उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को 11 जिलों की 67 सीटों पर मतदान हो रहा है.
सहारनपुर से पीलीभीत तक फैले इस चरण में खेती-किसानी खूब होती है. वैसे किसान यहां इस समय फसल तो नहीं काट रहे हैं लेकिन सभी पार्टियों के नेता सियासी फसल काटने में जुटे हैं.
सपा गठबंधन के लिए इलाका अहम
अगर हम पिछले विधानसभा पर नजर डालें तो इस चरण में सपा और कांग्रेस गठबंधन के सामने प्रमुख चुनौती है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन ने इस चरण की 67 सीटों में 40 सीटों पर चुनाव जीता था. इसमें से 36 सपा और 4 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी जबकि 17 सीटें बसपा ने जीती थीं.
वहीं अगर लोकसभा चुनाव को आधार बनाया जाए तो यह चरण भाजपा के लिए अहम हैं. इन 11 जिलों में 13 लोकसभा सीटें हैं, जिसमें से 12 भाजपा के पास हैं.
मुस्लिम वोटों का इम्तिहान
इस चरण में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा को छोड़कर बाकी दलों ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. अगर निर्दलीयों को जोड़ लिया जाए तो 150 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं. इस चरण में बसपा के दलित-मुस्लिम समीकरण के दांव की परीक्षा होनी है तो समाजवादी पार्टी के यादव-मुस्लिम गठजोड़ का इम्तिहान होगा.
मुकाबले को दिलचस्प बना रहा है राष्ट्रीय लोकदल. वैसे तो पिछले चुनाव में उन्हें कोई सीट नहीं मिली थी लेकिन इस बार उन्होंने 50 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.
दिग्गजों की भी होगी परीक्षा
अगर हम केंद्र सरकार की बात करें तो यह चरण केंद्रीय मंत्रियों मुख़्तार अब्बास नक़वी, मेनका गांधी, संतोष गंगवार और कृष्णाराज को अपनी लोकप्रियता साबित करने का मौका देगा.
वहीं अगर राज्य सरकार की बात करें तो समाजवादी सरकार के कद्दावर मंत्री आज़म खान समेत खाद्य एवं औद्यषि प्रशासन मंत्री इकबाल महमूद, रेशम एवं वस्त्रोद्योग मंत्री महबूब अली, रसद मंत्री कमाल अख़्तर, उद्यान मंत्री मूलचंद्र चौहान समेत कई अन्य की परीक्षा होनी है.
इसके अलावा दूसरा चरण कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद और इमरान मसूद के नाक का सवाल बना हुआ है.
वहीं विधानसभा में भाजपा दल के नेता सुरेश खन्ना भी शाहजहांपुर की सदर सीट से मैदान में हैं. लगातार सात बार से विधायक सुरेश खन्ना को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है.
मुद्दे की बात
वैसे तो इस चरण में मुद्दों से ज्यादा मतदाताओं को जाति और धर्म में बांटने की साजिश हो रही है लेकिन इसके बावजूद कुछ ऐसे मसले हैं जिन पर जनता चर्चा कर रही है. भाजपा समर्थक जहां सर्जिकल स्ट्राइक और भ्रष्टाचार को बड़ा मसला बता रहे हैं तो समाजवादी पार्टी विकास और बसपा कानून-व्यवस्था का हवाला दे रही है.
इसके अलावा इस चरण में बदायूं में दो बहनों के साथ रेप की घटना मुद्दा है. शाहजहांपुर में पत्रकार जगेंद्र की जलाकर हत्या करने की घटना को भी मतदाता मुद्दा बता रहे हैं.
वहीं तीन तलाक का मसला भी यहां मुस्लिम मतदाताओं के बीच मुद्दा बना हुआ है. देवबंद के फतवे में कहा गया है कि तलाक केे लिए औरत का उपस्थित होना जरूरी नहीं है.