जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वे संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली, जम्मू कश्मीर के संविधान और राज्य की बहाली के लिए प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और राज्य का कोई भी विभाजन उनके लिए अस्वीकार्य है.
श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस सहित जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की सभी राजनीतिक पार्टियों ने शनिवार को एक बयान जारी कर संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली के लिए प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि उनकी सभी अन्य राजनीतिक गतिविधियां उसी के अधीन होंगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की सभी पार्टियों के इस संयुक्त बयान पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर, माकपा नेता एमवाई तारिगामी और जम्मू कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुजफ्फर शाह के हस्ताक्षर हैं.
ये सभी नेता जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा छीने जाने वाले दिन 5 अगस्त, 2019 को किए गए ‘गुपकर समझौते’ के भी हस्ताक्षरकर्ता हैं. गुपकर समझौते में एकजुट होकर जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता जताई गई थी.
बहरहाल बीते शनिवार को हुई सभी दलों की इस बैठक में केवल पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल ही शामिल नहीं थे, जिन्होंने हाल ही में राजनीति छोड़ने का ऐलान किया था.
बैठक में नेताओं ने कहा, ‘हम अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली, जम्मू कश्मीर के संविधान और राज्य की बहाली के लिए प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और राज्य का कोई भी विभाजन हमारे लिए अस्वीकार्य है. हम सर्वसम्मति से दोहराते हैं कि हमारे बिना हमारे बारे में कुछ नहीं हो सकता.’
जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए सामूहिकता एक प्रभावी तरीका बताते हुए उन्होंने कहा, ‘हम लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारी सभी राजनीतिक गतिविधियां जम्मू कश्मीर की स्थिति के लिए पवित्र लक्ष्य के अधीन होंगी, क्योंकि यह 4 अगस्त 2019 को अस्तित्व में था.’
बयान में यह भी कहा गया है कि सभी सामाजिक और राजनीतिक बातचीत को बाधित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा लगाए गए निषेधात्मक और दंडात्मक प्रतिबंधों का सामना करने के बीच हस्ताक्षरकर्ता मुश्किल से एक दूसरे के साथ संचार का एक बुनियादी स्तर स्थापित करने में कामयाब रहे.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों ने कहा कि गुरुवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी के घर पर बैठक हुई, जिसमें लोन, अब्दुल्ला और तारिगामी शामिल हुए. वहां पर संयुक्त बयान जारी करने का फैसला लिया गया था.
5 अगस्त, 2019 की घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए शनिवार को जारी बयान में कहा गया, ‘एक अदूरदर्शी और असंवैधानिक कदम के तहत अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर दिया गया और राज्य को दो संघ शासित प्रदेशों की स्थिति में बदल दिया गया और इसके संविधान को अस्वीकार कर दिया गया.’
उन्होंने कहा कि निर्णयों ने अनजाने में जम्मू कश्मीर और नई दिल्ली के बीच संबंध को बदल दिया.
उन्होंने उपमहाद्वीपीय नेतृत्व को वास्तविक नियंत्रण रेखा और नियंत्रण रेखा पर लगातार बढ़ती झड़पों का संज्ञान लेने का आह्वान किया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों तरफ के लोग हताहत हुए, साथ ही जम्मू कश्मीर में भीषण हिंसा हुई. सभी दलों ने क्षेत्र में शांति को बनाए रखने के लिए काम करने की अपील की.
मालूम हो कि 5 अगस्त, 2019 को मुख्यधारा के राजनीतिक नेता श्रीनगर में गुपकर रोड पर स्थित अब्दुल्ला के आवास पर मिले थे और सर्वसम्मति से सभी हमलों के खिलाफ जम्मू कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष दर्जे की रक्षा और बचाव के अपने संकल्प में एकजुट रहने का संकल्प लिया गया था.
A very satisfying day. We firmly believe that a collective mechanism is the only way out. It is no longer about power. It is about a struggle to get back what rightfully belongs to us. Thanks Dr Farooq sahib Mehbooba Ji and Tarigami sahib.
— Sajad Lone (@sajadlone) August 22, 2020
बयान जारी होने के बाद सज्जाद लोन ने ट्वीट कर अब्दुल्ला, मुफ्ती और तारिगामी का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा, ‘एक बहुत संतोषजनक दिन. हमारा दृढ़ विश्वास है कि सामूहिक तंत्र ही एकमात्र रास्ता है. यह अब ताकत के बारे में नहीं है. यह एक संघर्ष के बारे में है, जो अपने अधिकारों को वापस पाने के लिए है.’