड इलाके में गोली मार दी थी.

पुलिस का कहना है कि खांडे प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराए गए सुरक्षित आवास में रहते थे. उन्हें उस समय गोली मारी गई, जब वे घर से बाहर थे.

इससे एक दिन पहले आतंकियों ने एक और भाजपा सरपंच आरिफ अहमद को गोली मारकर जख्मी कर दिया था.

इन हमलों से चिंतित भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही इस समस्या का समाधान करेगी.

दिल्ली के एक भाजपा नेता ने कहा, ‘नेता यकीनन डरे हुए हैं और हाल ही में तीन नेताओं की हत्या ने इनमें से कई को डरा दिया है. हाल के दिनों में धमकियों में इजाफा हुआ है. यह निर्वाचित प्रतिनिधियों को डराने का प्रयास है.’

आतंकियों ने सबसे पहले आठ जुलाई को भाजपा के वरिष्ठ नेता शेख वसीम बारी और उनके परिवार पर हमला किया था.

भाजपा की राज्य की कार्यकारिणी समिति के सदस्य शेख वसीम बारी, उनके पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी. उनके पिता और भाई भी पार्टी के सदस्य थे.

बारी और उनके परिवार को पुलिस सुरक्षा मिली हुई थी. जम्मू कश्मीर पुलिस ने बारी की सुरक्षा में नाकाम रहने पर 12 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था.

वहीं, घाटी में भाजपा के पंच और सरपंच सहित भाजपा के ज्यादातर कार्यकर्ताओं को कोई सुरक्षा नहीं मिली है.

श्रीनगर जिले में भाजपा की महिला इकाई की उपाध्यक्ष और उत्तर कश्मीर के पंजीनारा गांव की पंच रिफत का कहना है, ‘मुझे सुरक्षा मिली हुई है लेकिन अन्य पंचों और सरपंचों को यहां सुरक्षा नहीं मिली हुई. इनमें से कुछ मेरी पार्टी से है जबकि अन्य दूसरी पार्टियों से.’

बीते 18 महीनों से पंच और सरपंच निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) की मांग कर रहे हैं जिसे पूरा नहीं किया गया.

जम्मू कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन शफीक मीर का कहना है, ‘वास्तव में हम बीते आठ सालों से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे को पुंछ में जिला बोर्ड की बैठक के दौरान तत्कालीन उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के समक्ष उठाया था.

कश्मीर में भाजपा की महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष रोमेसा रफीक ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई के महासचिव अशोक कौल के समक्ष भी उठाया.

इस पर कौल का कहना है, ‘हम इस मामले को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के संज्ञान में लेकर आए थे और हमने हमारे कार्यकर्ताओं के लिए सुरक्षा की मांग की थी.’

पार्टी नेताओं का कहना है कि जिन भी कार्यकर्ताओं या नेताओं ने इस्तीफा दिया है, वे अधिकतर निचली रैंक के सदस्य हैं.

रफीक ने कहा, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस जैसी पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने मौन रहने का फैसला किया. उन्होंने अपने ऑफिस सुरक्षित कर लिए इसलिए सिर्फ हम ही निशाने पर हैं.’

वहीं, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बडगाम जिले में भाजपा नेता अब्दुल हमीद नजर की हत्या की कड़ी निंदा की.

आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि सिन्हा ने हत्या पर शोक जताते हुए कहा कि यह जघन्य अपराध भय पैदा करने के लिए किया गया और इस तरह के हमलों को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता.

उपराज्यपाल ने कहा कि समाज में हिंसा फैलाने वालों के लिए कोई जगह नहीं है और जो भी इस कायराना घटना में शामिल हैं उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएग.

राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमलों के बीच कांग्रेस ने सुरक्षा समीक्षा की मांग की

कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई ने घाटी में राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे आतंकी हमलों की निंदा करते हुए उनकी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की मांग की है.

कांग्रेस ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से हालात पर व्यापक रूप से नजर डालने और सुरक्षा के मामले में पूर्वाग्रह और बदले की भावना को बदलने का आग्रह किया.

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रवींद्र शर्मा ने मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में हाल ही में आतंकियों द्वारा भाजपा नेता अब्दुल हमीद नजर की हत्या की घटना की ओर इशारा करते हुए केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन पर घाटी में राजनीति से जुड़े लोगों की सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप लगाया.

शर्मा ने कहा, ‘राजनीति से जुड़े लोगों पर लगातार हमले अत्यंत निंदनीय हैं और आतंकियों की सोच को नाकाम करने के लिए उन्हें रोकना जरूरी है. उपराज्यपाल को राजनीतिक लोगों की सुरक्षा की तत्काल समीक्षा करनी चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)