नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने 13 जुलाई को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में अपनी पार्टी के 16 नेताओं और कार्यकर्ताओं को नज़रबंद रखे जाने के ख़िलाफ़ 16 बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दाख़िल कर उन्हें रिहा करने की मांग की थी.
कश्मीर: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने हाईकोर्ट को सूचित किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के जिन 16 नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दाखिल कर उन्हें रिहा करने की मांग की थी, उनमें से एक को भी हिरासत में नहीं लिया गया है और वे उनकी सुरक्षा के लिहाज से उचित कुछ सावधानियों के साथ आने-जाने को स्वतंत्र हैं.
इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से कहा गया है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन का जवाब गलत और वास्तविकता से दूर है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में नेशनल कॉन्फ्रेंस की याचिकाओं पर जवाब दाखिल करते हुए वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता बशीर अहमद डार ने कहा कि यह न केवल हैरान करने वाली, बल्कि स्तब्ध करने वाली बात भी है क्योंकि न तो कोई कानूनी कार्यवाही की गई और न ही किसी तरह का विचार चल रहा है.
पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर रेंज) द्वारा सत्यापित ऐसे ही एक अन्य जवाब में कहा गया है कि पिछले साल अगस्त में किए गए संविधान संशोधनों के मद्देनजर आशंका थी कि कुछ द्वेष रखने वाले तत्व शांति को बाधित कर सकते हैं और नेता उन्हें अशांति बढ़ाने के लिए उकसा सकते हैं.
इसमें कहा गया कि हालांकि किसी भी नेता के खिलाफ किसी कानून के तहत हिरासत का कोई आदेश जारी नहीं किया गया और वे उनकी सुरक्षा के लिहाज से उचित कुछ सावधानियों के साथ घूमने-फिरने को स्वतंत्र थे.
जवाब में कहा गया कि एक विशेष श्रेणी में होने के कारण याचिकाकर्ता को संबंधित अधिकारियों को सूचित किए बिना किसी संवेदनशील स्थान पर नहीं जाने की सलाह दी गई थी और इसका कारण उचित सुरक्षा सुनिश्चित करना था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, फारूक और उमर अब्दुल्ला ने 13 जुलाई को अपनी पार्टी के 16 नेताओं और कार्यकर्ताओं को नजरबंदी से रिहा करने की मांग करते हुए जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में 16 बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दाखिल की थीं. याचिका में दलील दी गई है कि उन्हें संविधान में प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार का खुला उल्लंघन करते हुए हिरासत में रखा जा रहा है.
याचिका में यह भी कहा गया था कहा गया था कि ये लोग एक साल से अधिक समय से हिरासत में हैं. इनमें से एक सैयद मोहम्मद शफी की मौत याचिका दायर करने के बाद हो गई.
जम्मू कश्मीर प्रशासन के जवाब पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि केंद्र शासित प्रशासन की प्रतिक्रिया वास्तविकता से बहुत दूर थी और कानून की अदालत में प्रशासन द्वारा दिए गए बहाने भ्रामक और अवमाननापूर्ण हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के वकील शरीक रियाज ने कहा कि वे 24 को होने वाली अगली सुनवाई से पहले एक प्रत्युत्तर दाखिल करेंगे.
जिन नेताओं के लिए याचिका दायर की गई है उनमें अली मोहम्मद सागर और अब्दुल रहीम राथर शामिल हैं.
The administration is failing in the task of providing security to political workers, evidenced by the spree of attacks against BJP workers, because the police is too busy being jailers rather than protectors. Security is NO reason to detain people in their homes.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 11, 2020
उमर ने ट्वीट किया, ‘उनमें से कोई भी हिरासत में नहीं है, फिर भी उनमें से कोई भी अपने घरों को छोड़ने के लिए स्वतंत्र नहीं है. अगर यह उनकी सुरक्षा के बारे में है, तो भाजपा और अपनी पार्टी के नेताओं के लिए समान सावधानियां क्यों नहीं बरती जा रही हैं.’
उमर ने कहा, ‘भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हमलों से साफ पता चलता है कि प्रशासन राजनीतिक कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने में विफल साबित हुआ है. इसका कारण है कि पुलिस संरक्षक से अधिक जेलर बनने में व्यस्त हैं. किसी को उसके घर में कैद करने के लिए सुरक्षा कारण नहीं हो सकता है.’
गौरतलब है कि पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित कर दिया था.
उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित मुख्य मुख्यधारा के नेताओं समेत सैकड़ों लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में ले लिया गया था.
हाल के कुछ महीनों में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को रिहा किया गया है.
दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित कई नेता अभी भी नजरबंद हैं. हाल ही में महबूबा की नजरबंदी को पांच नवंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)