गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, शशि थरूर समेत कई पूर्व मुख्यमंत्रियों, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और प्रदेशाध्यक्षों द्वारा लिखे पत्र में पार्टी में व्यापक सुधार लाने, सत्ता का विकेंद्रीकरण करने, राज्य इकाइयों को सशक्त करने और एक केंद्रीय संसदीय बोर्ड के तत्काल गठन की मांग की गई है.
नई दिल्ली: पिछले छह सालों में लोकसभा एवं विभिन्न विधानसभा चुनावों में लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में मजबूत बदलाव लाने, जवाबदेही तय करने, नियुक्ति प्रक्रिया को मजबूत बनाने और हार का उचिक आकलन करने की मांग की है.
इन नेताओं में पांच पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति के कई सदस्य, मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. कांग्रेस सदस्यों ने पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की है.
गांधी को लिखे पत्र में नेताओं ने, यह स्वीकार करते हुए की भाजपा का तेजी से उदय हुआ है और युवा वर्ग नरेंद्र मोदी को वोट कर रहा है, कहा है कि तेजी से घटते जनाधार और युवाओं की रुचि का घटना पार्टी के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, सांसद विवेक तन्खा, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद तथा पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंदर कौर भट्टल, एम. वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, पीजे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, पूर्व पीसीसी प्रमुख राज बब्बर (यूपी), अरविंदर सिंह लवली (दिल्ली) और कौल सिंह ठाकुर (हिमाचल), वर्तमान में बिहार प्रचार प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह, हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, दिल्ली के पूर्व स्पीकर योगानंद शास्त्री और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित शामिल हैं.
कांग्रेस का पुनरुत्थान ‘एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है’ का तर्क देते हुए पत्र में कहा गया है कि जब देश स्वतंत्रता के बाद सबसे गंभीर राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करता है तो ऐसे में पार्टी के प्रदर्शन में निरंतर गिरावट कैसे आ सकती है.
पत्र में देश की जनता में व्याप्त भय एवं असुरक्षा की भावना, भाजपा एवं संघ परिवार का सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी नीतियां, आर्थिक मंदी, बढ़ती बेरोजगारी, महामारी से उत्पन्न हुए संकट, सीमा पर चुनौतियां इत्यादि का उल्लेख किया गया है.
कांग्रेस नेताओं ने अपने पत्र में व्यापक सुधार लाने, सत्ता का विकेंद्रीकरण करने, राज्य इकाइयों का सशक्तिकरण करने, हर स्तर पर कांग्रेस संगठन के चुनाव और एक केंद्रीय संसदीय बोर्ड के तत्काल गठन की मांग की है.
अखबार के मुताबिक, नेताओं ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व की अनिश्चितता और पार्टी में झगड़े की वजह से कार्यकर्ताओं की रुचि में गिरावट आई है, जिससे पार्टी कमजोर हुई है.
उन्होंने कहा है कि कांग्रेस कार्यसमिति पार्टी को उचित दिशानिर्देश नहीं दे पा रही है कि किस तरह भाजपा सरकार के खिलाफ जनता में राय बनाई जाए. वरिष्ठ नेताओं ने लोकसभा के हार के कारणों को तलाशने के लिए ईमानदारी से आत्ममथन की मांग की है.
कांग्रेस सदस्यों ने सुझाव दिया है कि एक पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व की नियुक्ति की जाए, जो क्षेत्र में सक्रिय और कांग्रेस के केंद्रीय तथा राज्य मुख्यालयों में उपलब्ध रहे.
इसके अलावा उन्होंने नीतियों एवं कार्यक्रमों पर निर्णय लेने के लिए केंद्रीय संसदीय बोर्ड का गठन करने सभी स्तरों पर पारदर्शी तरीके से चुनाव और सीडब्ल्यूसी सदस्यों की नियुक्ति की मांग की है.
उन्होंने कहा कि पार्टी के पुनरुत्थान के लिए एक ‘संस्थागत नेतृत्व तंत्र’ स्थापित करने की जरूरत है. हालांकि खास बात ये है कि नेताओं ने अपने इन सुझावों के साथ ही अपने पत्र में ये भी कहा है कि गांधी-नेहरू परिवार हमेशा पार्टी का ‘अभिन्न अंग’ बने रहेंगे.