पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने कहा है कि हमारे राज्यपाल ने निराधार आरोप लगाए हैं. अगर उन्हें लगता है कि वह निगरानी में है तो उसे सबूत देना चाहिए.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को आरोप लगाया कि राजभवन की निगरानी की जा रही है और इस कदम से संस्था की शुचिता कम हो रही है.
विभिन्न मुद्दों को लेकर बीते एक वर्ष में राज्य की तृणमूल कांग्रेस की सरकार के साथ चल रही खींचतान के बीच धनखड़ ने यह दावा किया है. उन्होंने कहा कि राज्य में अराजकता का माहौल है.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम के बाद धनखड़ ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि राजभवन निगरानी में है. इससे राजभवन की शुचिता कम होती है. मैं इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए सब कुछ करूंगा.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने इस मामले में गंभीर और अहम जांच शुरू की है. राजभवन के कामकाज की शुचिता को बरकरार रखना होगा.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ‘एक सूची या कागज जो बिना मेरी मंजूरी के राजभवन से बाहर नहीं जाना चाहिए, बाहर प्रसारित हो रहा है. दस्तावेज प्राप्त किए जा हैं. मैंने इसे लेकर जांच शुरू की है. जिन लोगों ने ऐसा किया है, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी होगी.’
राज्यपाल ने आगे कहा, ‘14 अगस्त को यहां से एक ऐप का उपयोग करके एक दस्तावेज़ को इलेक्ट्रॉनिक रूप से साझा किया गया था. यह दस्तावेज सरकार के सर्वोच्च अधिकारी से मेरे पास वापस आया. लोक सेवक को राजनीतिक सेवकों की तरह काम नहीं कर सकते. राजनीतिक तटस्थता होनी चाहिए. मेरी आंतरिक जांच जल्द ही पूरी हो जाएगी. जांच खत्म होते ही मैं कानूनी कदम उठाऊंगा.’
हालांकि, धनखड़ ने यह नहीं बताया कि राजभवन की किस तरह की निगरानी की जा रही है.
उन्होंने कहा, ‘संवैधानिक नियमों के तहत मैं किसी भी निगरानी का पीड़ित नहीं बनूंगा, चाहे इसकी कोई भी रूपरेखा हो. जिन्होंने यह किया है उन्हें कानून के तहत इसकी कीमत चुकानी होगी. मेरी आंतरिक जांच जल्द पूरी हो जाएगी.’
राज्यपाल ने गोपनीय दस्तावेज लीक होने के बारे में भी बात की. धनखंड के दावे पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘हमारे राज्यपाल ने निराधार आरोप लगाए हैं. अगर उन्हें लगता है कि वह निगरानी में है तो उसे सबूत देना चाहिए. अतिथि सूची कोई रहस्य नहीं है. राजभवन का कोई भी कर्मचारी इसे एक्सेस कर सकता था.’
तृणमूल कांग्रेस की सांसद और प्रवक्ता महुआ माइत्रा ने ट्वीट कर कहा है, ‘अंकलजी (राज्यपाल) अब दावा कर रहे हैं कि वह और पश्चिम बंगाल राजभवन परिसर निगरानी में है. मेरी बात पर यकीन कीजिए कि गुजरात के आपके आका किसी भी अन्य से कहीं ज्यादा अच्छी तरह यह काम करते हैं, हममें से तो कोई भी इसके लिए नौसिखिया होगा.’
Uncleji now claims he & WB Raj Bhavan premises under surveillance
Believe me, that’s something your bosses from Gujarat do better than anyone else – any of us would be novices at it 🙂— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) August 16, 2020
राज्यपाल ने अपने आधिकारिक आवास राजभवन में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित पांरपरिक ‘एट होम’ पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों के नहीं आने पर ‘दुख’ व्यक्त किया.
उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से 35 से कम गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया था.
धनखंड ने कहा, ‘यह मेरे लिए बहुत दुखद है… मैं मुख्यमंत्री के जरिए राज्य सरकार से लगातार संवाद कर रहा था और उन्हें बार-बार बताया कि कार्यक्रम कोविड-19 नियमों का सख्ती से पालन करने एवं न्यूनतम मेहमानों के साथ आयोजित किया जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘यह कार्यक्रम हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को बेहतर श्रद्धांजलि देने का अवसर होता अगर मुख्यमंत्री और कार्यपालिका के सदस्य शामिल होते. इसने बुरी मिसाल कायम की है.’
Lucky List of over 96 people who get invited to HRH’s tea parties at WB Raj Bhavan in midst of Covid 19 (with extras for staff, security catering etc) #WhoLetTheTruthOut https://t.co/1kyEy4xbMC pic.twitter.com/kYivtbzTjo
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) August 16, 2020
राज्यपाल के इस दावे का खंडन करते हुए मोइत्रा ने ट्विटर पर एक दस्तावेज साझा किया जिसके अनुसार, राजभवन में 96 लोगों को निमंत्रित किया गया था. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘अंकल, कृपया पूरी सच्चाई सामने रखिए, माननीय मुख्यमंत्री चाय पार्टी से पहले राजभवन गई थीं और वहां आपके साथ एक घंटे तक रहीं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि कोविड 19 के इस दौर में किसी चाय पार्टी की भीड़ में रहना उनके या आपके लिए कोई समझदारी की बात है.’
Uncle- please at least share the whole truth… Hon’ble CM visited you at Raj Bhavan before your tea party & spent an hour with you.
Don’t think milling in a crowd at a tea party is wise for either her or you in the midst of Covid 19. https://t.co/RBWm1rJ8P6
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) August 16, 2020
बहरहाल एक साल पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालने के बाद से राज्य की ममता बनर्जी सरकार के साथ उत्पन्न कई गतिरोधों का हवाला देते हुए धनखड़ ने कहा, ‘यह लोकतंत्र या आजादी के संकेत नहीं हैं.’
उन्होंने कहा कि जब वह पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत विधानसभा गए तो दरवाजों पर ताले लगा दिए गए, जब वह विश्वविद्यालय में गए जो कुलपति के चेंबर में ताला लगा था, जबकि वह वहां के पदेन कुलाधिपति हैं.
राज्यपाल ने कहा कि संविधान दिवस के दिन उन्हें छठे स्थान पर संबोधन के लिए बुलाया गया.
उन्होंने कहा, ‘मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि संविधान के प्रति सम्मान का भाव आए.’
धनखड़ ने कहा, ‘मेरे लिए 15 अगस्त दुखी करने वाला एक और दिन रहा. राष्ट्रीय ध्वज को फहराने को लेकर राजनीतिक हिंसा और हत्या के मामले सामने आए.’
उन्होंने कहा, ‘हम अराजकता की स्थिति में हैं. स्थिति पहले ही चेतावनी के स्तर तक चिंताजनक है.’
उन्होंने कहा कि राज्यपाल का संवैधानिक अधिकार है कि वह राज्य में होने वाली घटनाओं को जाने और यह मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह उन्हें यह जानकारी दे.
धनखड़ ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन सत्तारूढ़ पार्टी के विरोधियों की गतिविधियों को रोकने का काम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि यहां तक कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं और उन्हें इस तरह से धमकी दी जा रही है कि कोई भी हिल जाए.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने राज्यपाल और उसके दावे का समर्थन करते हुए कहा है कि पुलिस मुखबिर की तरह काम कर रही है. उन्होंने कहा, ‘राज्य की पुलिस प्रदेश सरकार के मुखबिर के तौर पर काम कर रही है और टीएमसी के पास हमारे नेताओं के फोन टैप करने और हमारी निगरानी करने के अलावा और कोई काम नहीं है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)