दिल्ली पुलिस ने वीज़ा शर्तों के कथित उल्लंघन, धार्मिक प्रचार गतिविधियों में शामिल होने समेत कई आरोपों में क़रीब 955 विदेशियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की थी, जिनमें से 44 ने दिल्ली में केस लड़ा. साकेत अदालत ने इनमें से आठ को बरी किया और बाकी 36 पर से कई आरोप हटा दिए हैं.
नई दिल्ली/मुंबई: दिल्ली की एक साकेत जिला अदालत तबलीग़ी जमात के आठ विदेशी सदस्यों को आरोपमुक्त करार दिया है. पुलिस का कहना था कि इन सभी के खिलाफ ‘प्रथमदृष्टया सबूत’ मिले थे.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने कथित तौर पर वीजा शर्तों के उल्लंघन, धार्मिक प्रचार की गतिविधियों में शामिल होने और सरकार के कोविड दिशानिर्देशों का पालन न करने पर कम से कम 955 विदेशियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.
बता दें कि जमात के लोग तब चर्चा में आए थे, जब मार्च में निजामुद्दीन मरकज कोरोना हॉटस्पॉट बनकर उभरा था.
जहां मामला दर्ज होने के बाद जमात के अधिकतर सदस्यों ने याचिका पर समझौता कर लिया था और अपने देश वापस लौट गए थे, वहीं 44 ने दिल्ली में मुकदमा लड़ने का फैसला किया था. वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन और आशिमा मंडल ने इनका केस लड़ा.
अब साकेत कोर्ट की मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने इन 44 में आठ को आरोपमुक्त कर दिया है.
वहीं, बाकी 36 को विदेशी अधिनियम की धारा 14 और आईपीसी की धारा 270 (किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या नुकसानदेह काम, जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो) और 271 (क्वारंटीन नियमों की अवज्ञा) के आरोपों से बरी किया गया.
हालांकि से 14 देशों के इन 36 विदेशी नागरिकों पर भारतीय दंड संहिता, आपदा प्रबंधन कानून और महामारी कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप अब भी हैं.
अदालत ने 36 विदेशियों के खिलाफ आरोप तय करते हुए कहा कि गवाहों, खासकर स्वास्थ्य अधिकारियों के बयान से पहली नजर में यह पता चलता है कि भौतिक दूरी के नियम का पालन नहीं किया गया.
अदालत ने इसके अलावा बाकी आठ विदेशी नागरिकों को कोई रिकॉर्ड या उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय सामग्री न होने के कारण सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
आरोपमुक्त किए गए आठ लोगों में से दो इंडोनेशिया से, एक किर्गिस्तान से, दो थाईलैंड से, एक नाइजीरिया से, एक कजाकिस्तान से और एक व्यक्ति जॉर्डन से है.
अदालत ने इन लोगों को आरोपमुक्त करते हुए कहा कि पूरे आरोप-पत्र और अन्य दस्तावेजों को देखने के बाद पता चलता है कि ये लोग उस अवधि में मरकज के कार्यक्रम में मौजूद ही नहीं थे.
हालांकि दिल्ली पुलिस ने इन सभी 44 लोगों पर से आरोप हटाए जाने का विरोध किया. अदालत में चार्जशीट और अन्य दस्तावेजों को जमा करते हुए उन्होंने कहा कि सभी के खिलाफ ‘पर्याप्त प्रथमदृष्टया सबूत’ थे.
पुलिस ने इनके साथ गृह मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर भी जमा किया था, जिसके अनुसार आरोपी भारत में टूरिस्ट वीजा पर आए थे लेकिन वीजा नियमों का उल्लंघन करते हुए ‘तबलीग़ के कामों में संलिप्त’ थे.
महाराष्ट्र में जमात के 12 इंडोनेशियाई लोगों पर से गैर-इरादतन हत्या का मामला हटा
मुंबई की बांद्रा पुलिस ने मार्च में दिल्ली के निज़ामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात के सिलसिले में 12 इंडोनेशियाई नागरिकों के ख़िलाफ़ हत्या और हत्या के प्रयास के लिए दोषी होने के आरोपों को हटा कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कोविड-19 निगेटिव पाए गए इन 12 लोगों पर शुरुआत में आईपीसी की दो धाराओं में मामला दर्ज किया गया था. एक धारा के तहत उन्हें अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती थी जो इसलिए दर्ज की गई थी कि वे मरकज में शामिल होकर कोविड-19 फैलाने के लिए जिम्मेदार थे.
हालांकि, इन सभी को लॉकडाउन उल्लंघन, वीजा शर्तों और महामारी अधिनियम के मामलों में आरोपों का सामना करना पड़ेगा.
बांद्रा पुलिस ने इन सभी के खिलाफ यह कहते हुए मामला दर्ज किया था कि वे 29 फरवरी से 2 मार्च के बीच अलग-अलग दिल्ली आए थे और उसके बाद 8 मार्च को तबलीगी जमात समूह के रूप में शहर में आए थे.
इसके बाद उन्हें बांद्रा में क्वारंटीन किया गया और कोविड-19 के लिए टेस्ट किया गया. मार्च में उनके टेस्ट निगेटिव आए.
पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन किया है और दूसरों की जान जोखिम में डाल दी है जिसके बाद उनमें से 10 को गिरफ्तार कर लिया था.
अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए कहा था कि इसमें कोई औचित्य नहीं है कि वे कोविड-19 को फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि वे कोविड-19 निगेटिव पाए गए.
इसके बाद समूह के दो अन्य लोगों को सत्र न्यायालय ने अग्रिम जमानत दे दी. मुकदमे के पूरा होने की प्रतीक्षा में फिलहाल 12 लोग मुंबई में रह रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)