पीएम केयर्स: गुजराती कंपनी के विवादित वेंटिलेटर्स को स्वास्थ्य मंत्रालय ने नहीं दी थी मंज़ूरी

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 58 हज़ार से ज़्यादा वेंटिलेटर्स का ऑर्डर पाने वाली पांच कंपनियों में गुजरात की ज्योति सीएनसी भी थी. मई में अहमदाबाद के अस्पताल में भेजे गए उनके वेंटिलेटर्स पर सवाल उठे थे. अब सामने आया है कि 20 जुलाई तक मंत्रालय की एक समिति ने इस कंपनी से वेंटिलेटर लेने की सिफ़ारिश नहीं की थी.

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(फोटो: रॉयटर्स)

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 58 हज़ार से ज़्यादा वेंटिलेटर्स का ऑर्डर पाने वाली पांच कंपनियों में गुजरात की ज्योति सीएनसी भी थी. मई में अहमदाबाद के अस्पताल में भेजे गए उनके वेंटिलेटर्स पर सवाल उठे थे. अब सामने आया है कि 20 जुलाई तक मंत्रालय की एक समिति ने इस कंपनी से वेंटिलेटर लेने की सिफ़ारिश नहीं की थी.

(फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुजरात स्थित ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन नामक कंपनी को कोविड-19 उपचार के लिए वेंटिलेटर पहुंचाने की मंजूरी नहीं दी है.

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य महानिदेशालय (डीजीएचएस) द्वारा गठित एक तकनीकी समिति ने 20 जुलाई तक इस कंपनी से वेंटिलेटर लेने की सिफारिश नहीं की थी.

मालूम हो कि इस कंपनी के वेंटिलेटर्स काफी विवादों में रहे हैं. पीएम केयर्स फंड की राशि से ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन कंपनी से वेंटिलेटर्स खरीदे जाने थे, लेकिन बाद में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी मंजूरी नहीं दी.

बीते मई महीने में ज्योति सीएमसी ऑटोमेशन के ‘धमन-1’ वेंटिलेटर्स उस समय विवादों में आ गए जब अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के अधीक्षक जेवी मोदी ने राज्य सरकार के चिकित्सा सेवा प्रदाता को पत्र लिखकर बताया कि ये वेंटिलेटर्स ‘वांछित परिणाम लाने में सक्षम नहीं थे.’

द वायर ने उस समय अपने एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में बताया था कि गुजरात सरकार द्वारा जिस कंपनी (ज्योति सीएमसी ऑटोमेशन) ने ‘दस दिनों’ में कोविड मरीजों के लिए वेंटिलेटर्स बनाने का दावा किया गया था, जिन्हें राज्य के डॉक्टरों में मानकों पर खरा न उतरने की बात कही थी, उस कंपनी के प्रमोटर्स उसी उद्योगपति परिवार से जुड़े हैं, जिन्होंने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनका नाम लिखा सूट तोहफे में दिया था.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि वेंटिलेटर बनाने वाली इस कंपनी के प्रमोटर भाजपा के नेताओं के करीबी हैं.

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अब दस्तावेजों से पता चलता है कि 20 मई 2020 को तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने प्रधानमंत्री के सलाहकार भास्कर खुल्बे को एक पत्र लिखा, जिसमें बताया गया कि मंत्रालय ने पांच कंपनियों के कुल 58,850 ‘मेड-इन-इंडिया’ वेंटिलेटर्स के लिए 2,332.2 करोड़ रुपये से कुछ अधिक के ऑर्डर दिए थे.

इनमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से 30,000 वेंटिलेटर्स, अलाइड मेडिकल से 350 वेंटिलेटर्स, एएमटीजेड से 13,000 वेंटिलेटर्स, एजीवीए हेल्थकेयर से 10,000 वेंटिलेटर्स और ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन से 5,000 वेंटिलेटर्स शामिल हैं.

सूदन ने अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया कि जैसा कि ‘मेड इन इंडिया’ वेंटिलेटर्स की खरीद के लिए पीएम केयर्स फंड से 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, इसलिए निर्माताओं को बताया जाएगा कि वे इन वेंटिलेटर्स पर ‘पीएम केयर्स का लोगो’ उचित स्थान पर लगाएं.

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि वेंटिलेटर्स की खरीद में फंड की जो भी कमी आती है उसकी भरपाई स्वास्थ्य मंत्रालय के बजट से की जाएगी.

हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज द्वारा दायर एक दूसरे आरटीआई आवेदन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा ‘सफल क्लीनिकल मूल्यांकन’ के बाद केवल तीन कंपनियों से 40,350 वेंटिलेटर्स खरीदने की सिफारिश की गई है.

शुरू में पांच कंपनियों से 58,850 वेंटिलेटर्स खरीदने का आदेश दिया गया था.

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दस्तावेजों से पता चलता है कि ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन और आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (एएमटीजेड) को इस सूची से बाहर कर दिया गया. जबकि पहले इन कंपनियों से वेंटिलेटर खरीदने के लिए 22.5 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया गया था.

हालांकि ये स्पष्ट नहीं कि क्या डीजीएसएस ने पिछले महीने कोई नया क्लीनिकल आकलन किया था, जिसके बाद ज्योति सीएमसी और एमटीजेड को बाहर कर दिया गया.

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक तीन अगस्त तक कुल 0.27 फीसदी एक्टिव कोरोना मरीज वेंटिलेटर पर थे.

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