सुकमा हमले के समय पास में ही थी सीआरपीएफ, लेकिन कार्रवाई नहीं की: भूपेश बघेल

मार्च महीने में छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए एक माओवादी हमले में 17 पुलिसकर्मी मारे गए थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया है कि तब सीआरपीएफ की टीम घटनास्थल के पास ही थी लेकिन आदेश न मिलने के कारण उन्होंने कार्रवाई नहीं की.

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल. (फोटो साभार: फेसबुक/@BhupeshBaghelCG)

मार्च महीने में छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए एक माओवादी हमले में 17 पुलिसकर्मी मारे गए थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया है कि तब सीआरपीएफ की टीम घटनास्थल के पास ही थी लेकिन आदेश न मिलने के कारण उन्होंने कार्रवाई नहीं की.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल. (फोटो साभार: फेसबुक/@BhupeshBaghelCG)
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल. (फोटो साभार: फेसबुक/@BhupeshBaghelCG)

नई दिल्ली: सुकमा में माओवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में छत्तीसगढ़ के 17 पुलिसकर्मियों की मौत के लगभग पांच महीने बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र पर घटना के दौरान ‘तालमेल की कमी’ का आरोप लगाया है.

उन्होंने दावा किया है कि सीआरपीएफ के जवान ‘मौके से 500 मीटर’ दूर मौजूद थे लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की क्योंकि उन्हें आदेश नहीं दिया गया था.

बघेल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ इस मुद्दे को उठाया था.

उन्होंने कहा, ‘सीआरपीएफ और डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड) की दोनों टीमें एक साथ ऑपरेशन पर गई थीं. मुठभेड़ स्थल से 500 मीटर की दूरी पर सीआरपीएफ के जवान थे. उन्हें आगे बढ़ने का आदेश नहीं मिला, जिसके कारण वे वहीं रुके रहे और कार्रवाई नहीं की. आखिरकार घटना में हमारे 17 लोगों की मौत हो गई. अगर उन्हें सीआरपीएफ का समर्थन मिला होता, तो वे नक्सली हमले में जान न गंवाते.’

पुलिस के अनुसार घटना में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के कम से कम पांच माओवादी मारे गए थे.

बघेल ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को सरकार और यहां तक कि गृह मंत्री के सामने उठाया था कि समन्वय (कोऑर्डिनेशन) की कमी के कारण इस तरह की घटना हुई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि इस तरह की घटना हुई है.

इस हमले के कुछ दिन बाद कार्यभार संभालाने वाले सीआरपीएफ आईजी प्रकाश डी. ने कहा, ‘तालमेल की कमी की कोई शिकायत नहीं हुई है. छत्तीसगढ़ सरकार के साथ काम करने का हमारा अच्छा अनुभव है. घटना मेरे कार्यकाल से पहले की थी, इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन हमें कोई शिकायत नहीं मिली है. अगर इस मुद्दे को उठाया गया था, तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है.’

घटना के समय पद पर रहे सीआरपीएफ आईजी जीएचपी राजू ने इस बारे में जवाब देने से मना कर दिया.

हालांकि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तत्कालीन स्पेशल डीजी कुलदीप सिंह के तहत एक उच्च-स्तरीय जांच शुरू की गई थी. सिंह ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

छत्तीसगढ़ के डीजीपी दुर्गेश अवस्थी ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

बघेल ने दिसंबर 2018 में कार्यभार संभाला था. तब से लेकर जुलाई, 2020 के अंत तक माओवादियों के हमलों में 45 से अधिक सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं. इस अवधि के दौरान राज्य सरकार के ऑपरेशन में कम से कम 43 माओवादी मारे गए.

ये पहला ऐसा मामला नहीं है जहां तालमेल या कोऑर्डिनेशन की कमी होने की वजह से सुरक्षाकर्मियों की जान जाने के आरोप लगे हैं.

साल 2017 में इसी तरह के एक हमले में सुकमा 25 सीआरपीएफ जवानों की मौत हुई थी. उस समय सीआरपीएफ के डीआईजी ने राज्य सरकार के साथ ‘कोऑर्डिनेशन की कमी’ होने के शिकायत की थी.