कोविड संकट: मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी आठ साल के निम्नतम स्तर पर

मनरेगा पोर्टल पर 24 अगस्त तक तक उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2013-2014 के बाद से मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी सबसे निचले स्तर पर आ गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मनरेगा पोर्टल पर 24 अगस्त तक तक उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2013-2014 के बाद से मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी सबसे निचले स्तर पर आ गई है.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बीच महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना में महिलाओं की भागीदारी आठ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्त वर्ष के शुरुआती पांच महीनों के दौरान मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 52.46 फीसदी तक रह गई है.

मनरेगा पोर्टल पर 24 अगस्त तक तक उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2013-2014 के बाद से मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी सबसे निचले स्तर पर आ गई है.

आंकड़ों से पता चला है कि मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 2013-2014 में 52.82 फीसदी से बढ़कर 2016 में 56.16 फीसदी हो गई लेकिन ताजा आंकड़ों में पिछले साल के मुकाबले इसमें 2.24 प्रतिशत अंकों की गिरावट दर्ज हुई है.

मौजूदा समय में लगभग 13.34 करोड़ सक्रिय मनरेगा कामगार हैं, जिनमें से 6.58 करोड़ यानी 49 फीसदी महिलाएं हैं. हालांकि इस साल मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी में गिरावट का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है.

हालांकि सूत्रों ने कोरोना की वजह से आर्थिक संकट के मद्देनजर प्रवासी कागारों के बड़े पैमाने पर अपने गांव लौटने पर मनरेगा में पुरुषों की भागीदारी बढ़ने की ओर इशारा किया है.

आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 280.72 करोड़ लोगों के लिए दैनिक काम के लक्ष्य के विपरीत अब तक 183 करोड़ से अधिक प्रतिव्यक्ति कामकाजी दिन सृजित किए जा चुके हैं.

कुल मिलाकर 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान प्रतिदिन काम करने वाले लोगों में महिलाओं की भागीदारी में गिरावट दर्ज की गई है जबकि 14 राज्यों में मामूली वृद्धि दर्ज हुई है.

मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी में गिरावट का राष्ट्रीय औसत 2.24 फीसदी है.

आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक 3.5 फीसदी की गिरावट देखी गई. राज्य में पिछले साल मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 60.05 फीसदी थी जो इस साल घटकर 56.47 फीसदी रह गई.

इसके बाद पश्चिम बंगाल में 3.32 फीसदी, तेलंगाना में 2.62 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में 2.44 फीसदी गिरावट दर्ज की गई.

छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मेघालय, तमिलनाडु, उत्तराखंड, सिक्किम, बिहार, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, अंडमान एवं निकोबार द्वीप अन्य राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश हैं, जहां मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी घटी है.

जिन राज्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, उनमें मिजोरम, मध्य प्रदेश, मणिपुर, गुजरात, केरल, ओडिशा, महाराष्ट्र, नगालैंड, असम, कर्नाटक, पुडुचेरी, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा हैं.

मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान केरल में एक दिन में महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक 91.38 फीसदी है. इसके बाद पुडुचेरी में 87 फीसदी, तमिलनाडु में 84.82 फीसदी, गोवा में 75.75 फीसदी, राजस्थान में 65.35 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में 60.31 फीसदी है.

जम्मू कश्मीर में मनरेगा में महिलाओं की सबसे कम 30.72 फीसदी भागीदारी है. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 33 फीसदी, नगालैंड में 36 फीसदी, अरुणाचल प्रदेश में 40 फीसदी, झारखंड में 40.77 फीसदी और मध्य प्रदेश में 41 फीसदी है.