साल 2018 में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और उस समय विशेष निदेशक के पद पर तैनात राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी, जिस पर हुए विवाद के बाद दोनों को सीबीआई से हटा दिया गया था.
नई दिल्ली: साल 2018 में सीबीआई विवाद के केंद्र में रहे गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का नया महानिदेशक नियुक्त किया गया है.
कार्मिक मंत्रालय द्वारा बीते सोमवार को इस संबंध में आदेश जारी किया गया. अस्थाना वर्तमान में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं.
आदेश में कहा गया है कि अस्थाना पद का कार्यभार संभालने की तारीख से 31 जुलाई 2021 या अगले आदेश तक बीएसएफ महानिदेशक के रूप में कार्यरत रहेंगे.
अगले साल 31 जुलाई उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख है. वह 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उनके पास नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी है.
इसके अलावा पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के मौजूदा प्रमुख वीएसके कौमुदी का ट्रांसफर करके उन्हें गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) के पद पर तैनात किया गया है.
वहीं कौमुदी आंध्र प्रदेश कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जो वर्तमान में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं.
Centre appoints IPS (Gujrat cadre) Rakesh Asthana as Director General, Border Security Force.
V S K Kaumudi, IPS (AP cadre) appointed as Special Secretary (Internal Security) in MHA.
IPS (UP cadre) Jawed Akhtar appointed as DG, Fire Services, Civil Defence and Home Guards. pic.twitter.com/Fl0XqvVE2t
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) August 17, 2020
कार्मिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार कौमुदी को गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) नियुक्त किया गया है. वह 30 नवंबर 2022 तक इस पद पर रहेंगे, जो उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख है.
वहीं, उत्तर प्रदेश कैडर के जावेद अख्तर को महानिदेशक, अग्निशमन सेवा, सिविल डिफेंस और होमगार्ड नियुक्त किया गया है. वह इस पद पर 31 जुलाई 2021 तक रहेंगे जो उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख है.
वह आंध्र प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव की जगह लेंगे जो पिछले महीने 31 जुलाई 2020 को रिटायर हो गए.
वर्तमान में अख्तर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के विशेष महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं.
मालूम हो कि साल 2018 में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के भ्रष्टाचार मामले को लेकर बड़ा विवाद खड़ हुआ था और वर्मा ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज किया था.
इस विवाद के चलते अस्थाना और वर्मा को 21 अक्टूबर 2018 की आधी रात को छुट्टी पर भेज दिया गया था, बाद में दोनों को सीबीआई से बाहर कर दिया गया.
राकेश अस्थाना ने केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों विभागों में कार्य किया है. सीबीआई में नियुक्ति के बाद उन्होंने चारा घोटाले की जांच की थी जिसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को सजा हुआ है.
गुजरात में तैनाती के दौरान उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में वडोदरा पुलिस कमिश्नर समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था.
सीबीआई में विवाद के समय निदेशक आलोक वर्मा ने 15 अक्टूबर 2018 को अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था, जिसमें ये आरोप लगाया गया था कि मोईन कुरैशी वाले मामले में उन्होंने एक आरोपी से 2.95 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी ताकि उसके खिलाफ आरोपों को हल्का किया जा सके.
सतीश सना बाबू नाम के इस आरोपी को बाद में सीबीआई द्वारा गवाह बनाया गया था. हालांकि सीबीआई ने इस साल फरवरी में अस्थाना को सभी आरोपों से क्लीन चिट दे दिया.
वहीं कौमुदी की अगुवाई में पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो ने इसी साल मई महीने में फेक न्यूज पर एक रिपोर्ट की थी और देश के पुलिस विभागों के साथ इसे साझा किया था.
इस रिपोर्ट के दिशानिर्देशों में बताया गया था कि किस तरह से फेक न्यूज को पकड़ा जा सकता है और इसका कैसे समाधान किया जाएगा. इस रिपोर्ट में फेक न्यूज के कुछ उदाहरण भी दिए गए थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इन उदाहरणों में एक उदाहरण यह भी था कि ‘कोविड-19 पर तबीलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद की लीक की गई ऑडियो’ फर्जी है.
हालांकि ये जानकारी सार्वजनिक होने के कुछ ही देर बाद विभाग ने अपनी रिपोर्ट वेबसाइट से हटा ली और अभी तक इसे अपलोड नहीं किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)