केरल हाईकोर्ट ने किसान की हिरासत में मौत मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए

केरल के पथनमथिट्टा ज़िले का मामला. 28 जुलाई को कुछ वन अधिकारियों ने वनक्षेत्र में कैमरा नष्ट करने के आरोप में मथाई नामक किसान को गिरफ़्तार किया था. कुछ घंटों बाद उसका शव एक कुएं से बरामद किया गया था. मामले में किसी की भी गिरफ़्तारी न होने की वजह से परिवार ने उनके शव का अब तक अंतिम संस्कार नहीं किया है.

केरल हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

केरल के पथनमथिट्टा ज़िले का मामला. 28 जुलाई को कुछ वन अधिकारियों ने वनक्षेत्र में कैमरा नष्ट करने के आरोप में मथाई नामक किसान को गिरफ़्तार किया था. कुछ घंटों बाद उसका शव एक कुएं से बरामद किया गया था. मामले में किसी की भी गिरफ़्तारी न होने की वजह से परिवार ने उनके शव का अब तक अंतिम संस्कार नहीं किया है.

केरल हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)
केरल हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

तिरुवनंतपुरमः केरल हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एक किसान की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत की जांच करने का निर्देश दिया है. वन अधिकारियों ने एक कैमरा डिवाइस नष्ट करने के आरोप में एक किसान को गिरफ्तार किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पथनमथिट्टा जिले के रन्नी गांव के रहने वाले पीपी मथाई (40) को हिरासत में लिए जाने के कुछ घंटे बाद 28 जुलाई को उनका शव एक कुएं से बरामद किया गया था.

परिवार ने अपराधियों के गिरफ्तार होने तक मथाई का अंतिम संस्कार नहीं करने का फैसला किया है.

जस्टिस वीजी अरुण की पीठ ने मथाई की पत्नी शीबा की याचिका पर कार्यवाही करते हुए सीबीआई को यह मामला सौंपा है.

मृतक की पत्नी ने याचिका में सीबीआई जांच की मांग की थी. वहीं, राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का विरोध नहीं किया.

बता दें कि कुछ वन अधिकारियों ने 28 जुलाई को वनक्षेत्र में कैमरा नष्ट करने के आरोप में 28 जुलाई को मथाई को गिरफ्तार किया था.

कुछ घंटों बाद उसका शव एक कुएं से बरामद किया गया. बताया जा रहा है कि वनक्षेत्र की सीमा मथाई के खेत से सटी थी.

वन अधिकारियों का कहना था कि मथाई ने उनकी हिरासत से भागकर आत्महत्या कर ली थी, लेकिन पुलिस जांच में पता चला कि वन अधिकारियों ने गैरकानूनी रूप से मथाई को हिरासत में लिया था और

उनकी मौत को आत्महत्या दिखाने के लिए कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज भी तैयार कराए थे.

किसान संगठनों और विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसका विरोध किया और आरोपी वन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की, जिसके बाद वन विभाग ने दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया और पांच अधिकारियों का पथनमथिट्टा के चित्तर वन कार्यालय से तबादला कर दिया.

हालांकि, इस घटना के तीन सप्ताह बाद भी किसी अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया और न ही किसी अधिकारी को एफआईआर में नामजद किया गया. इसके बाद मथाई की पत्नी ने सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था.

मृतक की पत्नी ने अपनी याचिका में कहा है कि पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी कर रही है, क्योंकि उनके अनुसार आरोपियों को राजनीतिक दलों और वन अधिकारी संघों का समर्थन प्राप्त है.

मथाई के भाई पीपी विल्सन का कहना है, ‘हम उनका शव तब तक नहीं दफनाएंगे, जब तक दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता. शव अभी भी एक निजी अस्पताल के मोर्चरी में है. वह परिवार के एकमात्र कमाने वाले शख्स थे. उनकी पत्नी और दो बच्चों के अलावा मथाई अपनी मां और दो बहनों की भी देखभाल कर रहे थे. हम न्याय के लिए लड़ेंगे.’

पुलिस ने गैर इरादतन हत्या, अवैध रूप से हिरासत में रखने, जालसाजी, अपहरण और साक्ष्यों को नष्ट करने के आरोप में मामला दर्ज किया है. हालांकि एफआईआर में किसी भी आरोपी का नाम नहीं है.

पुलिस सूत्रों का कहना है कि वे असली अपराधियों पर मामला दर्ज करने के लिए 60 लोगों के बयानों की पुष्टि करने की प्रक्रिया में हैं.

पथनमथिट्टा के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘मथाई को हिरासत में लेते समय वन अधिकारियों की ओर से कई गंभीर चूक हुईं. जब कैमरा नष्ट पाया गया तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई. उन्होंने मिथाई को गैरकानूनी ढंग से हिरासत में ले लिया.’