पार्टी बदलने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पहली बार ग्वालियर पहुंचने पर भाजपा तीन दिवसीय ‘सदस्यता ग्रहण समारोह’ आयोजित कर रही है, जिसमें ग्वालियर-चंबल अंचल के सभी ज़िलों के हज़ारों कार्यकर्ता शामिल होने वाले हैं. कोरोना संक्रमण के प्रसार के मामले में ग्वालियर प्रदेश में तीसरे स्थान पर है.
मध्य प्रदेश का ग्वालियर जिला कोरोना संक्रमण के प्रसार के मामले में प्रदेश में इंदौर और भोपाल के बाद तीसरे स्थान पर है. इंदौर में करीब 10,000, भोपाल में 8,000 तो ग्वालियर में करीब 4,000 संक्रमित अब तक मिल चुके हैं.
लेकिन, गौर करने वाली बात यह है कि ग्वालियर में कोरोना टेस्ट की संख्या भोपाल और इंदौर के मुकाबले आधी भी नहीं है. इंदौर में जहां करीब दो लाख, भोपाल में करीब 1.8 लाख टेस्ट हुए हैं तो ग्वालियर में महज अस्सी हजार.
इस तरह समझा जा सकता है कि अगर टेस्ट बढ़ाए जाएं तो ग्वालियर, इंदौर व भोपाल को भी पीछे छोड़ सकता है. यहां हर नौवां टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है.
ग्वालियर के करीब 90 फीसदी मरीज जुलाई और अगस्त माह में मिले हैं. हालात इतने बदतर हैं कि देश भर में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पूरे मध्य प्रदेश में ग्वालियर सबसे पहला जिला था जहां स्थानीय प्रशासन को हालातों को काबू में करने के लिए 7 दिन का टोटल लॉकडाउन लगाना पड़ा था और जिले की सीमाओं पर सख्ती बढ़ा दी गई थी.
अब इन सभी तथ्यों और हालातों को नजरअंदाज करते हुए ग्वालियर में 22 से 24 अगस्त तक सत्तारूढ़ भाजपा एक बड़ा राजनीतिक आयोजन कर रही है. जिसकी रूपरेखा भाजपा के प्रदेश कार्यालय ने 19 अगस्त को जारी की थी.
ग्वालियर में होने वाले ‘सदस्यता ग्रहण समारोह’ नाम के इस आयोजन में कुल 19 कार्यक्रम होने हैं. जिनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे.
बता दें कि जल्द ही राज्य की 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिनमें 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की हैं. ये सभी सीटें (जौरा को छोड़कर) तब खाली हुई थीं जब मार्च में सिंधिया कांग्रेस छोड़कर अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में आ गए थे.
उपचुनाव की इन्हीं सीटों को ध्यान में रखकर भाजपा और सिंधिया ग्वालियर में शक्ति-प्रदर्शन करने जा रहे हैं जिसके तहत ग्वालियर-चंबल अंचल के सिंधिया समर्थक कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के लिए भाजपा का ‘सदस्यता ग्रहण समारोह’ किया जा रहा है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल बताते हैं, ‘यह आम सदस्यता ग्रहण समारोह नहीं है. यह केवल उन कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए आयोजित किया जा रहा है जो कि सिंधिया के साथ उस समय भाजपा में नहीं आ पाए थे. इस समारोह में सिंधिया समर्थक कांग्रेसियों को भाजपा की सदस्यता दिलाई जाएगी.’
इस आयोजन के तहत ग्वालियर शहर के चार स्थानों का चयन किया गया है. जिसमें ग्वालियर-चंबल अंचल के आठ जिलों की 34 में से 27 विधानसभा सीटों के सिंधिया समर्थक कांग्रेसी कार्यकर्ता भाजपा की सदस्यता लेंगे.
एक तरह से दलबदल के इस सामूहिक आयोजन में पूरे अंचल से हजारों लोग ग्वालियर में जुटाए जा रहे हैं.
कांग्रेस का आरोप है कि कोरोना के गंभीर हालातों का सामना कर रहे ग्वालियर में हजारों की भीड़ यहां संक्रमण की समस्या को और अधिक विकराल बना सकती है.
ग्वालियर कांग्रेस जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा कहते हैं, ‘शहर पहले ही कोरोना से बहुत क्षतिग्रस्त हो चुका है. ऊपर से वे अंचल के सभी आठ जिलों के लोग यहां बुला रहे हैं. बाहर के लोग शहर में कोरोना लेकर आएंगे. आयोजन करना ही था तो प्रत्येक जिले के लोगों के लिए उसी जिले में कार्यक्रम रखते. सबको ग्वालियर बुलाकर शहर का वातावरण और अधिक खराब क्यों कर रहे हैं?’
