यूपी पुलिस द्वारा दूसरी बार प्रशांत कनौजिया को गिरफ़्तार किया गया है. उन पर हिंदू आर्मी के नेता की पोस्ट से छेड़छाड़ कर प्रसारित करने के आरोप में आईपीसी की नौ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें अधिकतम सात साल तक क़ैद की सज़ा दी जा सकती है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मंगलवार दोपहर को पत्रकार प्रशांत कनौजिया को उनके दिल्ली के घर से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस का दावा है कि प्रशांत ने कथित तौर ऐसे ट्वीट्स किए, जिनसे सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है.
शुरुआत में पुलिस ने प्रशांत और उनके परिवार को यह नहीं बताया था कि उन पर किस ट्वीट को लेकर शिकायत दर्ज करवाई गई है. लेकिन बाद में पुलिस द्वारा जारी की गई एफआईआर की कॉपी में प्रशांत द्वारा डिलीट कर दिए गए एक ट्वीट का यूआरएल था.
साथ ही अपराध के कॉलम में लिखा था कि प्रशांत ने हिंदू आर्मी के नेता सुशील तिवारी को यह कहते हुए दिखाया है कि अयोध्या के राम मंदिर में शूद्र, ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रवेश निषेध होना चाहिए.
पत्रकार प्रशांत कनौजिया को यूपी पुलिस ने उनके दिल्ली वाले आवास से गिरफ्तार किया.
— Jagisha Arora (@jagishaarora) August 18, 2020
कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने बताया, ‘प्रशांत को गिरफ्तार करने से करीब आधे घंटे पहले पुलिस हमारे घर आई थी. एक को छोड़कर सभी सादे कपड़ों में थे. उन्होंने प्रशांत को हिरासत में लिया और कहा कि ये ट्वीट का मामला है. जब पूछा कि कौन-सा ट्वीट, उन्होंने कहा, ‘बहुत ट्वीट किए हैं तुमने, ऊपर से ऑर्डर आए हैं हमें, फॉलो तो करना पड़ेगा.’
अब तक यूपी पुलिस ने बताया नहीं है कि प्रशांत को कहां लेकर जाया गया है, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि वे उन्हें लेकर लखनऊ जाएंगे.
इस बारे में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि क्या प्रशांत को दिल्ली से बाहर ले जाए जाने के लिए मजिस्ट्रेट से ट्रांजिट रिमांड ली गई है या नहीं.
बताया जा रहा है कि हिंदू आर्मी 2019 में अस्तित्व में आई है. इस साल जनवरी महीने में उन्होंने लखनऊ के संवेदनशील इलाकों में ‘जागो हिंदू जागो’ लिखे पोस्टर चिपकाए थे.
सोशल मीडिया पर सुशील तिवारी के कई ऐसे वीडियो मौजूद हैं, जहां वे हिंदुओं को मुस्लिम सब्जी वालों, नाई की दुकानों का बहिष्कार करने की बात कहते नजर आ रहे हैं.
पुलिस द्वारा प्रशांत के खिलाफ 17 अगस्त को हजरतगंज थाने के एक पुलिसकर्मी द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर में कहा गया है, ‘प्रशांत कनौजिया द्वारा छेड़छाड़ की गई तस्वीर से सुशील तिवारी को बदनाम करने की कोशिश की गई है. प्रशांत ने लिखा था कि यह तिवारी का निर्देश है कि अयोध्या के राम मंदिर में शूद्र, ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रवेश निषेध होना चाहिए और सभी लोग इसके लिए आवाज उठाएं.’
आगे कहा गया, ‘इसे सुशील तिवारी की पोस्ट के स्क्रीनशॉट के बतौर शेयर किया जा रहा था… सोशल मीडिया पर साझा हुई पोस्ट्स का स्क्रीनशॉट संलग्न है. इस प्रकार की आपत्तिजनक पोस्ट विभिन्न समुदायों में वैमनस्य फैलाने वाली, सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली और धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली है जिससे लोक प्रशांति भंग हो सकती है.’
इसमें आईपीसी की नौ धाराओं का जिक्र किया गया है, जिनमें 153 ए/बी (धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर समूहों में नफरत फैलाने की कोशिश), 420 (धोखाधड़ी), 465 (धोखाधड़ी की सजा), 468 (बेईमानी के इरादे से धोखाधड़ी), 469 (प्रतिष्ठा धूमिल करने के उद्देश्य से धोखाधड़ी) 500 (मानहानि का दंड) 500 (1) (बी) 505(2) शामिल हैं.
इसके अलावा कंप्यूटर संबंधी मामलों के लिए उन पर आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.
इससे पहले साल 2019 में भी प्रशांत कनौजिया को यूपी पुलिस द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर की एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया था.
तब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रशांत को रिहा किया गया था. उस समय भी उनके खिलाफ हजरतगंज थाने में मामला दर्ज हुआ था.
पुलिस का आरोप था कि प्रशांत ने मुख्यमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उनकी छवि ख़राब करने की कोशिश की थी.
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