बीते 19 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने तिरुवनंतपुर सहित तीन हवाई अड्डों को पट्टे पर अडाणी समूह को सौंपने को मंज़ूरी दे दी थी. केरल सरकार ने 20 अगस्त को सर्वदलीय बैठक में इस फैसले का विरोध किया और हाईकोर्ट में केंद्र को फैसले को चुनौती दी है.
तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को देने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया और मांग की कि हवाई अड्डे के प्रबंधन को राज्य सरकार के एक विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) को सौंप दिया जाना चाहिए.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते बीते 19 अगस्त को जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डों को पट्टे पर अडाणी समूह को देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
द हिंदू के अनुसार, विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने कहा कि वह केरल के लोगों के सर्वोत्तम हित में संकल्प का समर्थन कर रहा है.
हालांकि, इस दौरान यूडीएफ ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार पर बोली लगाने के लिए अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के करीबी कानूनी परामर्श फर्म को चुनने के लिए ‘आपराधिक साजिश’ में लिप्त होने और लोगों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया.
इस बीच भाजपा ने विधानसभा के बाहर गोल्ड स्मगलिंग मामले को लेकर प्रदर्शन का आयोजन कर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की थी. पार्टी ने आरोप लगाया कि यह प्रस्ताव एकमत से नहीं पारित किया गया, क्योंकि उनके एकमात्र प्रतिनिधि ओ. राजगोपाल को सदन में बोलने का मौका नहीं दिया गया.
बता दें कि 20 अगस्त की सर्वदलीय बैठक में अडाणी इंटरप्राइजेज को पट्टे पर हवाईअड्डा देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले को वापस लेने की मांग की गई थी.
विधानसभा में प्रस्ताव को पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने कहा कि 19 अगस्त को अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को हवाई अड्डे के प्रबंधन को पुरस्कृत करने के केंद्र सरकार के फैसले को उचित नहीं ठहराया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार की पेशकश की अनदेखी करते हुए केंद्र ने अपने इस फैसले को आगे बढ़ाया था.’
प्रस्ताव में केंद्र से आग्रह किया गया है कि वह केरल के लोगों के हित में और राज्य सरकार और राजनीतिक दलों द्वारा रखे गए विचार को देखते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.
इस मौके पर विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथाला ने एयरपोर्ट के निजीकरण के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन इस मामले को लेकर सरकार के दोहरे रवैये को लेकर आलोचना भी की.
चेन्नीथाला ने आरोप लगाया कि सरकार अडाणी समूह पर सार्वजनिक रूप से हमला कर रही है, लेकिन गुप्त रूप से समूह की एक करीबी कोनून फर्म से परामर्श करके उनकी मदद की.
उन्होंने कहा कि अडाणी एंटरप्राइजेज के करीबी कानूनी परामर्श फर्म को चुनने में सरकार ने लोगों के साथ धोखा किया. यह आपराधिक साजिश और हितों का टकराव है.
चेन्नीथाला ने कहा, ‘यह एक तथ्य है कि अडाणी की मदद करने के लिए एक साजिश रची गई.’
आरोपों पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कानूनी सलाहकार ने राज्य द्वारा कोट की गई राशि तय करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. इसकी भूमिका केवल कानूनी पहलुओं को तय करने तक ही सीमित थी.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक प्रमुख कानूनी फर्म को सलाहकार के रूप में चुना था और उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि हितों का टकराव नहीं है. उन्होंने चेन्निथला की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.
इसके बाद स्पीकर पी. श्रीरामकृष्णन ने प्रस्ताव के एकमत से पास करने की घोषणा कर दी.
इससे पहले केरल सरकार ने तिरुवंनतपुरम हवाईअड्डा अडाणी इंटरप्राइजेज को पट्टे पर देने के संबंध में अगली कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि अगर रोक नहीं लगाई जाती है, तो अपूरणीय क्षति होगी.
बता दें कि सरकार ने नवंबर, 2018 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा परिचालित किए जाने वाले छह हवाईअड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की अनुमति दी थी. इसके लिए मंगाई गईं बोलियां बीते 25 फरवरी , 2019 को खोली गई थीं.
सभी छह- अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ, मेंगलुरु, जयपुर और गुवाहाटी हवाईअड्डों के परिचालन के लिए अडाणी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी और संचालन के अधिकार हासिल किए थे.
पिछले साल केंद्रीय कैबिनेट ने अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु हवाईअड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत 50 सालों के लिए अडाणी समूह को देने के नागरिक विमानन मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी.
इसके विरोध में दायर केरल सरकार की याचिका को केरल हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी और कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत यह विचारयोग्य नहीं है.
उसके बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी. शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और गुण के आधार पर फैसले के लिए मामले को फिर से उसके पास भेज दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)