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि इस आयोजन में शामिल होने के लिए विभिन्न जिलों से आने वाले लोग जब गंभीर संक्रमण का सामना कर रहे ग्वालियर से अपने-अपने शहर, जिला और तहसील लौटेंगे तो वे अपने साथ संक्रमण का खतरा वहां भी ले जाएंगे.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा कहते हैं, ‘कोरोना को लेकर भाजपा की दो परिभाषाएं हैं. जब विधानसभा उपचुनाव रुकवाना हो, विधानसभा सत्र न लगाना हो, तो कोरोना बहुत तेजी से बढ़ता दिखता है. लेकिन, जब सरकार गिराना हो, भाजपा की प्रतिष्ठा को बढ़ाना हो या उसकी राजनीतिक ताकत में वृद्धि करनी हो तो ये प्रचारित किया जाता है कि कोरोना कंट्रोल में है. कोरोना का भाजपा अपनी सहूलियत को ध्यान में रखकर दोहरा इस्तेमाल कर रही है.’
आयोजन की अनुमति दिए जाने को लेकर कांग्रेस ग्वालियर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उस पर भेदभाव करने का आरोप लगा रही है कि प्रशासन उनके आयोजन में लाठियां चलाता है और भाजपा के आयोजन में खुद व्यवस्था करा रहा है.
केके मिश्रा कहते हैं, ‘जब ग्वालियर को लेकर स्वयं सरकार, उसके आंकड़े और मीडिया बता रही है कि यहां संक्रमण ज्यादा पैमाने पर फैल रहा है, तो प्रशासन आयोजन की अनुमति क्यों दे रहा है? हमारे द्वारा छोटे से छोटा आयोजन भी करने पर पूरे प्रदेश में भाजपा शासित प्रशासन हम पर 20 मुकदमे कर चुके हैं.’
इस बारे में रजनीश कहते हैं, ‘कांग्रेस के भी खूब आयोजन हुए हैं. 15 अगस्त तक राज्य में राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध थे. तब भी पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ डबरा में कार्यक्रम कर रही थीं. जीतू पटवारी ने हाटपिपल्या में कार्यक्रम किया था. पिछले दिनों कमलनाथ भी जनसभा करने बदनावर गए थे. इस दौरान खूब सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गईं. कोई मास्क नहीं था. हम तो फिर भी सभी नियमों का पालन करेंगे.
बहरहाल, ग्वालियर प्रशासन द्वारा आयोजन की अनुमति दिए जाने के संबंध में कांग्रेस ने जिला कलेक्टर को एक शिकायती आवेदन देकर अनुमति निरस्त करके कार्यक्रम को स्थगित करने की मांग भी की है.
अगर ऐसा नहीं होता है तो पार्टी ने आयोजन के तीनों दिन धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है, जिस पर ग्वालियर प्रशासन जिला कांग्रेस पर धरना न देने का दबाव बना रहा है.
कांग्रेस ग्वालियर जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा कहते हैं, ‘भाजपा की ही केंद्र और राज्य सरकार ने सभी सार्वजनिक, धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों पर रोक लगा रखी है. शादी में 50 से ज्यादा लोग न हों, अंतिम संस्कार में 20 से ज्यादा लोग नहीं. अभी ग्वालियर में जैन समाज का पर्यूषण पर्व हो रहा है तो प्रशासन ने चेतावनी दी है कि भीड़ जमा न हो. मुहर्रम और गणेशोत्सव को लेकर कह दिया है कि ताजिए और गणेश प्रतिमाएं पंडालों में नहीं बैठेंगी, घर पर ही बिठाओ और वे एक फीट से ऊंची न हों. आम जनता के लिए बनाए इन नियमों का अब भाजपा सरकार खुद उल्लंघन कर रही है और प्रशासन उसके दबाव में काम कर रहा है.’
स्थानीय प्रशासन ने सरकारी आदेशों के माध्यम से किसी भी प्रकार के धार्मिक, सामाजिक, वैवाहिक आयोजनों के संबंध में कठोर गाइडलाइन जारी कर रखी हैं, जिनका उल्लंघन करने पर आम जनता पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं.
यहां तक कि ग्वालियर समेत रविवार को पूरे मध्य प्रदेश में टोटल लॉकडाउन का नियम है, जिसका उल्लंघन करने पर लोगों पर चालान और क़ानूनी कार्रवाई होती है.
