पर्यूषण पर्व के लिए मुंबई के दादर, बायकुला और चेंबूर में जैन मंदिरों को खोलने की इजाज़त देते हुए सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हमें यह अजीब लगता है कि राज्य आर्थिक हितों से जुड़ी गतिविधियों की अनुमति देने के लिए तैयार हैं, लेकिन अगर इसमें धर्म शामिल है तो वे कोविड-19 का हवाला देते हैं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह ‘अजीब’ था कि राज्य सरकारें आर्थिक हितों से जुड़ी गतिविधियों को खोल रही थीं, लेकिन जब धार्मिक गतिविधियों की बात आई तो कोविड-19 महामारी का हवाला देने लगीं.
द हिंदू के अनुसार, सीजेआई एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 22 और 23 अगस्त को पर्यूषण पर्व पर दादर, बायकुला और चेंबूर में मंदिरों को खोलने के लिए श्री पार्श्वतिलक श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही.
इन स्थानों पर मंदिरों को कोविड-19 प्रतिबंधात्मक नियमों का पालन करना पड़ेगा.
सीजेआई बोबड़े ने मौखिक रूप से कहा, ‘हमें यह अजीब लगता है कि वे आर्थिक हितों से जुड़ी गतिविधियों की अनुमति देने के लिए तैयार हैं, लेकिन अगर इसमें धर्म शामिल है तो वे कोविड का हवाला देते हुए कहते हैं कि वे नहीं खोल सकते हैं.’
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे द्वारा मॉल्स, सैलून और शराब की दुकानों को खोलने के लिए राज्यों की नीति पर सवाल उठाने पर जस्टिस बोबड़े ने यह टिप्पणी की.
जस्टिस बोबड़े कहा कि शराब की दुकानों के सामने लंबी कतारें थीं. उन्होंने पूछा कि अगर केंद्र धार्मिक सभाओं को आयोजित करने की अनुमति दे रहा है, तो इन जैन मंदिरों में पूजा करने वालों को पूजा का अधिकार देने से कैसे इनकार किया जा सकता है.
ट्रस्ट एक बार में पांच और दिनभर में 250 लोगों की सभा की अनुमति मांग रहा था.
एक बिंदु पर सीजेआई ने कहा, ‘अगर यह केवल पांच लोग हैं, तो हमें जैन समुदाय से परे जाने और हिंदू, मुस्लिम और अन्य समुदायों के लिए भी अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं है.’
महाराष्ट्र के लिए पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्य में महामारी के मामलों में खतरनाक वृद्धि देखी गई है.
उन्होंने कहा कि अगर जैनों को अदालत द्वारा अनुमति जाती, तो राज्य अन्य धर्मों को एकत्र होने से कैसे रोकता. गणेश चतुर्थी उत्सव भी शुरू होने वाला था.
सिंघवी ने एक चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर यह अनुमति दी गई तो ऐसे मामलों की बाढ़ आ जाएगी.’
लेकिन अदालत ने कहा कि धार्मिक सभाओं पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. सीजेआई बोबड़े ने उल्लेख किया कि अदालत ने कैसे कड़ी पाबंदियों के बीच जून में ओडिशा में जगन्नाथ रथ यात्रा की अनुमति दी थी.
अदालत ने यह साफ किया कि उपासकों को मुंबई में विशिष्ट जैन मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति देने का आदेश अन्य मंदिरों, ट्रस्टों या अन्य धर्मों के लिए नहीं है.
अदालत ने कहा कि इसकी अनुमति गणेश चतुर्थी के दौरान सभा की अनुमति के लिए एक मिसाल के रूप में काम नहीं करेगी.
अदालत ने यह साफ किया कि उन पर महाराष्ट्र राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा व्यक्तिगत आधार पर विचार किया जाएगा.
बता दें कि पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि वह कोविड-19 के मद्देनजर 15 से 23 अगस्त के दौरान आठ दिवसीय पर्यूषण पर्व पर श्रृद्धालुओं के लिए मुंबई में जैन मंदिरों को खोलने की अनुमति देने से इनकार करने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)