महामारी के दौरान शांति क़ायम रखने की चुनौती पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि महामारी से निपटने के लिए दुनिया ने लोगों को लॉकडाउन में रखा, अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दीं, लेकिन वे सशस्त्र संघर्षों को रोक नहीं पाए.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी न केवल गरीबी को दूर करने एवं शांति स्थापित करने के लिए अभी तक किए प्रयासों के लिए खतरा है, बल्कि इससे मौजूदा संघर्षों के बढ़ने और नए संघर्ष पैदा होने का भी खतरा है.
गुतारेस ने महामारी के दौरान शांति कायम रखने की चुनौती पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि उन्होंने कोरोना वायरस से निपटने के लिए विश्वभर में संघर्षों में तत्काल विराम की 23 मार्च को अपील की थी, जिसके बाद कई युद्धरत पक्षों ने तनाव कम करने और संघर्ष रोकने के लिए कदम उठाए.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह दुख की बात है कि वैश्विक महामारी के बावजूद कई पक्षों ने शत्रुतापूर्ण गतिविधियां रोकी नहीं और न ही स्थायी संघर्ष विराम पर सहमत हुए.’
Secretary-General @antonioguterres to @UN Security Council: "#COVID19 is a human tragedy – but we can mitigate the impacts by the choices we make. Multidimensional, coordinated and conflict-sensitive responses and whole-of-society approaches are crucial." https://t.co/Exapxda48J pic.twitter.com/OQzHEaYr1F
— UN Political and Peacebuilding Affairs (@UNDPPA) August 12, 2020
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून ने परिषद से कहा, ‘यह वास्तव में हैरानी की बात है कि वैश्विक महामारी से निपटने के लिए दुनिया ने अरबों लोगों को लॉकडाउन में रखा, अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दीं, व्यापार एवं आव्रजन को निलंबित कर दिया और सभी उद्योगों को स्थायी तौर पर बंद कर दिया, लेकिन वे सशस्त्र संघर्षों को रोक नहीं पाए.’
बान की मून ने संघर्षों को रोकने की मांग करने वाले प्रस्ताव के केवल पाठ की बारीकियों पर तर्क करके समय व्यर्थ करने और एक जुलाई तक भी इसे पारित नहीं कर पाने के लिए सुरक्षा परिषद की आलोचना की.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस ने अपने सम्बोधन में तीन प्रमुख ख़तरों के प्रति आगाह किया है.
गुतारेस ने कहा कि इस वैश्विक महामारी ने स्वास्थ्य प्रणालियों एवं सामाजिक सेवाओं के प्रभावी होने और संस्थानों एवं शासन प्रणाली में भरोसे को लेकर कई सवाल पैदा कर दिए है.
उन्होंने कहा कि लोगों का भरोसा दरक रहा है जिससे प्रशासन के साथ सभी स्तरों पर व्यापक मोहभंग हो सकता है.
यूएन प्रमुख ने चिंता जताई कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर है और अभूतपूर्व आर्थिक संकट से यह और बदतर हो रही है, सामाजिक व आर्थिक कमजोरियां गहरा रही हैं. साथ ही सामाजिक ताना-बाना कमज़ोर हो रहा है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि अनेक देशों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए हैं और कोविड-19 महामारी को सख्त कार्रवाई करने व दमन के लिए बहाना बनाया गया है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि 23 देशों ने राष्ट्रीय चुनाव या जनमत संग्रह टाल दिए हैं, कुछ देशों में प्रांतीय व स्थानीय स्तर पर भी चुनाव स्थगित हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने सचेत किया कि यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो असमानता, वैश्विक स्तर पर गरीबी, अस्थिरता एवं हिंसा बढ़ गई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)