लेकिन, सत्ताधारी भाजपा स्वयं रविवार को उक्त आयोजन करने जा रही है और पूरा प्रशासन उसकी खुशामद में लगा है. यह विरोधाभास साफ दर्शाता है कि सभी नियम-क़ानून आम जनता पर ही लागू होते हैं.
बता दें कि शहर में मार्च से अब तक करीब 28,000 लोगों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने और मास्क न पहनने के संबंध में ग्वालियर प्रशासन चालानी कार्रवाई कर चुका है.
इस संबंध में हमने जिला कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
इस विवाद पर रजनीश कहते हैं, ‘सार्वजनिक कार्यक्रम करने के लिए जो भी कोरोना संबंधी नियम व प्रोटोकॉल हैं, हम उनकी पालना सुनिश्चित करेंगे. वे न टूटें, इसका ध्यान रखेंगे. समारोह में शामिल होने वाले सभी लोगों से यही आग्रह किया है कि वे मास्क लगाकर और सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखें.’
लेकिन, क्या इतने व्यापक स्तर के आयोजन में इन हिदायतों का पालन हो पाएगा? इस पर संशय इसलिए भी उत्पन्न होता है क्योंकि बुधवार को ही इस आयोजन की तैयारियों के संबंध में सिंधिया समर्थक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने ग्वालियर स्थित अपने आवास पर कार्यकर्ताओं की एक बैठक ली थी, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे.
उक्त बैठक में न तो मास्क का ख्याल रखा गया और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का. यह सिर्फ ग्वालियर विधानसभा की बैठक थी.
कल्पना करें कि अंचल की जब 27 विधानसभाओं के कार्यकर्ता शहर में जुटेंगे तो क्या उनसे नियमों की पालना कराना संभव हो सकेगा?
केके मिश्रा कहते हैं कि भाजपा चाहती तो इस आयोजन को वर्चुअल कर सकती थी. वे कहते हैं, ‘सिंधिया समेत भाजपा के तमाम नेता कभी इंदौर जाते हैं तो कभी उज्जैन, तो उनके इर्द-गिर्द के लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं. तीन दिन पहले ही जब सिंधिया उज्जैन में सभाएं ले रहे थे तो उनके साथ चल रहे मंत्री मोहन यादव पॉजिटिव पाए गए. भाजपा नेताओं के साथ ऐसा अनेक बार हो चुका है, जिसके चलते अन्य लोगों में भी कोरोना फैल रहा है.’
उनके इस दावे के पीछे कारण है कि पिछले कुछ समय में देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र के दर्जनों भाजपा नेता, मंत्री, विधायक और सांसद कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं. उत्तर प्रदेश में तो मंत्री तक संक्रमण से अपनी जान गंवा चुके हैं.
मध्य प्रदेश की ही बात करें, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी सुहास भगत, मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा, अरविंद भदौरिया, तुलसी सिलावट, रामखिलावन पटेल, विश्वास सारंग, मोहन यादव, सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, विधायक राकेश गिरी, नीना वर्मा और जिन सिंधिया के लिए यह आयोजन हो रहा है, वे भी कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं.
इनके अलावा अनेक भाजपा नेताओं में संक्रमण की पुष्टि हुई है. यह भी एक तथ्य है कि इतने बड़े पैमाने पर सरकार और संगठन से जुड़े मंत्री और नेता किसी भी राज्य में पॉजिटिव नहीं पाए गए हैं.
जिस ग्वालियर शहर में आयोजन हो रहा है वहां के जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी स्वयं अपनी कोरोना संक्रमित मां का इलाज दिल्ली में करा रहे हैं. इस सबके बावजूद भी मध्य प्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा कोरोना संक्रमण को गंभीरता से लेती नहीं दिख रही है.
इस आयोजन के पीछे का एक अहम कारण यह भी है कि दलबदल के बाद सिंधिया पहली बार अंचल और अपने गृह जिले ग्वालियर आ रहे हैं, जिसे यादगार बनाने के लिए ही शक्ति प्रदर्शन की यह कवायद की जा रही है.
सिंधिया जब कांग्रेस में थे तब भी उनका यही इतिहास रहा था कि वे जब भी ग्वालियर आते थे तो शहर की सड़कों पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का हुजूम जुटा लेते थे.
लेकिन, इस बार कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाते वक्त शायद वे भूल गए कि यह समय उस कोरोना महामारी के प्रकोप का है जिसका शिकार वे स्वयं भी बन चुके हैं और एक छोटी सी चूक जनता के बीच संक्रमण के बड़े पैमाने पर फैलने का कारण बन सकती है.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)