पूर्व वित्त सचिव और सेवानिवृत्त नौकरशाह राजीव कुमार शुक्रवार को नए चुनाव आयुक्त बनाए गए हैं. कुमार की नियुक्ति अशोक लवासा के स्थान पर हुई है, जिनका इस्तीफ़ा 31 अगस्त से प्रभावी होगा.
नई दिल्ली: पूर्व वित्त सचिव और सेवानिवृत्त नौकरशाह राजीव कुमार शुक्रवार को नए चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए. वह अशोक लवासा का स्थान लेंगे, जो इस्तीफा दे चुके हैं.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी. कुमार की नियुक्ति लवासा के स्थान पर हुई है जिनका इस्तीफा 31 अगस्त से प्रभावी होगा.
कानून एवं न्याय मंत्रालय की एक अधिसूचना के मुताबिक, ‘संविधान के अनुच्छेद 324 के खंड (2) के अनुसार राष्ट्रपति ने राजीव कुमार (सेवानिवृत्त आईएएस) को चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त किया है. उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से उनकी नियुक्ति प्रभावी होगी.’
राजीव कुमार झारखंड कैडर के 1984 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस साल 29 अप्रैल को वित्त सचिव के पद से सेवानिवृत्त होने वाले कुमार को तीन साल के लिए सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
ऐसी उम्मीद है कि वे मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में साल 2024 में आगामी लोकसभा चुनाव कराएंगे.
बता दें कि इससे पहले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को फिलीपींस स्थित एशियाई विकास बैंक (एडीबी) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. बीते 18 अगस्त को उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया.
भारत के चुनाव आयोग में उनका अभी दो साल का कार्यकाल बचा था. अगर वे मुख्य चुनाव आयुक्त बनते तो वे अक्टूबर 2022 में पद से सेवानिवृत्त होते.
मालूम हो कि अशोक लवासा ने ही लोकसभा चुनाव के दौरान पांच मौकों पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह को चुनाव आयोग द्वारा दी गई क्लीनचिट का विरोध किया था.
चुनाव समाप्त होने के बाद यह खुलासा हुआ था कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की 11 कंपनियों को पत्र लिखकर कहा था कि वे अपने रिकॉर्ड्स खंगालकर बताएं कि 2009-2013 के दौरान विद्युत मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहीं अपने प्रभाव का अनुचित इस्तेमाल तो नहीं किया था.
पिछले साल सितंबर महीने में अशोक लवासा के परिवार के तीन सदस्यों को आयकर विभाग का नोटिस मिला, जिसमें उनकी पत्नी नोवेल लवासा, बहन शकुंतला और बेटे अबीर लवासा शामिल हैं. इन सभी को आयकर की घोषणा न करने और अघोषित संपत्ति के आरोप में नोटिस भेजा गया था. इस मामले में कार्यवाही जारी है.
अशोक लवासा की बहन शकुंतला पेशे से बाल रोग चिकित्सक हैं, जबकि उनकी पत्नी नोवेल पूर्व बैंकर हैं और कई कंपनियों की निदेशक रह चुकी हैं, जबकि उनके बेटे अबीर नॉरिश ऑर्गेनिक फूड्स लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक हैं.
वहीं, बीते नवंबर में आई एक रिपोर्ट के अनुसार लवासा के बेटे अबीर लवासा की कथित रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जांच की जा रही है. साथ ही उस कंपनी की भी जांच की जा रही है जिसके वे निदेशक हैं.
जबकि बीते साल दिसंबर में यह आरोप लगाया गया था कि उनकी पत्नी नोवेल लवासा ने गुड़गांव में एक अपार्टमेंट को अशोक लवासा की बहन शकुंतला लवासा को ट्रांसफर करते समय स्टांप ड्यूटी नहीं भरी है. हालांकि अशोक लवासा ने आरोपों से इनकार किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)